कोरोना वायरस का इलाज क्यों नहीं मिल रहा? कोरोना वायरस के बारे में वैज्ञानिकों की राय:-
कोरोनावायरस का इलाज क्यों नहीं मिल रहा?- दुनियाभर में फैले कोरोनावायरस के बारे में वैज्ञानिकों ने कई अहम खुलासे किए हैं | वैज्ञानिकों के मुताबिक़ कोरोनावायरस डेंगू और जीका से भी तीन गुना खतरनाक है | अमेरिका की कार्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गैरी व्हिटेकर के मुताबिक यह Chemistry और Biology के बीच की कड़ी है | कभी इसकी वजह से रसायनिक क्रियाएं होती हैं, तो कभी इसका व्यवहार माइक्रोब्स की तरह का होता है | यह वायरस सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी है | यही कारण है कि अभी तक इसका इलाज नहीं खोजा जा सका |
वायरस को नियंत्रित करना अत्यंत कठिन:-
लक्षणों का देर से सामने आना: कोरोना वायरस का इलाज क्यों नहीं मिल रहा?
वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर के बाहर यह वायरस निष्क्रिय रहता है | इसमें प्रजनन और मेटाबॉलिज्म जैसे लक्षण नहीं पाए जाते हैं | लेकिन, जैसे ही यह हमारे शरीर के संपर्क में आता है, वह अपने जैसे लाखों वायरस बनाने के लिए हमारी कोशिकाओं को हाईजैक कर लेता है | इसकी विशेषता यह है कि इसके लक्षण सार्स और मर्स की तुलना में बहुत देर से दिखाई देते हैं | यही वजह है कि लोगों को जब तक संक्रमित होने का पता चलता है, तब तक वे दूसरों तक संक्रमण फैला चुके होते हैं |
वायरस का आकार:
कोरोनावायरस का आकार डेंगू, वेस्ट नाइल और जीका फैलाने वाले वायरसों से तीन गुना बड़ा और खतरनाक है | इसे ऐसे समझें कि अगर डेंगू के पास शरीर पर हमला करने के लिए एक हथौड़ा है तो कोरोना के पास अलग-अलग आकार के तीन हथौड़े हैं | यह हालात बदलने पर अपनी प्रकृति बदलकर हमला करता है |
कोरोनावायरस सामान्य रेस्पिरेटरी वायरस से अलग:
यह वायरस सामान्य रेस्पिरेटरी (श्वसन) वायरस से बिल्कुल अलग है | आमतौर पर ये रेस्पिरेटरी (श्वसन) वायरस शरीर में एक समय पर एक जगह हमला करते हैं | जैसे अगर ये गले और नाक पर हमला करते हैं तो वहीं तक रहते हैं और खांसी और छींक के माध्यम से दूसरों तक संक्रमण फैलाते हैं | कुछ वायरस फेफड़ों पर भी हमला करते हैं | जहां वे संक्रमण तो नहीं फैलाते, लेकिन जानलेवा बन जाते हैं | कोरोनावायरस दोनों जगह एक साथ हमला करता है | यह गले और नाक के माध्यम से संक्रमण भी फैलाता है और फेफड़े में कोशिकाओं को मारकर जान भी ले लेता है |
भविष्य में कोरोना सामान्य वायरस में बदल जाएगा:-
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोनावायरस वास्तव में हमें मारना नहीं चाहता | अगर शरीर स्वस्थ रहता है तो यह उनके लिए फायदेमंद होता है | वैज्ञानिकों ने बताया कि हजारों लोगों की जान लेने वाला कोरोनावायरस अपने शुरुआती चरण में है | जब यह किसी शरीर में आता है तो अपनी संख्या को बहुत तेजी से बढ़ाता है | इसकी वजह से मरीज की मौत हो जाती है | ये वायरस के लिए भी नुकसानदायक होता है | लेकिन, समय के साथ यह बदल जाएगा | भविष्य में यह सामान्य वायरस में बदल जाएगा जो सिर्फ खांसने, छींकने तक ही सीमित रहेगा |
कोरोना वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड:-
वायरस के संक्रमण से लक्षण दिखने तक के समय को इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं | इतने समय में वायरस शरीर में जम जाता है | वायरस शरीर में दो स्थानों पर ज्यादा सक्रिय होते हैं | पहला गला और दूसरा फेफड़े | यहां वह अपनी संख्या बढ़ाता है और एक तरह की ‘कोरोनावायरस फैक्ट्रियां’ बनाता है | नए कोरोनावायरस बाकी कोशिकाओं पर हमले में लग जाते हैं | वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड भी लोगों में अलग-अलग हो सकता है | औसतन यह पांच दिन का होता है |