European Union: यूरोपियन यूनियन 27 देशों का एक समूह है जो एक संसक्त आर्थिक और राजनीतिक ब्लॉक के रूप में कार्य करता है।  इसके 19 सदस्य देश अपनी आधिकारिक मुद्रा के तौर पर ‘यूरो’ का उपयोग करते हैं, जबकि 9 सदस्य देश (बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, स्वीडन एवं यूनाइटेड किंगडम) यूरो का उपयोग नहीं करते हैं। 

यूरोपियन यूनियन 27 देशों का एक समूह है जिस का निर्माण विश्व की  आर्थिकता को मज़बूत बनाने के लिए किया गया था। इस समूह के देश आपस में बिना किसी कर (tax) के व्यापार कर सकते हैं और इनके सामने अगर कोई मुश्किल आती है तो समूह के सभी सदस्य मिलकर उसका सामना करते हैं। 

आप सभी लोगो के मन में सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर यूरोपियन यूनियन क्या है और इसके लक्ष्य क्या हैं, और यह कैसे कार्य करता है, आप सभी की इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए हम अपने इस आर्टिकल में इसी की जानकारी दे रहे हैं, अतः आप सभी से अनुरोध है की हमारे आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े|

यूरोपियन यूनियन (EU) क्या है?: European Union

European Union kya hai

कुछ लोग यूरोपियन यूनियन को EU भी कह देते हैं। इस यूनियन में मौजूद देशों के लोग सदस्य देशों में बिना किसी पासपोर्ट के जा सकते हैं और व्यापार कर सकते हैं क्योंकि इस समूह में बॉर्डर जैसी समस्या है ही नहीं और संघ की यही विशेषता यूरोपियन यूनियन को एक शक्तिशाली समूह बनाती है।

यूरोपियन यूनियन का अपना एक खुद का संसद भी है जिसमें समय समय पर नीतियों पर चर्चा की जाती है और इन नीतियों को सभी देशों पर लागू किया जाता है। अगर कोई सदस्य देश इन नीतियों को मानने से इंकार कर देता है तो वह नीतियां उस देश पर लागू नहीं होती जिसका अर्थ है कि संघ सभी सदस्यों की इच्छाओं का आदर करता है।

यूरो  मुद्रा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जो 27 देशों के इस समूह में से केवल 19 देशों में ही मान्य है। इन मान्य देशों को यूरो ज़ोन भी कहा जाता है। बाकी के 8 सदस्य देश इस मुद्रा को अपने देश में संचालित नहीं करना चाहते जिससे हमें यह देखने को मिलता है कि कुछ चीज़ों में यूरोपियन यूनियन अपने सदस्यों का समर्थन भी करता है।

परंतु जो मुद्दे बड़े होते हैं और यूरोपियन यूनियन के हित में होते हैं उनका सभी देशों को पालन करना होता है। इसका एक उदाहरण ब्रिटेन है जिसने कई सालों तक इस संघ से बहार निकलने का प्रयास किया और आख़िरकार 2020 में सफलतापूर्वक यूरोपियन यूनियन की सदस्य्ता को अलविदा कह दिया।

वर्तमान में यूरोपियन यूनियन का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है और साथ ही साथ इसके दो कार्यालय दो जगहों लक्ज़मबर्ग और स्ट्रॉबग्र में स्थित हैं। यूरोपियन यूनियन के ज़्यादातर कार्यालय बेल्जियम देश में स्थित हैं।

यूरोपियन यूनियन में शामिल देशों की सूचि: European Union Country List

यूरोपियन यूनियन में कुल 27 देश शामिल है जिस की सूचि कुछ इस प्रकार है-

  • जर्मनी
  • डेनमार्क
  • लक्समबर्ग
  • बेल्जियम
  • आयरलैंड
  • फ्रांस
  • इटली
  • नीदरलैंड
  • पुर्तगाल
  • ग्रीस
  • स्पेन
  • फिनलैंड
  • स्वीडन
  • ऑस्ट्रिया
  • साइप्रस
  • लातविया
  • चेक गणतंत्र
  • पोलैंड
  • एस्टोनिया
  • हंगरी
  • क्रोएशिया
  • लिथुआनिया
  • रोमानिया
  • माल्टा
  • स्लोवाकिया
  • स्लोवेनिया
  • बुल्गारिया

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले इस समूह में 28 देश शामिल थे लेकिन 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन ने यूरोपियन यूनियन की सदस्य्ता छोड़ दी जिसके बाद इसमें 27 सदस्य बचे हैं। यूरोपियन यूनियन से निकलने वाला ब्रिटेन ही इकलौता और पहला सदस्य देश है।

