MP घरेलू हिंसा सहायता योजना- मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक के दौरान मध्य प्रदेश में दिनांक 18 जनवरी 2022 को नई योजना की स्वीकृति प्रदान की गई है। नई योजना का नाम मध्य प्रदेश घरेलू हिंसा सहायता योजना रहेगा। इसके तहत अब घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को प्रदेश सरकार 4 लाख तक की आर्थिक सहायता देगी। योजना के तहत अलग-अलग केटेगरी निर्धारित की जाएगी।

मध्य प्रदेश सरकार ने घरेलू हिंसा के कारण विकलांग होने वाली महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने की एक योजना को मंगलवार को मंजूरी दी है. एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया है.

अधिकारी ने बताया कि योजना के तहत 40 प्रतिशत तक विकलांग महिलाओं को दो लाख रुपए, जबकि 40 प्रतिशत से अधिक विकलांग महिलाओं को चार लाख रुपए दिए जाएंगे. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अगर मामले में कानूनी प्रक्रिया चल रही है तो पीड़ित महिलाओं को घर से अदालत तक आने-जाने का परिवहन खर्च भी मिलेगा

MP घरेलू हिंसा सहायता योजना: बालिकाओं को भी मिलेगी आर्थिक सहायता:

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में कैबिनेट ने फैसला लिया कि प्रदेश में घरेलू हिंसा की पीड़ित बालिका या महिला को सरकार ने आर्थिक सहायता दी जाएगी।

MP घरेलू हिंसा सहायता योजना का प्रारूप :

प्रदेश की कैबिनेट की बैठक में निर्णय लेने के पश्चात पूरी योजना का प्रारूप तैयार किया जाएगा प्रारंभिक तौर पर बताया जा रहा है कि प्रदेश में इस योजना के तहत पीड़िता को शरीर के किसी भी अंग की क्षति 40% से कम होने पर 2 लाख और इससे अधिक होने पर 4 लाख रुपए तक सहायता दी जाएगी।

मध्य प्रदेश घरेलू हिंसा सहायता योजना के लिए आवेदन कैसे करे :

महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी मध्यप्रदेश अपराध पीड़ित प्रतिकर योजना लागू है। इसमें सभी प्रकार की हिंसा शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने घरेलू हिंसा की पीड़िता को सहायता देने का प्रावधान करने की घोषणा की थी। इसके अनुरूप योजना बनाई है।

इसमें घरेलू हिंसा की शिकार बालिका या महिला को जिले के वन स्टॉप सेंटर को प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के साथ आवेदन देना होगा। प्रतिकर योजना में दोषसिद्ध पर ही पूर्ण मुआवजा राशि दी जाती है। नई योजना में ऐसी बाध्यता नहीं है।

कलेक्टर की अध्यक्षता में हर जिले में बनाई कमेटी:

गृहमंत्री ने बताया कि हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसमें पुलिस अधीक्षक, सीएमएचओ और महिला एवं बाल विकास जिला कार्यक्रम अधिकारी भी शामिल किए गए हैं। यदि कमेटी के निर्णय से पीड़िता संतुष्ट नहीं होती है तो ऐसी स्थिति में वह 60 दिन में संभागायुक्त के समक्ष अपील कर सकेगी।

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