कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे होता है? जानिए पूरी जानकारी

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कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे होता है

कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे होता है, हिंदी में जानकारी

कोरोना वायरस कैसे फैलता है कोरोना का कहर बहौत तेज़ी से बढ़ रहा है, और ये बहौत खतरनाक बीमारी बन चुकी है, लाखों लोग इसकी चपेट में आगये हैं, और हज़ारों लोगों की मौत होगयी है। भारत में भी ये बीमारी फ़ैल चुकी है। और सरकार हर वो काम कर रही है, जिससे इसको रोका जाए।

कोरोना से बचने के लिए तेज़ी से कोसिस जारी है, और इसके लिए एक कारगर दवाई बनाई जा रही है, इसका टेस्ट भी होता है, जिसको की मशीन से किआ जाता है, आइये जानते हैं की कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे होता है? कैसे पता चलता है की किसी व्यक्ति को कोरोना की बीमारी है या नहीं।

कोरोना वायरस कैसे फैलता है?

सामान्य सर्दी, खांसी, बुखार या वायरल फ्लू के लक्षण भी कोरोना से मिलते हैं। ऐसे में लोगों को संशय(कन्फ्यूजन) हो जाता है। कोरोना, इन बीमारियों से अलग जानलेवा रोग है। जर्नल एनल ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पांच दिन के अंदर शरीर में तीन खास तरह के लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में आपको कोरोना वायरस की शिकायत हो सकती है।

कोरोना वायरस बहौत तेज़ी से बढ़ रहा है, एसे में बहौत सारे लोगों के मन में बहौत सारे सवाल आरहे हैं की कैसे फैलता है, और सबसे बड़ी बात की कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे होता है। आइये सबसे पहले जानते हैं की कोरोना वायरस का टेस्ट क्या है?

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का कहना है कि पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) का टेस्ट किसी नामी लैब में ही कराया जाता है. ये पीसीआर टेस्ट गले, श्वास नली के लिक्विड और मुंह की लार की सैंपल के स्वैब पर किए जाते हैं. इस तरह के टेस्ट आमतौर पर इन्फ्लूएंजा ए, इन्फ्लूएंजा बी और एच1 एन1 वायरस का पता लगाने के लिए किए जाते हैं.

डॉक्टर्स के मुताबिक, नाक और गले के पिछले हिस्से दो ऐसी जगहें हैं जहां वायरस के मौजूद होने की संभावना ज्यादा होती हैं. स्वैब के जरिए इन्हीं कोशिकाओं को उठाया जाता है. स्वैब को ऐसे सॉल्यूशन में डाला जाता है जिनसे कोशिकाएं रिलीज होती हैं. स्वैब टेस्ट का इस्तेमाल सैंपल में मिले जेनेटिक मैटेरियल को कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड से मिलाने में किया जाता है.

क्या होता है पीसीआर (PCR) टेस्ट?

पीसीआर (पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन) डीएनए (DNA) या आरएनए (RNA) के केवल मिनट मात्रा वाले नमूनों में डीएनए (या आरएनए) के एक छोटे अनुक्रम का विश्लेषण करने की एक विधि है। पीसीआर का उपयोग डीएनए या आरएनए के चयनित वर्गों को पुन: उत्पन्न (प्रवर्धित) करने के लिए किया जाता है। इससे पहले, डीएनए के प्रवर्धन में बैक्टीरिया में अभिव्यक्ति के लिए वैक्टर में रुचि के खंडों को शामिल करना, और सप्ताह लगते थे। लेकिन अब, टेस्ट ट्यूब में किए गए पीसीआर के साथ, इसमें केवल कुछ घंटे लगते हैं। पीसीआर इस बात में अत्यधिक कुशल है कि प्रतियों की अनकही संख्या डीएनए से बनाई जा सकती है।

कोरोना वायरस का टेस्ट कैसे होता है?

(PCR) टेस्ट की मदद से कोरोना वायरस का टेस्ट किआ जाता है। इस प्रकिया में पहले 6 घंटे का समय लगता था लेकिन रियल टाइम पीसीआर ने नमूनों का परीक्षण करने में लगने वाले समय को 4 घंटे तक कम कर दिया है। कुल मिलाकर सैंपल लेने और रिपोर्ट देने तक में लगने वाला समय लगभग 24 घंटे है। कभी-कभी ये उससे कम भी हो सकता है।

(PCR) टेस्ट की मदद से भारत में रोजाना 10,000 सैंपल टेस्ट किए जा सकते हैं। देश भर में 52 केंद्रों पर कोरोना वायरस के टेस्ट किए जा रहे हैं। तो इस तरह से किआ जाता है कोरोना वायरस का टेस्ट।

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