एक देश एक चुनाव क्या है? कमेटी का होगा गठन
लोक सभा के के नतीजे आ चुकें हैं,और फिर से मोदी सरकार बनी है, एसे में नरेंद्र मोदी जी ने प्रस्ताव सभी पार्टियों के समक्ष रखा है, और वो है एक देश के एक चुनाव की, और जिसका की सभी समर्थन कर रहे हैं, तो वहीँ बहोत से नेता इसका प्रस्ताव मानने से इंकार कर रहे हैं.
इस मामले पर चुनाव आयोग, नीति आयोग, विधि आयोग और संविधान समीक्षा आयोग बातचीत कर चुके हैं. कुछ ही राजनीतिक पार्टियां इसके पक्ष में हैं. ज्यादातर राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया है. ये तो तय है कि जब तक इस पर सहमति नहीं बनती, तब तक इसे न लाया जाये.
क्या है एक देश एक चुनाव ?
जैसा की आपको नाम से समझ में आरहा होगा की इसका मतलब है की एक देश में एक हे चुनाव होने चाइये, जैसे अभी तक सभी राज्यों में अलग-अलग चरण में Election हुआ करते थे, लेकिन अब एसा बोला जा रहा है की देश एक है तो चुनाव भी एक ही होना चाइये, इसके आने से पुरे देश में एक साथ Election होंगे, जिससे Election जल्दी ख़तम होजये, और सब एक साथ वोट कर सकें.
लेकिन कैसे होंगे एक साथ ये चुनाव?
अगर एक साथ चुनाव की बात करें तो अभी तक सिर्फ यूपी में चुनाव हुए तो सात चरणों में हुए. बिहार में भी पांच चरणों की नौबत आई, और यही हाल मध्य प्रदेश में रहा था. कुछ छोटे राज्यों को छोड़ दें तो ज़्यादातर राज्यों में दो से ज्यादा चरणों में चुनाव कराने पड़ते हैं. तो एसे में क्या एक साथ चुनाव करना सही है या नहीं, अभी इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है.
एसा नहीं है की ये पहली बार लागू करने की बात चल रही है, इससे पहले साल 1952, 1957, 1962, 1967 में एकसाथ लोकसभा और विधानसभा के Election हो चुके हैं, जो Ek Desh Ek Chunav के तर्क पर ही हुए थे. लेकिन ये सिलसिला 1968-69 में तब टूट गया था, जब कुछ राज्यों की विधानसभाएं वक्त से पहले ही भंग हो गईं. हालांकि, कुछ जानकार कहते हैं कि देश की आबादी बहुत ज्यादा बढ़ गई है, इसलिए एकसाथ Election कराना संभव नहीं है, लेकिन फिर भी Election आयोग में कुछ भी कर सकता है, ये सब उन्ही के ऊपर है.