यूरोपियन यूनियन का इतिहास :

यूरोपियन यूनियन की स्थापना 6 अलग अलग देशों ने मिलकर की थी जिसका मूल उद्देश्य आपस में कर मुक्त व्यापार करना है, जिससे सभी देश आर्थिक रूप से मज़बूत हों और बिना किसी दिक्कत के यह सभी देश आपस में आयात और निर्यात कर सकें।

  • यूरोपीय एकीकरण को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अत्यधिक राष्ट्रवाद को नियंत्रित करने के रूप में देखा गया था जिसने महाद्वीप को लगभग तबाह कर दिया था। 
  • वर्ष 1946 में जुरिच विश्वविद्यालय, स्विट्ज़रलैंड में विंस्टन चर्चिल ने आगे बढ़कर यूनाइटेड स्टेट ऑफ यूरोप के उद्भव की वकालत की।
  • वर्ष 1952 में 6 देशों (बेल्जियम, फ्राँस , जर्मनी, इटली, लक्जमबर्ग और नीदरलैंड) द्वारा अपने कोयला और इस्पात उत्पादन को एक आम बाज़ार में रखकर, उनकी संप्रभुता के हिस्से को खत्म करने हेतु पेरिस संधि के तहत यूरोपीय कोल एवं स्टील कम्युनिटी (European Coal and Steel Community – ECSC) की स्थापना की गई थी। 
    • वर्ष 1952 में पेरिस संधि के तहत यूरोपीय न्यायालय ( वर्ष 2009 तक इसे यूरोपीय समुदायों के न्याय के लिये न्यायालय कहा जाता था ) की  स्थापना भी की गई थी। 
  • यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय (EAEC या Euratom) यूरोप में परमाणु ऊर्जा हेतु एक विशेषज्ञ बाज़ार बनाने के मूल उद्देश्य के साथ यूरेटोम संधि (1957) द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इसके अलावा इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा विकसित करके अपने सदस्य राज्यों में इसे वितरित करना और अधिशेष को गैर-सदस्य राज्यों को बेचना है।
    • इसके सदस्यों के संख्या यूरोपियन यूनियन के समान ही है जिसका शासन यूरोपीय आयोग एवं परिषद द्वारा किया जाता है तथा इसका संचालन यूरोपीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत होता है। 
  • यूरोपीय आर्थिक समुदाय (European Economic Community – EEC) की स्थापना रोम संधि(1957) के अनुसार की गई थी। समुदाय का प्रारंभिक उद्देश्य संस्थापक सदस्यों (छः) के मध्य एक साझा बाज़ार एवं  सीमा शुल्क संघ शामिल करते हुए आर्थिक एकीकरण स्थापित करना था। 
    • इसका अस्तित्व लिस्बन संधि-2007 द्वारा समाप्त हो गया एवं इसकी गतिविधियों को EU में शामिल कर लिया गया था। 
  • विलय संधि ( Merger Treaty) (1965, ब्रुसेल्स) में हुए एक समझौते के अनुसार तीन समुदायों (ECSC, EAEC और EEC) का विलय कर यूरोपीय समुदाय की स्थापना की गई। 
    • EEC के आयोग एवं परिषद को अन्य संगठनों में अपने समकक्षों (ECSC, EAEC) की ज़िम्मेदारियों लेनी थीं। 
    • ECs का  प्रारंभिक तौर पर विस्तार वर्ष 1973 में तब हुआ जब डेनमार्क, आयरलैंड, यूनाइटेड किंगडम इसके सदस्य बने थे। इसके बाद वर्ष 1981 में ग्रीस तथा वर्ष 1986 में पुर्तगाल और स्पेन इसमें शामिल हुए। 
  • शेंगेन समझौता (Schengen Agreement-1985) में अधिकांश सदस्य राज्यों के मध्य बिना पासपोर्ट नियंत्रण के(without pasport controls) खुली सीमाओं के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया गया। यह वर्ष 1995 में प्रभावी था। 
  • सिंगल यूरोपीय अधिनियम (1986): इस अधिनियम को यूरोपीय समुदाय द्वारा अधिनियमित किया गया। इसने अपने सदस्य देशों को उनके आर्थिक विलय हेतु  एक समय सारिणी बनाने के लिये प्रतिबद्ध किया और एक अलग यूरोपीय मुद्रा एवं साझा विदेशी तथा घरेलू नीतियों को स्थापित किया। 
