Lal Bahadur Shastri Jayanti:-
हर साल 2 अक्टूबर को देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई जाती है | इस बार उनकी 118वीं जयंती है | राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्म एक ही दिन हुआ था | ऐसे में 2 अक्टूबर को दोनों महापुरुषों की जयंती मनाई जाती है | दोनों ने ही भारत की आजादी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया |
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था | वे स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता भी थे | उन्होंने “जय जवान जय किसान (Jai Jawan Jai Kisan)” का नारा दिया जिसका अर्थ है “सैनिक की जय हो, किसान की जय हो” |
लाल बहादुर शास्त्री ने पूर्व मध्य रेलवे इंटर कॉलेज मुगलसराय और वाराणसी में पढ़ाई की | उन्होंने 1926 में काशी विद्यापीठ से स्नातक की पढ़ाई पूरी की | उन्हें विद्या पीठ द्वारा उनके स्नातक उपाधि के एक भाग के रूप में “शास्त्री” अर्थात “विद्वान” शीर्षक दिया गया था | लेकिन यह खिताब उनका नाम हो गया | लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक से बहुत प्रभावित थे |
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उनकी शादी 16 मई 1928 को ललिता देवी से हुई | वे लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित Servants of the People Society (लोक सेवक मंडल) के आजीवन सदस्य बने | वहाँ उन्होंने पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए काम करना शुरू किया और बाद में वे उस सोसाइटी के अध्यक्ष बने | 1920 के दशक के दौरान, शास्त्री जी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए, जिसमें उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया | इसके लिए अंग्रेजों द्वारा उन्हें कुछ समय के लिए जेल भेज दिया गया |
1930 में, उन्होंने नमक सत्याग्रह में भी भाग लिया, जिसके लिए उन्हें दो साल से अधिक की कैद हुई | 1937 में, वह उत्तर प्रदेश के संसदीय बोर्ड के आयोजन सचिव के रूप में शामिल हुए | महात्मा गांधी द्वारा मुम्बई में भारत छोड़ो भाषण जारी करने के बाद, उन्हें 1942 में फिर से जेल भेज दिया गया | उन्हें 1946 तक जेल में रखा गया था | शास्त्री ने कुल मिलाकर नौ साल जेल में बिताए थे |
उन्होंने जेल में अपने प्रवास का उपयोग पुस्तकों को पढ़ने और स्वयं को पश्चिमी दार्शनिकों, क्रांतिकारियों और समाज सुधारकों के कार्यों से परिचित करने के लिए किया |
Lal Bahadur Shastri से जुड़ी रोचक बातें:-
- बचपन में ही शास्त्री जी के पिता की मौत हो गई थी, जिसके कारण वे मां के साथ अपने ननिहाल मिर्जापुर चले गए | यहीं पर उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई | उन्होंने शिक्षा हासिल करने के लिए विषम परिस्थितियों का डटकर सामना किया | बताया जाता है कि वह रोजाना नदी तैरकर स्कूल जाया करते थे, क्योंकि उस समय बहुत कम गांवों में ही स्कूल होते थे |
- जाति-व्यवस्था का विरोध करते हुए 12 साल की उम्र में ही उन्होंने अपना उपनाम ‘श्रीवास्तव’ छोड़ दिया | ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि दी गई, जिसका अर्थ है विद्वान |
- महज 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए |
- 15 अगस्त 1947 को शास्त्री जी पुलिस और परिवहन मंत्री बने | उनके कार्यकाल के दौरान ही पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की गई थी | उन्होंने ही अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी-डंडों के बजाय पानी के जेट का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया था |
- शास्त्री जी के पास शेवरले इम्पाला कार थी, जिसका वो आधिकारिक उपयोग के लिए इस्तेमाल करते थे | बताया जाता है कि एक बार उनके बेटे ने ऑफिशियल कार का इस्तेमाल किया | जब शास्त्री जी को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने अपने ड्राइवर से पूछा कि निजी इस्तेमाल के लिए कार का कितनी दूरी पर तक इस्तेमाल किया गया | इसके बाद उन्होंने सरकारी खाते में पैसे जमा करवा दिए |
- 1952 में शास्त्री जी रेल मंत्री बने थे | 1956 में तमिलनाडु में एक ट्रेन दुर्घटना हुई, जिसमें करीब 150 यात्रियों की मौत हो गई | इस घटना के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया |
- सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया |
- प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने अपने परिवार के कहने पर एक फिएट कार खरीदी | उस दौरान वह 12,000 रुपये में थी, लेकिन उनके बैंक खाते में केवल 7,000 रुपये थे | कार खरीदने के लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 रुपये के बैंक लोन के लिए आवेदन किया था | उस कार को नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखा गया है |
- साल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश में अनाज की कमी हो गई | देश को खाने की कमी की समस्या से गुजरना पड़ा था | उस दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी तनख्वाह लेनी बंद कर दी थी | उन्होंने देशवासियों से अपील की थी कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें | उनकी इस अपील को मानते हुए सोमवार शाम को भोजनालयों ने शटर बंद कर दिए | लोगों ने भी एक वक्त व्रत रखना शुरू कर दिया था | देशवासियों ने इसे ‘शास्त्री व्रत’ कहना शुरू कर दिया था |
- लाल बहादुर शास्त्री 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद गए थे | यहां पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर एग्रीमेंच के कुछ ही घंटों बाद (11 जनवरी) उन्होंने अंतिम सांस ली | उनकी मौत आज भी एक रहस्य मानी जाती है | बता दें कि शास्त्री जी मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थे |