राजीव गांधी पुण्यतिथि 2020:-

राजीव गांधी पुण्यतिथि 2020-देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 29वीं पुण्यतिथि है | राजीव गांधी 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 24 घंटे के भीतर देश के प्रधानमंत्री बन गए थे | वो राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने भारत के लोगों को 21वीं सदी का सपना दिखाया था | 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी | उनकी हत्या के बाद ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया था | हर साल 21 मई को मनाए जाने वाले आतंकवाद विरोधी दिवस पर युवाओं सहित समाज के अन्य वर्गों को आतंकवाद विरोधी शपथ दिलाई जाती है | इस बार यह दिवस कोरोना वायरस महामारी के बीच मनाया जा रहा है |

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 में मुंबई में हुआ | जब भारत को अंग्रेजी शासन की गुलामी से आजादी मिली तो इनकी उम्र महज तीन साल थी | देश आज़ाद हुआ और राजीव गांधी के नाना यानी जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने |

राजीव गांधी का बचपन तीन मुर्ति भवन में बीता | उनकी शिक्षा की बात करें तो वे कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया | वहां उनके कई मित्र बने जिनके साथ उनकी आजीवन दोस्ती बनी रही | बाद में उनके छोटे भाई संजय गांधी को भी इसी स्कूल में भेजा गया जहां दोनों साथ पढ़े | स्कूली शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद राजीव गांधी आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए | जल्द ट्रिनिटी कॉलेज को उन्होंने अलविदा कह दिया और लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए जहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की |

राजीव गांधी की उपलब्धियां:- राजीव गांधी पुण्यतिथि 2020

राजीव गांधी पुण्यतिथि 2020

1. वोट करने की आयु सीमा घटाई:- राजीव गांधी पुण्यतिथि 2020

पहले देश में वोट करने की आयु सीमा 21 वर्ष थी, जो युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर में गलत थी | उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार व सशक्त बनाने की पहल की | 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की आयु सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई | इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते हैं | यह अधिकार उन्हें राजीव गांधी ने ही दिलाया था |

2. कंप्यूटर क्रांति:-

राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता | राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है | उन्होंने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया बल्कि भारत में Information Technology को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया | उन्होंने कुछ ऐसा किया कि Computer आम लोगों तक पहुंच गया | उस दौर में Computer लाना इतना आसान नहीं था | तब Computer महंगे होते थे, इसलिए सरकार ने Computer को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह Assemble किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया जिसमें Motherboard और Processor थे | उन्होंने Computer तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की भी पहल की |

3- पंचायतीराज व्यवस्था की नींव:-

पंचायतीराज व्यवस्था की नींव रखने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है | दरअसल, राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता | उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया | 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया | 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई | इस व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण था |

4-नवोदय विद्यालयों की नींव:-

ग्रामीण और शहरी वर्गों में नवोदय विद्यालयों की नींव भी राजीव गांधी ने ही रखी | उनके कार्यकाल में ही जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली गई | ये आवासीय विद्यालय होते हैं | प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है | बच्चों को 6वीं से 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है |

5-NPE की घोषणा:-

NPE की घोषणा भी राजीव गांधी ने ही की | राजीव गांधी की सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE) की घोषणा की गई | इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ |

6-दूरसंचार क्रांति:-

कम्प्यूटर क्रांति की तरह ही दूरसंचार क्रांति का श्रेय भी उन्हीं को जाता है | राजीव गांधी की पहल पर ही अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना हुई | इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ | जगह-जगह PCO खुलने लगे | जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी | इसके बाद 1986 में राजीव की पहल से ही MTNL की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई |

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