  • मास्ट्रिच संधि-1992: (इसे यूरोपीय संघ की संधि भी कहा जाता है) इस संधि को नीदरलैंड के मास्ट्रिच में  यूरोपीय समुदाय के सदस्यों द्वारा 7 फरवरी, 1992 को हस्ताक्षरित किया गया था ताकि यूरोपीय एकीकरण को आगे बढ़ाया जा सके। इसे शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अधिक प्रोत्साहन/बढ़ावा मिला। 
    • यूरोपीय समुदाय (ECSC, EAEC और EEC) को यूरोपीय संघ के रूप में शामिल किया गया। 
    • यूरोपीय नागरिकता बनाई गई, जिससे नागरिकों को सदस्य राज्यों के मध्य स्वतंत्र रूप से रहने और स्थानांतरित करने की अनुमति मिली।
    • एक साझा विदेशी एवं सुरक्षा नीति की स्थापना की गई थी। 
    • पुलिस और न्यायपालिका के मध्य आपराधिक मामलों में आपसी सहयोग पर सहमति बनी। 
    • इसने एक अलग यूरोपीय मुद्रा ‘यूरो’ के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया । यह यूरोप में बढ़ते आर्थिक सहयोग पर कई दशकों की बहस की परिणाम था। 
    • इसने यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB) की स्थापना की। 
    • इसने यूरोपीय संघ के देशों में रहने वाले लोगों को स्थानीय कार्यालयों और यूरोपीय संसद के चुनावों हेतु सक्षम बनाया।
  • वर्ष 1999 में एक मौद्रिक संघ की स्थापना की गई थी जिसे वर्ष 2002 में पूर्णरूप से प्रभाव में लाया गया तथा यह यूरो मुद्रा का प्रयोग करने वाले 19 यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों से बना है। ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया एवं स्पेन इसके सदस्य देश हैं। 
  • वर्ष 2002 में पेरिस संधि (1951) समाप्त हो गई और ECSC का अस्तित्व भी समाप्त हो गया एवं इसकी सभी गतिविधियों या कार्यों को यूरोपीय समुदाय द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया। 
  • वर्ष 2007 की लिस्बन संधि :
    • लिस्बन की संधि (इसे प्रारंभ में सुधार संधि के रूप में जाना जाता है) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो दो संधियों में संशोधन करता है तथा यह EU के संवैधानिक आधार का गठन करती है। 
    • EAEC केवल एक ऐसा सामुदायिक संगठन है जो कानूनी तौर पर यूरोपीय संघ से पृथक है परंतु इनकी सदस्यता एक समान है और इनका शासन यूरोपीय संघ के विभिन्न संस्थानों द्वारा किया जाता है। 
  • यूरो संकट: यूरोपीय संघ और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) ने वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय बाज़ार के पतन के बाद से पुर्तगाल, आयरलैंड, ग्रीस और स्पेन में उच्च संप्रभु ऋण और कम होते विकास के साथ संघर्ष किया है। वर्ष 2009 में ग्रीस एवं आयरलैंड को इस समुदाय से वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ जो राजकोषीय मितव्ययिता का रूप था। वर्ष 2011 में पुर्तगाल ने द्वितीय ग्रीक राहत पैकेज (Second Greek bailout) का अनुसरण किया। 
    • ब्याज दरों में की गई कटौती और आर्थिक प्रोत्साहन इन समस्याओं का समाधान करने में असफल हो रहे।
    • जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम एवं नीदरलैंड जैसे उत्तरी देशों ने दक्षिण से हुए वित्तीय पलायन पर  नाराज़गी जताई।
  • वर्ष 2012 में यूरोप में मानव अधिकारों, लोकतंत्र और शांति एवं मेल-मिलाप की उन्नति में योगदान के लिये EU को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • ब्रेक्ज़िट (Brexit): वर्ष 2016 में यू.के. सरकार द्वारा एक जनमत संग्रह का आयोजन किया गया और राष्ट्रों ने EU को त्यागने के पक्ष में मतदान किया। वर्तमान में EU से औपचारिक रूप से बाहर निकलने के लिये यूनाइटेड किंगडम के अंतर्गत एक प्रक्रिया है। 
  • अब यूरोपीय संघ से औपचारिक रूप से बाहर आने  की प्रक्रिया ब्रिटेन की संसद के अधीन है।

सरल भाषा में समझे यूरोपियन यूनियन का इतिहास:

