QUAD Summit:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 मई को जापान में QUAD देशों की बैठक में हिस्सा लेंगे | QUAD चीनी दबदबे पर रोक लगाने के लिए बना भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का गठबंधन है | चीन QUAD को लेकर हमेशा से ही आपत्ति जताता रहा है और इससे उसे घेरने की अमेरिकी चाल बताता रहा है | QUAD देशों की आगामी बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि रूस-यूक्रेन जंग अब भी जारी है | उधर चीन ने QUAD बैठक से पहले ही लद्दाख में पैंगोंग झील पर पुल बनाते हुए अपनी हरकत शुरू कर दी हैं |

पीएम नरेंद्र मोदी QUAD नेताओं के साथ 24 मई को जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाली बैठक में हिस्सा लेंगे | इस बैठक में PM मोदी के अलावा तीन अन्य सदस्य देशों-अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलियाई PM एंथोनी अल्बनीज और जापानी PM फुमियो किशिदा हिस्सा लेंगे |

QUAD बैठक के बाद PM मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे | इससे पहले QUAD देशों की मार्च 2021 में वर्चुअल और सितंबर 2021 में आमने-सामने की बैठक हुई थी |

माना जा रहा है कि QUAD देशों की बैठक में चीन पर फोकस रह सकता है | साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी चर्चा हो सकती है | दरअसल, भारत ने अमेरिका समेत QUAD के अन्‍य सदस्‍यों के उलट यूक्रेन युद्ध में रूस की आलोचना नहीं की है |

QUAD क्या है:-

क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग यानी QUAD चार देशों- अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक रणनीतिक गठबंधन है | इसका गठन 2007 में हुआ था | 2007 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने क्वाड की अवधारणा प्रस्तुक की थी, लेकिन चीन के दवाब में ऑस्ट्रेलिया के आने के बाद इसका कार्यान्वयन टाल दिया गया था |

लेकिन, 2012 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की पहल पर हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के साथ मिलकर एक ‘डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड‘ स्थापित करने के लिए विचार प्रस्तुत किया गया और फिर नवंबर 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी बाहरी शक्ति के प्रभाव को खत्म करने के लिए क्वाड समूह को एक्टिव किया गया और आसियान शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले इसकी बैठक का आयोजन किया गया था |

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, QUAD के गठन का प्रमुख अघोषित उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र यानी हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर के बीच पड़ने वाले इलाके में चीन के बढ़ते दबदबे पर लगाम लगाना है | साथ ही इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों को चीनी प्रभुत्व से बचाना भी है |

हाल के वर्षों में चीन ने न केवल भारत पर बढ़त बनाने के लिए हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं, बल्कि पूरे साउथ चाइना सी पर अपना दावा भी ठोका है | उसके इन कदमों को सुपर पावर बनने की कोशिशों के तौर पर देखा जाता है। यही वजह है कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर QUAD के विस्तार पर काम कर रहा है, ताकि चीन के इन मंसूबों पर पानी फेरा जा सके |

QUAD का मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी सैन्य या राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखना है | इसे मुख्यतया चीनी दबदबे को कम करने के लिए बनाए गए एक रणनीतिक समूह के रूप में देखा जाता है |

QUAD का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, खुला और समृद्ध बनाने की दिशा में काम करना है | QUAD न केवल सुरक्षा बल्कि आर्थिक से लेकर साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन, महामारी और शिक्षा जैसे अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करता है |

QUAD में भारत की भूमिका:-

दक्षिण एशिया के साथ साथ विश्व के सबसे बड़े बाजारों में भारत का प्रमुख स्थान है और हाल के सालों में स्वास्थ्य, रक्षा और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी भारत एक बड़ी शक्ति बनकर उभरा है |

अमेरिका भी क्वाड की संभावनों को सिर्फ रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं रखता है, बल्कि ‘फाइव आइज’ में भी भारत को शामिल करना चाहता है, ताकि क्वाड को और ज्यादा मजबूत किया जा सके |

इसके साथ ही अमेरिका के प्रयास पर कोविड-19 संकट से निपटने के लिए क्वाड प्लस संवाद की भी शुरूआत की गई, जिसमें ब्राजील, इजरायल, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम को शामिल किया गया |

अब ब्रिटेन द्नारा भारत समेत विश्व के 10 लोकतांत्रित देशों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाने पर विचार किया जा रहा, जिसका उद्येश्य चीन पर निर्भरता को कम करते हुए, सभी देशों के सामूहिक योगदान के जरिए एक सुरक्षित 5G नेटवर्क का निर्माण करना है | वहीं, भारत द्वारा चीन पर निर्भरता कम करने के लि एजापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है |

भारत के लिए QUAD का महत्व:-

भारत का मकसद चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवादों को देखते हुए हिंद महासागर में QUAD देशों के साथ मिलकर एक ऐसी व्यवस्था की स्थापना करना है, जिसके रहते हुए चीन हिंद महासागर में किसी भी कीमत पर अपना पैर आगे नहीं बढ़ा सके | दरअसल, वैश्विक व्यापार के लिहाज से हिंद महासागर का समुद्री मार्ग चीन के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है और अभी भी हिंद महासागर में भारत काफी मजबूत है |

लेकिन, श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगार पर कब्जा करने के बाद चीन की महत्वाकांक्षा हिंद महासागर में काफी बढ़ चुकी है, लिहाजा QUAD की मदद से भारत चीन को काफी आसानी से हिंद महासागर से दूर रख सकता है |

वहीं, पिछले कुछ सालों में विश्व के कई देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, जिसमें भारत भी शामिल है | वहीं, फ्रांस और जर्मनी भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक तौर पर आगे बढ़ रहे हैं | लिहाजा सभी देश मिलकर चीन को आसानी से रोक सकते हैं |

चीन को घेरने की रणनीति क्या है:-

भारत ने भारत-चीन सीमा पर काफी आक्रामकता दिखानी शुरू कर दी है और इसमें भारत को क्वाड का साथ मिल रहा है | वहीं, क्वाड की बैठक में हांगकांग, ताइवान, ताइवान स्ट्रेट और सेनकाकू विवादों पर भी चर्चा की जाएगी, जिससे चीन का तिलमिलाना तय है |

चीन क्वाड को नाटो जैसा सैन्य गठबंधन मानता है, लेकिन क्वाड असल में सैन्य गठबंधन से कहीं आगे है और आने वाले वक्त में ये चीन की अर्थव्यवस्था पर सीधा चोट करेगा |

इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंध काफी खराब हो चुके हैं, वहीं अमेरिका भी चीन को लेकर काफी आक्रामक है, जबकि जापान और चीन पिछले कुछ महीनों में कई बार आमने-सामने आ चुके हैं |

लेकिन, भारत की तरफ से चीन के खिलाफ ना ही आक्रामक बयान दिया गया है और ना ही अपना पक्ष पूरी तरह से साफ किया गया है | लिहाजा ऐसी उम्मीद है कि इस बार क्वाड की बैठक में भारत चीन को लेकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर सकता है |

FAQs:

QUAD Summit 2022 की बैठक कब होने वाली है?

24 मई

QUAD Summit 2022 की बैठक कहाँ होने वाली है?

जापान राजधानी टोक्यो में

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