Mahashivratri 2022:-

इस साल फाल्गुन माह (Phalgun Maas) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की महाशिवरात्रि (Mahashivratri) 1 मार्च दिन मंगलवार को मनाई जाएगी | शिव भक्तों के लिए ये दिन किसी त्योहार से कम नहीं होता | इस दिन शिव जी के भक्त भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर व्रत रखते हैं | इसके अलावा लोग चारों पहर पूजा कर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं |

महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं | एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी | जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ | इसी कारण इस दिन को अत्यन्त ही महत्वपूर्ण माना जाता है |

महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है | मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था | महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं | मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है |

मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है | महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है | यह भगवान शिव का प्रतीक है | शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन |

महाशिवरात्रि 2022 पूजा मुहूर्त:-

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी |

  • महाशिवरात्रि पहले प्रहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
  • महाशिवरात्रि दूसरे प्रहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
  • महाशिवरात्रि तीसरे प्रहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
  • महाशिवरात्रि चौथे प्रहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
  • व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am

महाशिवरात्रि पूजन विधि:-

फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है | इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें | इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें | फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. साथ ही पजून करें और अंत में आरती करें |

मान्यतानुसार, इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए | वेदों का वचन है कि रात्रि के चार प्रहर बताये गये हैं | इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी है | इस पूजा से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं |

महाशिवरात्रि का उपवास व जागरण:-

ऋषि महर्षियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को महत्त्वपूर्ण माना है | गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है | आध्यात्मिक साधना के लिये उपवास करना परमावश्यक है | उपवास के साथ रात्रि जागरण का महत्व है | उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है | इन्हीं सब कारणों से इस महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते हैं |

Frequently Asked Question(FAQs):-

कब है महाशिवरात्रि ?

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) 1 मार्च दिन मंगलवार को मनाई जाएगी |

महाशिवरात्रि 2022 पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी | महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को शाम 6:21 से 9:27 तक | महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 से 12:33 तक | महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 से सुबह 3:39 तक | महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को सुबह 3:39 से 6:45 तक | व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को सुबह 6:45 |

महाशिवरात्रि पूजा का क्या महत्व है?

महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है | मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था | महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं | मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here