INS Vikrant: IAC
नौसेना को शुक्रवार को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत (Indigenous Aircraft Carrier 1) मिल गया | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि शिपयार्ड में करीब डेढ़ घंटे चली कमिशनिंग सेरेमनी में ये एयरक्राफ्ट कैरियर नेवी को सौंपा | साथ ही एक और बड़ा बदलाव हुआ | नेवी को नया नौसेना ध्वज सौंपा गया | इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है | अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न है, जिसे PM मोदी ने महाराज शिवाजी को समर्पित किया |
1961 में भारतीय नौसेना में शामिल हुए INS Vikrant का ध्येय वाक्य ‘जयेम सं युधिस्पृध‘ यानी जो मुझसे युद्ध करेगा, उसे मैं पूरी तरह से पराजित कर दूंगा था | आज भी IAC Vikrant का ध्येय वाक्य यही है | यह ऋग्वेद से ली गई ऋचा (मंत्र) का हिस्सा है | जो इंद्र देवता को संबोधित करते हुए कहा गया है कि आपके विनाशकारी हथियार से जो ताकत मुझे मिली है, मैं उससे जीतूंगा |
पुराने विक्रांत का पेनेंट नंबर R11 था, आज भी विक्रांत का नेमसेक R11 है | सबसे बड़ी बात दोनों का नाम ‘विक्रांत’ है | यानी जिसे कोई युद्ध में हरा न सके | यह शब्द संस्कृत का है | जिसका मतलब होता है बहादुर | इसकी उत्पत्ति भगवद गीता के पहले अध्याय के छठे श्लोक में होती है | जिसमें पांडव के कुछ सेनानायकों की बहादुरी का जिक्र है | INS Vikrant को 36 साल सर्विस देने के बाद 15 वर्षों तक बतौर म्यूजियम मुंबई में तैनात किया गया था | लोग उसकी क्षमताओं को देखते थे |
आखिर कैसे बना INS विक्रांत:-
भारत में बने आईएनएस विक्रांत में इस्तेमाल सभी चीजें स्वदेशी नहीं हैं | यानी कुछ कलपुर्जे विदेशों से भी मंगाए गए हैं | हालांकि, नौसेना के मुताबिक, पूरे प्रोजेक्ट का 76 फीसदी हिस्सा देश में मौजूद संसाधनों से बना है |विक्रांत के निर्माण के लिए जरूरी युद्धपोत स्तर की स्टील को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) से तैयार करवाया गया | इस स्टील को तैयार करने में भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) की भी मदद ली गई | बताया गया है कि SAIL के पास अब युद्धपोत स्तर की स्टील बनाने की जो क्षमता है, वह आगे देश में काफी मदद करेगी |
नौसेना के मुताबिक, इस युद्धपोत की जो चीजें स्वदेशी हैं, उनमें 23 हजार टन स्टील, 2.5 हजार टन स्टील, 2500 किलोमीटर इलेक्ट्रिक केबल, 150 किमी के बराबर पाइप और 2000 वॉल्व शामिल हैं | इसके अलावा एयरक्राफ्ट कैरियर में शामिल हल बोट्स, एयर कंडीशनिंग से लेकर रेफ्रिजरेशन प्लांट्स और स्टेयरिंग से जुड़े कलपुर्जे देश में ही बने हैं |
भारत के कई बड़े औद्योगिक निर्माता इस एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण से जुड़े रहे | इनमें भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BEL), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), किर्लोस्कर, एलएंडटी (L&T), केल्ट्रॉन, जीआरएसई, वार्टसिला इंडिया और अन्य शामिल रहे। इसके अलावा 100 से ज्यादा मध्यम और लघु उद्योगों ने भी इस पोत पर लगे स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी के निर्माण में मदद की |
इस युद्धपोत को बनाने में 50 भारतीय उत्पादक शामिल रहे | इसके निर्माण के दौरान हर दिन दो हजार भारतीयों को सीधे तौर पर रोजगार मिला, जबकि 40,000 अन्य को परोक्ष तरीके से इस प्रोजेक्ट में काम करने का मौका मिला | इस पोत को बनाने में लगी 23 हजार करोड़ रुपये की लागत का 80-85 फीसदी वापस भारतीय अर्थव्यवस्था में ही लगा दिया गया |
जानें INS विक्रांत की खासियत:-
- कोचिन शिपयार्ड में बने INS विक्रांत की लंबाई 262 मीटर है | वहीं, इसकी चौड़ाई भी करीब 62 मीटर है | यह 59 मीटर ऊंचा है और इसकी बीम 62 मीटर की है | युद्धपोत में 14 डेक हैं और 1700 से ज्यादा क्रू को रखने के लिए 2300 कंपार्टमेंट्स हैं | इनमें महिला अधिकारियों के लिए अलग से केबिन बनाए गए हैं | इसके अलावा इसमें ICU से लेकर चिकित्सा से जुड़ी सभी सेवाएं और वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं भी हैं | INS विक्रांत का वजन करीब 40 हजार टन है, जो इसे अन्य एयरक्राफ्ट से विशाल बनाता है |
- INS विक्रांत की असली ताकत सामने आती है समुद्र में, जहां इसकी अधिकतम स्पीड 28 नॉट्स तक है | यानी करीब 51 किमी प्रतिघंटा | इसकी सामान्य गति 18 नॉट्स यानी 33 किमी प्रतिघंटा तक है | यह एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 7500 नॉटिकल मील यानी 13,000+ किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है |
- इस एयरक्राफ्ट कैरियर की विमानों को ले जाने की क्षमता और इसमें लगे हथियार इसे दुनिया के कुछ खतरनाक पोतों में शामिल करते हैं | नौसेना के मुताबिक, यह युद्धपोत एक बार में 30 एयरक्राफ्ट ले जा सकता है | इनमें मिग-29के फाइटर जेट्स के साथ-साथ कामोव-31 अर्ली वॉर्निंग हेलिकॉप्टर्स, एमएच-60आर सीहॉक मल्टीरोल हेलिकॉप्टर और एचएएल द्वारा निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं | नौसेना के लिए भारत में निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट- एलसीए तेजस भी इस एयरक्राफ्ट कैरियर से आसानी से उड़ान भर सकते हैं |