Kashi Vishwanath Dham:-
काशी विश्वनाथ धाम की सूरत बदल गई है | अब गंगा किनारे वाराणसी के पुराने घाटों से सीधे बाबा विश्वनाथ तक पहुंचा जा सकेगा | सात तरह के पत्थरों से विश्वनाथ धाम को सजाया गया है | यहां आने वाले श्रद्धालु रुद्र वन यानी रुद्राक्ष के पेड़ों के बीच से होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचेंगे | काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर 5 लाख स्कवॉयर फीट में बना है | इसे रेकॉर्ड 21 महीनों में तैयार किया गया है | निर्माण पर 900 करोड़ रुपये खर्च हुए | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार दोपहर काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे | विश्वनाथ धाम लोकार्पण उत्सव का देश में 51 हजार स्थानों पर लाइव प्रसारण किया जाएगा |
अब काशी विश्वनाथ मंदिर आने-वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा | यह कॉरिडोर बनने के बाद गंगा घाट से सीधे कॉरिडोर के रास्ते बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं | इसकी कुल लगात 900 करोड़ रुपए है | काशी को दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है | मान्यता है भगवान विश्वनाथ यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में निवास करते हैं | काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है |
काशी विश्वनाथ धाम की 10 बड़ी खास बातें:-
- करीब सवा 5 लाख स्क्वायर फीट में बना काशी विश्वनाथ धाम बनकर पूरी तरह तैयार है | इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं |
- इस पूरे कॉरिडोर को लगभग 50,000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है | इस कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है | इसमें 4 बड़े-बड़े गेट और प्रदक्षिण पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं | जिसमें काशी की महिमा का वर्णन है |
- इसके अलावा इस कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी जैसी सुख-सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है |
- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में अगर गोदौलिया वाले गेट से कोई एंट्री करेगा तो यूटिलिटी भवन, सिक्योरिटी ऑफिस मिलेगा |
- इसके अलावा यात्री सुविधा केंद्र नंबर 1 और 2 सरस्वती फाटक की तरफ हैं |
- इसमें चुनार के गुलाबी पत्थर, मकराना के सफेद मार्बल और वियतनाम के खास पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है |
- 250 साल के बाद मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार हुआ है |
- इस कॉरिडोर के बनने के बाद श्रद्धालु 50 फीट की सड़क से गंगा किनारे से बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे |
- काशी विश्वनाथ धाम में महादेव के प्रिय पौधे रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, वट और अशोक लगाए जाएंगे |
- बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसाद तैयार हो रहा है, जो 8 लाख से ज्यादा परिवारों में वितरित होगा |
कैसे और कितने में बनकर तैयार हुआ कॉरिडोर?:-
- 345 करोड़ की लागत से हुआ काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण
- 339 करोड़ की लागत से धाम के लिए खरीदे गए 300 भवन
- 5.3 लाख वर्ग फुट में बना है विश्वनाथ धाम
- विश्वनाथ मंदिर से गंगा तट का 400 मीटर में बना है धाम
- 30 फीसदी क्षेत्र में बने हैं 24 भवन, शेष खुला या हरियाली को समर्पित
- 5.43 करोड़ रुपये से हाईटेक सुरक्षा व्यवस्था
- इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर से नियंत्रण
- मंदिर व आसपास चार स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था
- एयर सर्विलांस सिस्टम से आकाश में निगरानी
- चुनार के बलुआ पत्थर के अलावा सात प्रकार के लगे हैं पत्थर
- मकराना के दूधिया मार्बल से फ्लोरिंग
- जैसलमेर का मंडाना स्टोन घाट किनारे सीढि़यों पर
- वैदिक केंद्र, संग्रहालय व खास भवनों में ग्रेनाइट और कोटा
- भूकंप और भूस्खलन से बचाने को पत्थरों को जोड़ा गया है पीतल की प्लेटों से
- 18 इंच लंबी तथा 600 ग्राम वजन की पीतल प्लेटों को कसने के लिए 12 इंच की गुल्ली
- पीतल और पत्थरों के बीच की जगह भरने को केमिकल लेपाक्स अल्ट्रा फिक्स का इस्तेमाल |
काशी विश्वनाथ धाम में क्या है खास:-
- पिंक सिंटी की तरह चुनार के गुलाबी पत्थरों से सजा विश्वनाथ धाम
- गंगा व्यू गैलरी से भक्तों को दिखेगा विश्वनाथ दरबार और गंगा की अविरल धारा
- पाइप लाइन से विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह तक आएगी गंगधार
- पहला ऐसा आध्यात्मिक केंद्र जहां भारत माता की भी प्रतिमा
- आदि शंकराचार्य और महारानी अहिल्याबाई की भी प्रतिमा लगी
- मुख्य मंदिर परिसर का विस्तार कर 80 फीट लंबे और 40 फीट चौड़ा परिक्रमा पथ
- 157 जोड़ी खंभों पर बना है परिक्रमा मंडप
- 352 साल बाद ज्ञानवापी मंडप-कूप और आदि विश्वेश्वर के नंदी मुख्य मंदिर का हिस्सा
- चारों दिशाओं में 32 फीट ऊंचे और 40 फीट चौड़े किले जैसे फाटक
- विशाल मंदिर चौक में एक समय में रह सकेंगे 50 हजार श्रद्धालु
- शिव वन में दिखेंगे रुद्राक्ष, हरसिंगार, मदार आदि के वृक्ष
- वाराणसी गैलरी में दिखेगी इतिहास से लेकर पहचान से जुड़ी हर चीज
- कॉरिडोर एरिया के मकानों में कैद रहे 27 प्राचीन मंदिरों की मणिमाला
- मंदिर परिसर में संगमरमर पर उकेरा गया है काशी के महात्म्य का चित्रात्मक वर्णन |
नए परिसर में क्या-क्या बदला है:-
- चुनार के बलुआ पत्थर के अलावा सात प्रकार के लगे हैं पत्थर
- मकराना के दूधिया मार्बल से फ्लोरिंग
- जैसलमेर का मंडाना स्टोन घाट किनारे सीढि़यों पर
- वैदिक केंद्र, संग्रहालय व खास भवनों में ग्रेनाइट और कोटा
- भूकंप और भूस्खलन से बचाने को पत्थरों को जोड़ा गया है पीतल की प्लेटों से
- 18 इंच लंबी तथा 600 ग्राम वजन की पीतल प्लेटों को कसने के लिए 12 इंच की गुल्ली
- पीतल और पत्थरों के बीच की जगह भरने को केमिकल लेपाक्स अल्ट्रा फिक्स का इस्तेमाल |