पंचायत समिति:- पंचायत व्यवस्था की दूसरी इकाई
पंचायत राज की त्रिस्तरीय संरचना में ग्राम स्तर से ऊपर अर्थात मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत समिति होती है | जो ग्राम पंचायत एवं जिला परिषद के बीच कड़ी का कार्य करता है | पंचायती राज की इस संस्था को ‘क्षेत्र समिति’ या ‘आंचलिक परिषद्’ भी कहते हैं | इस समिति का गठन भी सभी राज्यों में एक समान नहीं है | इस मध्यवर्ती स्तर को आंध्रप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में ‘पंचायत समिति‘ कहा जाता है | उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इसे ‘क्षेत्र समिति’ असम में ‘आंचलिक पंचायत समिति’, पश्चिम बंगाल में ‘आंचलिक परिषद्’, गुजरात में ‘तालुका परिषद्’, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ‘जनपद पंचायत’ कर्नाटक में ‘पंचायत संघ परिषद्’ कहा जाता है |
पंचायती राज व्यवस्था : जानें त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था की पहली इकाई ग्राम पंचायत के बारे में
पंचायत समिति की संरचना:- पंचायत व्यवस्था की दूसरी इकाई
राज्य सरकारें विकास कार्यों में सुलभता के लिए प्रत्येक जिले को ब्लॉक/खण्डों में बांटती है | इस ब्लॉक को विकास खण्ड भी कहा जाता है | 73वें संविधान संशोधन के अनुसार प्रत्येक विकास खण्ड में पंचायत समिति के गठन का प्रावधान है | इन विकास खंडों में जनसंख्या के आधार पर पंचायत समिति के सदस्यों की संख्या का निर्धारण किया जाता है | लगभग 5000 की आबादी पर एक पंचायत समिति सदस्य को चुनने का प्रावधान है | इन सदस्यों का निर्वाचन ग्राम पंचायतों के सदस्यों की तरह ही प्रत्यक्ष रूप से जनता करती है | इन्हीं पंचायत समिति के सदस्यों द्वारा ब्लॉक स्तर पर ब्लॉक प्रमुख/पंचायत समिति के अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है |
प्रत्येक पंचायत समिति में चुनकर आए हुए सदस्यों के अतिरिक्त उस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा के सदस्य भी पदेन सदस्य के रूप में शामिल होते हैं | पंचायत समिति क्षेत्र के अंतर्गत ब्लॉक के वह क्षेत्र शामिल नहीं होते है, जो किसी नगर निगम, नगरपालिका, अधिसूचित क्षेत्र या कैन्टोनमेंट बोर्ड के अंतर्गत आता है |
पंचायत समिति के पदाधिकारी:-
पंचायत समिति के कार्यों के संपादन व संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा कई अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है | पंचायत समिति के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को खंड विकास अधिकारी(BDO) कहते हैं | इस पदाधिकारी के नीचे भी कई सहायक विकास अधिकारी होते हैं जो कृषि, सहकारिता, पशुपालन इत्यादि के विशेषज्ञ होते हैं | पंचायत समिति की बैठकों में संबंधित पदाधिकारियों का उपस्थित रहना अनिवार्य होता है, जो बैठक के संचालन में भी हिस्सा लेते हैं |
पंचायती राज अधिनियम के अनुसार पंचायत समिति में सदस्यों और अध्यक्ष के पदों पर भी आरक्षण व्यवस्था का प्रावधान है | SC/ST/OBC वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात पर निर्भर करता है | इसके अलावा सभी पदों पर एक तिहाई (33%) सीट महिलाओं के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान है | वर्तमान समय में कई राज्यों में महिलाओं के लिए यह आरक्षण बढ़ाकर 50% कर दिया गया है | इन राज्यों में पंचायतों का प्रत्येक दूसरा पद महिलाओं के लिए आरक्षित है | लेकिन, यह आरक्षण प्रणाली चक्रानुक्रम/रोस्टर के अनुसार आवंटित किए जाते हैं |
पंचायत समिति के कार्य एवं दायित्व:-
- केन्द्र तथा राज्य सरकार एवं जिला परिषद द्वारा सौंपे गए कार्य करना |
- सभी ग्राम पंचायत के वार्षिक योजनाओं पर विचार विमर्श एवं समेकन करना तथा समेकित योजनाओं को जिला परिषद में प्रस्तुत करना |
- पंचायत समिति का वार्षिक योजना बजट पेश करना |
- कृषि एवं उद्यान की उन्नति एवं विकास करना |
- खेती के उन्नत तरीको का प्रचार प्रसार करना, किसानों के प्रशिक्षण का इंतजाम करना |
- सरकार के भूमि विकास एवं भूसंरक्षण कार्यकलापों के कार्यान्वयन में सरकार और जिला परिषद की सहायता करना |
- लघु सिंचाई कार्यों के निर्माण एवं अनुरक्षण में सरकार और जिला परिषद् की सहायता करना |
- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम एवं स्कीमों का आयोजन और कार्यान्वयन करना |
- पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा का विकास एवं विस्तार करना |
- खादी ग्राम एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित करना |
- ग्रामीण आवास योजनाओं का कार्यान्वयन तथा आवास स्थल का वितरण करना |
- ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का कार्यान्वयन, मरम्मत एवं संरक्षण करना |
- शिक्षा के अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालय भवनों का निर्माण मरम्मत एवं संरक्षण आदि कार्य करना |
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अन्तर्गत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कार्यक्रमों का संचालित करना |
- महिलाओं एवं बच्चो के कार्यक्रम को कार्यान्वयन करना तथा इनके विकास हेतु कार्यक्रम का निर्माण करना |
- समाज कल्याण, जिसमें शारीरिक तथा मानसिक रूप से नि:शक्त लोगों के कल्याण हेतु कार्यक्रम तैयार करना तथा सरकार द्वारा चलाये जा रहे योजनाओं को कार्यान्वयन कराना |
- कमजोर वर्गो विशेषकर SC/ST वर्ग के लोगों का कल्याण हेतु सरकार द्वारा चालायी गई योजनाओं का कार्यान्वयन करना |
पंचायत समिति का कार्यकाल:-
पंचायत समिति का कार्यकाल पहली बैठक की तारीख से 5 सालों तक का होगा | पंचायत समिति के सदस्यों का कार्यकाल यदि किसी खास कारणों से उनके नियत कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है तो 6 महीने के भीतर उसका चुनाव कराना जरूरी होगा | संक्षेप में कहें तो पंचायत समिति विकास खंड स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण कड़ी है जो ग्राम पंचायत और जिला पंचायत के बीच एक सम्वन्यक की भूमिका अदा करती है |
Also Read- पंचायती राज व्यवस्था : जानें त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था की पहली इकाई ग्राम पंचायत के बारे में