यूरोपियन यूनियन की स्थापना 6 अलग अलग देशों ने मिलकर की थी जिसका मूल उद्देश्य आपस में कर मुक्त व्यापार करना है, जिससे सभी देश आर्थिक रूप से मज़बूत हों और बिना किसी दिक्कत के यह सभी देश आपस में आयात और निर्यात कर सकें।

उस समय इस संघ का नाम यूरोपियन कोल एंड स्टील कम्युनिटी (Europian Coal and Steal Community) रखा गया था और यह पेरिस संधि का समय था। इस संधि की स्थापना वर्ष 1951 में 6 देशों ने मिलकर की थी जिसका मुख्य उद्देश्य था कि सभी सदस्य देश कोयले और स्टील के व्यापार को विकसित कर सकें और अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत कर सकें। उस समय इस संघ में जर्मनी, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, बेल्जियम और लक्समबर्ग शामिल थे।

पेरिस संधि की पार सफलता से प्रेरित होकर इन 6 देशों ने एक और संधि का गठन किया जिसे रोम संधि कहा जाता है। साथ ही साथ इस संधि का नाम यूरोपियन आर्थिक समुदाय (Europian Economic Community) रख दिया गया। वर्ष 1973 में इस संघ का विकास देखते हुए संघ के साथ डेनमार्क, ब्रिटेन और आयरलैंड भी जुड़ गए।

इनके बेहतर आर्थिक विकास को देखते हुए वर्ष 1981 से 1986 के बीच 3 और देश शामिल हो गए जोकि ग्रीस, स्पेन और पुर्तगाल थे। इससे संघ के सदस्यों की संख्या 12 हो गई। संघ के विकास के लिए वर्ष 1991 में मेस्ट्रिच संधि हुई जिसमें कई बड़े परिवर्तन हुए, इसमें 2 महत्त्वपूर्ण बदलाव थे। इसमें पहला बदलाव यह था कि इस संघ का नाम बदलकर यूरोपियन यूनियन कर दिया गया और दूसरा संघ द्वारा यूरोपियन मुद्रा को जारी किया गया जिसका नाम यूरो रखा गया।

बाद में वर्ष 1995 में संघ के साथ 3 और नए सदस्य जुड़े जोकि स्वीडन, ऑस्ट्रिया और फ़िनलैंड थे। इसके बाद संघ के कुल सदस्य 15 हो गए। नाइस संधि के दौरान वर्ष 2004 में यूरोपियन यूनियन का सबसे बड़ा बदलाव हुआ जिसके तहत संघ के साथ 10 देश एक साथ जुड़े जिसके बाद संघ के सदस्यों की संख्या 25 हो गयी और EU विश्व का सबसे बड़ा आर्थिक समुदाय बन गया।

बाद में इस समूह में वर्ष 2007 में रोमानिया और बुल्गारिया भी इसमें शामिल हो गए और आख़िरकार वर्ष 2013 में क्रोशिया के शामिल हो जाने के साथ इसकी संख्या 28 हो गई लेकिन 2020 में ब्रिटेन द्वारा इसकी सदस्य्ता छोड़ दी गयी और संघ में सदस्यों की संख्या वापिस 27 हो गई।

यूरोपियन संघ की शासन व्यवस्था :

