सावित्रीबाई फुले जयंती 2022:-

आज देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती (Savitribai Phule Jayanti) मनाई जा रही है | महाराष्‍ट्र के पुणे में एक दलित परिवार में जन्‍मीं सावित्रीबाई के पिता का नाम खण्डोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था | उनका जन्म 03 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नायगांव नामक छोटे से गांव में हुआ था | वह भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापिका थीं |

1840 में मात्र 9 साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले के साथ हुआ | उस समय वो पूरी तरह अनपढ़ थीं और पति मात्र तीसरी कक्षा तक ही पढ़े थे | पढ़ाई करने का जो सपना सावित्रीबाई ने देखा था विवाह के बाद भी उन्‍होंने उस पर रोक नहीं लगने दी | इनका संघर्ष कितना कठिन था, इसे इनके जीवन के एक किस्‍से से समझा जा सकता है |

एक दिन वो कमरे में अंग्रेजी की किताब के पन्‍ने पलट रही थीं, इस पर इनके पिता खण्डोजी की नजर पड़ी | यह देखते वो भड़क उठे और हाथों से किताब को छीनकर घर के बाहर फेंक दिया | उनका कहना था कि शिक्षा पर केवल उच्‍च जाति के पुरुषों का ही हक है | दलित और महिलाओं के लिए शिक्षा ग्रहण करना पाप है |

यही वो पल था जब सावित्रीबाई ने प्रण लिया कि वो एक न एक दिन जरूर पढ़ना सीखेंगी | उनकी मेहनत रंग लाई | उन्‍होंने सिर्फ पढ़ना ही नहीं सीखा बल्कि न जाने कितनी लड़कियों को शिक्ष‍ित करके उनका भविष्‍य संवारा, लेकिन यह सफर आसान नहीं रहा |

1848 में की देश का सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना:-

सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने वर्ष 1848 मात्र नौ विद्यार्थियों को लेकर एक स्कूल की शुरुआत की थी | उस समय लड़कियों की शिक्षा पर सामाजिक पाबंदी बनी हुई | वर्ष 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना सावित्रीबाई फुले ने की थी |

सावित्रीबाई फुले मात्र इन स्कूलों में केवल पढ़ाती नहीं थी बल्कि लड़कियां स्कूलों को ना छोड़े इसके लिए वह मदद भी प्रदान करती थी | गौरतलब है कि सावित्रीबाई फुले को प्रथम शिक्षिका होने का श्रेय भी जाता है | महिला अधिकार के लिए संघर्ष करके सावित्रीबाई ने जहां विधवाओं के लिए एक केंद्र की स्थापना की, वहीं उनके पुनर्विवाह को लेकर भी प्रोत्साहित किया |

सावित्रीबाई फुले

वे भारत की पहली ऐसी महिला शिक्षिका थीं, जिन पर दलित लड़कियों को पढ़ाने पर पत्थर और कीचड़ फेकें गए, पर वे अपने कर्तव्य से जरा विचलित नहीं हुई और अपना पढ़ाने का कार्य जारी रखा | उन्होंने कवयित्री के रूप में दो काव्य पुस्तकें लिखीं- काव्य फुले, बावनकशी सुबोधरत्नाकर |

महिला शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए फुले दंपति को सन् 1852 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने सम्मानित भी किया | सावित्रीबाई के सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया है | वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली में पहली महिला अध्यापिका थीं और उन्हें आधुनिक मराठी कविता में अगुवा माना जाता है | इसके अलावा केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने सावित्रीबाई फुले की स्मृति में कई पुरस्कारों की स्थापना की है |

पति के साथ मिलकर की सत्यशोधक समाज की स्थापना:-

बिना पुरोहितों के शादी एवं दहेज प्रथा को हतोत्साहित करने के साथ अंतर्जातीय विवाह करवाने हेतु उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की | सावित्रीबाई और ज्योतिराव की कोई संतान नहीं हुई | अत: उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र यशवंत राव को गोद ले लिया था, जिसका उनके परिवार में काफी विरोध हुआ तब उन्होंने परिवारवालों से अपने सभी संबंध समाप्त कर लिया |

सावित्रीबाई ने अछूतों के अधिकारों के लिए काफी संघर्ष भी किया | उस जमाने में गांवों में कुंए पर पानी लेने के लिए दलितों और नीच जाति के लोगों का जाना उचित नहीं माना जाता था, यह बात फुले दंपति को बहुत परेशान करती थी, अत: उन्होंने दलितों के लिए एक कुंए का निर्माण किया, ताकि वे लोग आसानी से पानी ले सकें | उनके इस कार्य का भी उस समय खूब विरोध भी हुआ |

10 मार्च 1897 को इस दुनिया को कहा अलविदा:-

महाराष्ट्र में प्लेग फैल जाने के उपरांत उन्होंने पुणे में अपने पुत्र के साथ मिलकर 1897 में एक अस्पताल खोला जिससे प्लेग पीड़ितों का इलाज किया जा सके | हालांकि मरीजों की सेवा करते हुए वह स्वयं प्लेग से पीड़ित हो गई और 10 मार्च 1897 को इस दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह दिया |

Savitribai Phule Jayanti wishes quotes:-

Savitribai Phule will always be remembered as an Indian feminist who redefined how one should view women. Happy Birthday!

Here’s wishing Savitribai Phule a very happy birthday because she tried to create an impact in our lives.

Happy Birthday Savitribai Phule for paving the way for millions of us.

Today, every woman should be thankful for everything Savitribai Phule has done for us. We shall always remember her name in glory.

Savitribai Phule has been the voice of feminism in India. She has created a difference for all.

Today, we remember Savitribai Phule whose contribution shall always be remembered for everything that she has done in our society.

Savitribai Phule’s sacrifice will always be remembered and we shall salute our hero for paving the way for us.

Savitribai Phule was a social reformer who was knowledgeable and stood up for the rights of women. Wishing the greatest inspirations of our time, a very happy birthday.

Savitribai Phule taught us that there is nothing as important as having hope and a voice if you wish to fight societal struggles. Her birthday should always be remembered as a day of resistance.

Savitribai Phule’s name shall be etched to our hearts, forever, as we continue to live our lives. Here’s wishing a feminist, a very happy birthday.

Savitribai Phule’s feminism shook rocks and empowered women when women were not allowed to leave their houses. This is the day of resistance.

Savitribai Phule did not give up, when your job is to speak up for a minority group, one must never stay silent.

Savitribai Phule taught us that one should never remain silent or should be silenced by any governing power.

Savitribai Phule taught us that there is power in resistance.

Frequently Asked Questions(FAQ’s):-

सावित्रीबाई फुले का जन्म कब हुआ?

03 जनवरी 1831

सावित्रीबाई फुले का जन्म कहाँ हुआ?

महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नायगांव नामक छोटे से गांव में

सावित्रीबाई फुले का विवाह किससे हुआ?

ज्योतिराव फुले

सावित्रीबाई फुले किस नाम से प्रसिद्ध है?

भारत की पहली महिला शिक्षिका

सावित्रीबाई फुले ने कब देश के सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना की

वर्ष 1848 में

सावित्रीबाई फुले की मृत्यु कब हुई ?

10 मार्च 1897

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