One Nation One Data- डिजिटाइजेशन के दौर में अब देश ‘वन नेशन-वन डेटा’ के लिए तैयार हो रहा है। केंद्र सरकार जन्म-मृत्यु पंजीकरण कानून 1969 में संशोधन की प्रक्रिया लगभग पूरी कर चुकी है। केंद्र ने संशोधित कानून का ड्राफ्ट जनता के सुझावों के लिए पब्लिक डोमेन में साझा किया था। 17 नवंबर को सुझाव देने की अंतिम तारीख थी। अब बिल कैबिनेट के पास जाएगा। संकेत हैं कि 2022 में जनगणना शुरू होने से पहले नया कानून अमल में आ जाएगा। संशोधन के बाद एक ही तारीख पर हर राज्य में यह कानून प्रभावी हो जाएगा।

नया कानून लागू होने के बाद न सिर्फ जन्म और मृत्यु का पूरा डेटा केंद्रीय स्तर पर जमा होने लगेगा, बल्कि इस डेटा के आधार पर एनपीआर, आधार, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट समेत दूसरे डेटाबेस भी अपडेट हो जाएंगे। नए कानून के बाद पूरे देश में जन्म-मृत्यु पंजीयन का फॉर्मेट एक हो जाएगा। अभी हर राज्य में यह डेटा और जारी होने वाला प्रमाण-पत्र अलग होता है। साथ ही राज्य के स्तर पर ही इस डेटा को डिजिटल फॉर्म में लाने का काम भी शुरू किया जाएगा। सरकार इस डेटा के जरिये अपने बाकी डेटाबेस को अपडेट करेगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि केंद्रीय योजनाओं के पात्र लोगों की मॉनिटरिंग केंद्रीय स्तर पर हो पाएगी। enterhindi.com में आप सभी लोगो का स्वागत है | वन नेशन-वन डेटा के तहत विस्तृत जानकारी के आर्टिकल के पूरा पढ़े |

4 बड़े बदलाव लाएगा नया कानून:- One Nation One Data

1. सरकार से संवाद: अब सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए सरकार खुद पात्र लोगों से संपर्क करेगी। मॉनिटरिंग होगी कब कौन पात्र बना।
2. एनपीआर निर्बाध: डेटा राज्यों के पास ही होने से पिछली बार 12 राज्यों ने एनपीआर का हिस्सा बनने से मना कर दिया था। अब उन पर निर्भरता नहीं होगी।
3. साफ होगा डेटाबेस: अभी जन्म लेने वालों के नए आधार, लाइसेंस आदि बनते हैं, मगर मरने के बाद यह कार्ड बंद नहीं हो पाते। अब मरने वालों का डेटा हटेगा।
4. जनगणना नहीं होगी: 2022 की जनगणना संभवत: आखिरी होगी। अब आंकड़ों के लिए 10 साल का इंतजार खत्म होगा। हर महीने सारा डेटा अपडेट होगा।

नए कानून की वजह से क्या-क्या बदलेगा: One Nation One Data

जन्म-मृत्यु पंजीकरण के कानून में संशोधन से क्या-क्या बदलाव होंगे?

पूरे डेटाबेस को डिजिटल बनाने की दिशा में यह अहम कदम है। अभी राज्य मैनुअल आंकड़े रखते हैं। हर राज्य को ये आंकड़े अब डिजिटल करने होंगे। इससे बहुत जल्दी ही पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी। अभी राज्यों से वार्षिक रिपोर्ट के रूप में ये आंकड़े केंद्र के पास जाते हैं। कम से कम एक साल बाद तस्वीर सामने आ पाती है। नए कानून पर अमल के बाद एक समय यह आएगा कि राज्यों में जन्म-मृत्यु का आंकड़ा दर्ज होते ही केंद्र के पास भी खुद ब खुद यह डेटा अपडेट हो जाएगा।

ये समन्वय कैसे किया जाएगा?

हर राज्य में राज्य सरकार की ओर से नियुक्त चीफ रजिस्ट्रार को केंद्र की ओर से तय किए गए फॉॅर्मेट में यूनीफाइड डेटा रखना होगा और इसे केंद्र में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को भेजना होगा।

केंद्र में डेटाबेस बनने से क्या लाभ होगा?

अभी तक कई तरह के कार्ड हैं। इनमें आधार, लाइसेंस, पासपोर्ट, राशनकार्ड, मतदाता प्रमाण आदि शामिल हैं। ये डेटाबेस लगातार बढ़ रहा है। लेकिन किसी की मृत्यु के बाद भी कार्ड सक्रिय रहते हैं। इससे डेटा का जमाव व दुरुपयोग की आशंका भी बढ़ रही है। केंद्रीय स्तर पर ताजा डेटा होने से मृतकों के डेटा को पूरे बेस से हटाया जा सकेगा।

जनगणना पर इसका क्या असर होगा?

नए कानून से जनगणना के लिए 10 साल का इंतजार खत्म हो जाएगा। हर महीने आबादी की पूरी तस्वीर केंद्र के पास होगी। हालांकि ऐेसा होने में समय लगेगा। 2022 की जनगणना तय प्रक्रिया से होगी, हालांकि डेटा कलेक्शन आसान हो जाएगा।

कानून में एकदम नए प्रावधान क्या हैं?

अनाथ, सड़क पर बेसहारा छोड़े गए या गोद लिए गए बच्चों के प्रमाण पत्रों को केंद्रीय कानून के जरिए मान्यता देने की व्यवस्था इसमें शामिल है।

जनता के लिए प्रक्रिया में क्या बदलाव है?

पहले के कानून में यह व्यवस्था थी कि जल्दी से जल्दी जन्म या मृत्यु की सूचना देकर प्रमाण लिया जाए। संशोधित प्रस्तावित कानून में यह समय अवधि 7 दिन रखी गई है। इसके बाद सशर्त प्रमाण पत्र मिलेगा।

कानून से सरकार बड़ा बदलाव क्या चाहती है?

नागरिकों का केंद्रीय स्तर पर डेटाबेस होने के बाद सरकार सीधे किसी भी योजना या सुविधा के पात्र व्यक्ति की मॉनिटरिंग कर पाएगी। मसलन, जन्म का सही डेटा होने से जब कोई किशोर 18 वर्ष का होने जा रहा होगा तो उसके मोबाइल पर अलर्ट मिलने लगेंगे कि उसे अब मतदाता सूची में नाम दर्ज करा लेना चाहिए।

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