  • यूरोपीय परिषद
    • यह एक सामूहिक निकाय है जो यूरोपीय संघ की सभी राजनीतिक दिशाओं एवं प्राथमिकताओं को परिभाषित करता है।
    • इसमें यूरोपीय परिषद एवं यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष के साथ साथ राज्यों के प्रमुख या EU सदस्य राज्यों की सरकारें शामिल हैं। 
    • सुरक्षा नीतियों एवं विदेशी मामलों के लिये संघ के उच्च प्रतिनिधि भी सम्मेलनों में भाग लेते हैं। 
    • वर्ष 1975 में इसे एक अनौपचारिक सम्मेलन के रूप में स्थापित किया गया था। लिस्बन संधि की शक्तियों को प्राप्त करने के बाद वर्ष 2009 में यूरोपीय परिषद को एक औपचारिक संस्था के तौर पर स्थापित किया गया था
    • इस सम्मेलन के निर्णयों को सर्वसम्मति से अपनाया गया था। 
  • यूरोपीय संसद : यह यूरोपीय संघ (EU) का एकमात्र संसदीय संस्थान है। यह यूरोपीय संघ की परिषद (इसे ‘परिषद’ के रूप में भी जाना जाता है) के सहयोग से यूरोपीय संघ के विधायी कार्यों (legislative function) को देखता है। 
    • यूरोपीय संसद के पास उतनी अधिक विधायी शक्तियाँ नहीं हैं जितनी कि इसके सदस्य देशों की संसद के पास हैं। 
  • यूरोपीय संघ की परिषद: यह अनिवार्य रूप से द्विसदनीय यूरोपीय संघ के विधानमंडल (Bicameral EU legislature) का एक भाग है (यूरोपीय संसद के रूप में अन्य विधायी निकाय) और यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों की कार्यकारी सरकारों (मंत्री) का प्रतिनिधित्व करती है। 
    • परिषद में यूरोपीय संघ के प्रत्येक देश की सरकार के मंत्री चर्चा करने, संशोधन करने, कानूनों को अपनाने और नीतियों के समन्वय के लिये मिलते हैं। बैठक में सहमत कार्यों को करने के लिये मंत्रियों के पास अपनी सरकारों को प्रतिबद्ध करने काअधिकार है।
  • यूरोपीय आयोग (EC): यह यूरोपीय संघ का एक कार्यकारी निकाय है। यह विधायी प्रक्रियाओं के प्रति उत्तरदायी  है। यह विधानों को प्रस्तावित करने, निर्णयों को लागू करने, यूरोपीय संघ की संधियों को बरकरार रखने और यूरोपीय संघ के दिन-प्रतिदिन के कार्यों के प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है। 
    • आयोग 28 सदस्य देशों के साथ एक कैबिनेट सरकार के रूप में कार्य करता है। प्रति सदस्य देश से एक सदस्य आयोग में शामिल होता है। इन सदस्यों का प्रस्ताव सदस्य देशों द्वारा ही दिया जाता है जिसे यूरोपीय संसद द्वारा अंतिम स्वीकृति दी जाती है। 
    • 28 सदस्य देशों में से एक को यूरोपीय परिषद द्वारा अध्यक्ष पद हेतु प्रस्तावित और यूरोपीय संसद द्वारा निर्वाचित किया जाता है। 
    • संघ के विदेशी मामलों और सुरक्षा नीति के लिये उच्च प्रतिनिधि की नियुक्ति यूरोपीय परिषद द्वारा मतदान द्वारा की जाती है और इस निर्णय के लिये यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष की सहमति आवश्यक होती है। उच्च प्रतिनिधि यूरोपीय संघ के विदेशी मामलों, सुरक्षा एवं रक्षा नीतियों के क्रियान्वयन के लिये ज़िम्मेदार होता है। 
  • यूरोपीय न्यायालय का लेखा-परीक्षक (ECA): यह सदस्य देशों को यूरोपीय संघ की संस्थाओं और यूरोपीय संघ द्वारा किये गए वित्तपोषण के उचित प्रबंधन की जाँच करता है।
    • यह किसी भी कथित अनियमितताओं पर मध्यस्थता करने के लिये
    •  अनसुलझी समस्याओं को यूरोपीय न्यायालय को संदर्भित कर सकता है।
    • ECA के सदस्यों की नियुक्ति 6 वर्षों के लिये परिषद द्वारा संसद से परामर्श के बाद की जाती है। 
  • यूरोपीय संघ का न्यायालय (CJEU): यह सुनिश्चित करने के लिये कि यह सभी यूरोपीय संघ के देशों में समान रूप से लागू होता है, यूरोपीय संघ के कानून की व्याख्या करता है और राष्ट्रीय सरकारों तथा यूरोपीय संघ के संस्थानों के मध्य कानूनी विवादों का समाधान करता है। 
    • EU संस्थान के प्रति कार्रवाई करने के लिये यह व्यक्तियों, कंपनियों या संगठनों के माध्यम से भी संपर्क कर सकता है यदि वे महसूस करते हैं कि EU प्रणाली के अंतर्गत उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। 
    • प्रत्येक न्यायाधीश और महाधिवक्ता को राष्ट्रीय सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से नियुक्त किया जाता है।
    • यह लक्जमबर्ग में अवस्थित है। 
  • यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB): यह यूरो के लिये केंद्रीय बैंक है और यूरो क्षेत्र के भीतर मौद्रिक नीति का संचालन करता है जिसमें यूरोपीय संघ के 19 सदस्य राज्य शामिल हैं।
    • शासन परिषद: यह ECB का एक निर्णय लेने वाला निकाय है। यह यूरो क्षेत्र के देशों के राष्ट्रीय बैंकों के गवर्नर और कार्यकारी बोर्ड से मिलकर बना है। 
    • कार्यकारी बोर्ड: यह ECB के प्रतिदिन के कार्यों को नियंत्रित करता है। इसमें ECB अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष और 4 अन्य सदस्य शामिल हैं जिनकी नियुक्ति यूरो क्षेत्र के देशों के राष्ट्रीय गवर्नर द्वारा की जाती है। 
    • यहउन ब्याज दरों को निर्धारित करता है जिस पर यह यूरो क्षेत्र के व्यावसायिक बैंकों को ऋण देता है, इस प्रकार यह मुद्रास्फीति एवं मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करता है। 
    • यह यूरो क्षेत्र के देशों द्वारा जारी यूरो  बैंक नोट को अधिकृत करता है। 
    • यूरोपीय बैंकिंग प्रणाली की सुदृढ़ता एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। 
    • यह जर्मनी के फ्रैंकफर्ट मे अवस्थित है। 
  • वित्तीय पर्यवेक्षण की  यूरोपीय प्रणाली (ESFS): इसकी स्थापना वर्ष 2010 में  हुई थी। इसमें शामिल हैं:
    • यूरोपियन सिस्टेमेटिक रिस्क बोर्ड (ESRB) 
    • 3 यूरोपीय पर्यवेक्षी प्राधिकरण (ESAs)
      • यूरोपीय बैंकिंग प्राधिकरण (EBA) 
      • यूरोपीय सुरक्षा एवं बाज़ार प्राधिकरण (ESMA) 
      • यूरोपीय बीमा और व्यावसायिक पेंशन प्राधिकरण (EIOPA)  

