गुरु पूर्णिमा 2020: गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है जानें इसका महत्व और पूजन विधि

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Guru Purnima 2021
Guru Purnima 2021

गुरु पूर्णिमा 2020 (Guru Purnima 2020):-

इस साल गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima), 5 जुलाई को है | इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं क्योंकि इस दिन वेद व्यास जी का जन्म हुआ था | गुरु पूर्णिमा वह दिन है जब पहले गुरु का जन्म हुआ था | हमारे देश में गुरुओं का स्थान सबसे ऊंचा है | एक गुरू ही अपने शिष्य को अंधकार से निकालकर और उसे सही मार्ग पर लाता है | गुरु के मार्गदर्शन के बिना शिष्य कभी सफल नहीं हो सकता | इसी वजह से अपने गुरुओं को सम्मान देने के लिए गुरू पूर्णिमा मनाया जाता है |

इस साल गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को मनाई जाएगी और इसी दिन चंद्रग्रहण भी होगा | यह ग्रहण अधिकतर अमेरिका, अफ्रीका इत्यादि देशों में दिखाई देगा | भारत में यह नहीं दिखाई देगा | इस दिन चारों वेदों के रचयिता और महाभारत महाकाव्य की रचना करने वाले वेद व्यास या महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था | महर्षि वेद व्यास संस्कृत के महान विद्वान थे |

गुरु पूर्णिमा का महत्व:-

गुरू के बिना एक शिष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं है। रामायण से लेकर महाभारत तक गुरू का स्थान सबसे महत्वपूर्ण और सर्वोच्च रहा है | गुरु की महत्ता को देखते हुए ही महान संत कबीरदास जी ने लिखा है- “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये।” यानि एक गुरू का स्थान भगवान से भी कई गुना ज्यादा बड़ा होता है | गुरु पूर्णिमा का पर्व महार्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास जो ऋषि पराशर के पुत्र थे | शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है। महार्षि वेद व्यास के नाम के पीछे भी एक कहानी है। माना जाता है कि महार्षि व्यास ने वेदों को अलग-अलग खण्डों में बांटकर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। वेदों का इस प्रकार विभाजन करने के कारण ही वह वेद व्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए |

गुरु पूर्णिमा मनाने का कारण:-

गुरु पूर्णिमा 2020

भारतीय संस्कृति में गुरु देवता को तुल्य माना गया है | गुरु को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूज्य माना गया है | वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास जी को समस्त मानव जाति का गुरु माना जाता है। |महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व में हुआ था | उनके सम्मान में ही हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है | कहा जाता है कि इसी दिन व्यास जी ने शिष्यों एवं मुनियों को सर्वप्रथम श्री भागवतपुराण का ज्ञान दिया था | अत: यह शुभ दिन व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है |

कैसे मनाएं गुरु पूर्णिमा:

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं का पूजन किया जाता है। गुरु की हमारे जीवन में महत्व को समझाने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा पर लोग अपने गुरुओं को उपहार देते हैं और उनकाआर्शीवाद लेते हैं। जिन लोगों के गुरु अब इस दुनिया में नहीं रहे वे लोग भी गुरुओं की चरण पादुका का पूजन करते हैं। माना जाता है कि इस दिन गुरुओं का आर्शीवाद लेने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में गुरु को परम पूजनीय माना गया है |

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