आज़ादी का अमृत महोत्सव:-

केंद्र सरकार ने 12 मार्च 2021 से 15 अगस्त 2022 तक ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrut Mahotsav)’ मनाने की घोषणा की है | राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने पर 12 मार्च से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के साबरमती आश्रम से अमृत महोत्सव की शुरुआत करेंगे | इस दिन प्रधानमंत्री दांडी मार्च यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे | दांडी मार्च में शामिल 81 लोग 386 किलोमीटर की पदयात्रा कर 5 अप्रैल को दांडी पहुंचेंगे |

भारत के गौरवशाली इतिहास में 12 मार्च एक विशेष दिन है | वर्ष 1930 में इसी दिन महात्मा गांधी के नेतृत्व में दांडी यात्रा की शुरुआत हुई थी | आजादी की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की शुरुआत साबरमती आश्रम से होगी | 12 मार्च 2021 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी के दांडी तक 81 लोग पैदल यात्रा करेंगे। इसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री समेत कई गणमान्य लोग शामिल होंगे |

अमृत महोत्सव का उद्देश्य:-

अगले साल देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे | इसी क्रम में 75 हफ्ते पहले शुक्रवार से अमृत महोत्सव शुरू हो रहा है | कार्यक्रम में 15 अगस्त 2022 तक देश के 75 स्थानों पर कई तरह के आयोजन होंगे |

इसमें युवा पीढ़ी को 1857 से 1947 के बीच चले स्वतंत्रता संग्राम की जानकारी देने, आजादी के 75 वर्ष में देश के विकास और आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक विश्वगुरु भारत की तस्वीर दिखाई जाएगी | इसके लिए केंद्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया है | इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया है |

दांडी मार्च या नमक सत्याग्रह क्या था:-

दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है जो सन् 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध किया गया | यह मार्च गांधी द्वारा भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा (सत्याग्रह) आंदोलन का बड़ा स्वरूप था, जो 1931 की शुरुआत तक फैला | इस ऐतिहासिक सत्याग्रह कार्यक्रम में गाँधीजी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गाँव दांडी तक पैदल यात्रा (390 किलोमीटर) करके 06 अप्रैल 1930 को नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून का भंग किया गया था |

नमक सत्याग्रह की मुख्य वजह:-

आज़ादी का अमृत महोत्सव

भारत में अंग्रेजों के शासनकाल के समय नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया था | कई कानूनों के माध्यम से भारतीय आबादी को स्वतंत्र रूप से नमक का उत्पादन या बिक्री करने से प्रतिबंधित किया गया था | नमक जीवन के लिए जरूरी चीज होने के कारण इससे अधिकांश भारतीय प्रभावित हुए जो गरीब थे और इसे खरीदने में असमर्थ थे | नमक कर के खिलाफ भारतीय विरोध 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ और ब्रिटिश शासन की अवधि के दौरान एक प्रमुख विवादास्पद मुद्दा बना रहा|

गांधी-इरविन समझौता:-

इसके बाद महात्मा गांधी को जनवरी 1931 में हिरासत से रिहा कर दिया गया और सत्याग्रह अभियान को समाप्त करने के उद्देश्य से लॉर्ड इरविन के साथ बातचीत शुरू हुई | बाद में एक समझौता घोषित किया गया, जिसे गांधी-इरविन समझौते का औपचारिक रूप दिया गया और इसे 5 मार्च को हस्ताक्षरित किया गया था | तनाव के शांत होने से लंदन में गोलमेज सम्मेलन के दूसरे सत्र (सितंबर-दिसंबर 1931) में भाग लेने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए गांधी के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ |

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