यूरोपियन यूनियन के लक्ष्य:

यूरोपियन यूनियन का मुख्य लक्ष्य संघ के सदस्य देशों की आर्थिकता को विश्व में मज़बूत करना और इनके सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करना है। लेकिन इसके अलावा इस संघ के और भी लक्ष्य हैं जिसकी जानकारी कुछ इस प्रकार है:-

  • EU के सभी नागरिकों की शांति, मूल्य और कल्याण को सुनिश्चित करना।
  • वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति पर ध्यान देना और नए अविष्कारों के लिए नागरिकों का प्रोत्साहन करना।
  • सामाजिक भेदभाव और बहिष्कारों का समाधान करना।
  • समूह देशों की भाषायी और सामाजिक विभिन्नताओं का आदर करना।
  • एक ऐसे मौद्रिक और आर्थिक संघ का निर्माण करना जिसकी मुद्रा यूरो है।
  • यूरोपियन यूनियन के सभी सदस्यों की आर्थिक, सामाजिक और क्षेत्रीय एकजुटता को बढ़ावा देना।
  • एक आंतरिक बाजार का निर्माण करना जिसमें किसी नागरिक को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।
  • महिलाओं और पुरषों के बीच बीच समानता के साथ साथ बच्चों को सुरक्षा प्रदान करना।

EU और भारत 

  • EU देश भर में शांति स्थापना, रोज़गार सृजन, आर्थिक विकास को बढ़ाने एवं सतत् विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत के साथ निकटता से कार्य करता है। 
  • जैसा कि भारत ने निम्न से मध्यम आय वाले देश की श्रेणी में प्रवेश  किया (OECD वर्ष 2014), भारत-EU सहयोग भी साझा प्राथमिकताओं पर केंद्रित होकर पारंपरिक वित्तीय सहायता से साझेदारी की ओर अग्रसर हुआ है। 
  • वर्ष 2017 में EU-भारत शिखर सम्मेलन में नेताओं ने सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030 के क्रियान्वयन पर सहयोग को मज़बूती प्रदान करने के लिये अपने इरादे को दोहराया और भारत-EU विकास संवाद के विस्तार के अन्वेषण हेतु सहमत हुए। 
  • EU भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, वर्ष 2017 में दोनों के बीच वस्तुओं का कुल व्यापार € 85 बिलियन (95 बिलियन USD) या कुल भारतीय व्यापार का 13.1% है जो चीन (11.4%) और USA (9.5%) से अधिक है। 
  • भारत में यूरोपीय निवेश में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी पिछले दशक में 8% से 18% अधिक हो गई है, जिससे यूरोपीय संघ भारत में पहला विदेशी निवेशक बन गया है। 
  • भारत में यूरोपीय संघ का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश शेयरों की राशि 2016 में € 73 बिलियन थी, जो चीन में यूरोपीय संघ के विदेशी निवेश शेयरों (€ 178,000) से कम लेकिन महत्त्वपूर्ण है।

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