सरोजिनी नायडू जयंती- The Nightingale of India:-
सरोजिनी नायडू जयंती- सुप्रसिद्ध कवयित्री और भारत देश के सर्वोत्तम राष्ट्रीय नेताओं में से एक थीं | वह भारत के स्वाधीनता संग्राम में सदैव आगे रहीं | उनके संगी साथी उनसे शक्ति, साहस और ऊर्जा पाते थे | युवा शक्ति को उनसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी | बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने 13 वर्ष की आयु में Lady of the Lake नामक कविता रची |
वे 1895 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं | The Golden Threshold उनका पहला कविता संग्रह था | उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह The Bird of Time तथा The Broken Wing ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया | आज सरोजिनी नायडू की 141वीं जयंती है |
सरोजिनी नायडू का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा:-
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था | उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था, जो एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे | मात्र 14 वर्ष की उम्र में सरोजिनी ने सभी अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का अध्ययन कर लिया था | 1895 में हैदराबाद के निजाम ने उन्हें वजीफे पर इंग्लैंड भेजा | 1898 में उनका विवाह डॉ. गोविन्द राजालु नायडू से हुआ |
बारह साल की छोटी सी उम्र में ही सरोजिनी ने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी और मद्रास प्रेसीडेंसी में प्रथम स्थान प्राप्त किया था | इसके बाद उच्चतर शिक्षा के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया जहाँ उन्होंने क्रमश: लंदन के ‘किंग्ज़ कॉलेज‘ में और उसके बाद ‘कैम्ब्रिज के गर्टन कॉलेज‘ में शिक्षा ग्रहण की। कॉलेज की शिक्षा में सरोजिनी की विशेष रुचि नहीं थी और इंग्लैंड का ठंडा तापमान भी उनके स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं था | वह स्वदेश लौट आयी |
‘भारत कोकिला‘ के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती सरोजिनी नायडू की महात्मा गांधी से प्रथम मुलाकात 1914 में लंदन में हुई और गांधी जी के व्यक्तित्व ने उन्हें बहुत प्रभावित किया | दक्षिण अफ्रीका में वे गांधीजी की सहयोगी रहीं | वे गोपालकृष्ण गोखले को अपना ‘राजनीतिक पिता‘ मानती थीं | उनके विनोदी स्वभाव के कारण उन्हें ‘गांधी जी के लघु दरबार में विदूषक‘ कहा जाता था |
सरोजिनी नायडू का राजनीतिक करियर:-
उन्होंने भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के लिए भारतीय महिलाओं को जागृत किया | भारत की स्वतंत्रता के लिए विभिन्न आंदोलनों में सहयोग दिया | काफी समय तक वे कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं | 1925 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं |
जलियांवाला बाग हत्याकांड से क्षुब्ध होकर उन्होंने 1908 में मिला ‘कैसर-ए-हिन्द‘ सम्मान लौटा दिया था | भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें आगा खां महल में सजा दी गई | वे उत्तरप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं |
उन्होंने भारतीय महिलाओं के बारे में कहा था – ‘जब आपको अपना झंडा संभालने के लिए किसी की आवश्यकता हो और जब आप आस्था के अभाव से पीड़ित हों तब भारत की नारी आपका झंडा संभालने और आपकी शक्ति को थामने के लिए आपके साथ होगी और यदि आपको मरना पड़े तो यह याद रखिएगा कि भारत के नारीत्व में चित्तौड़ की पद्मिनी की आस्था समाहित है।’
सरोजिनी नायडू के जीवन से जुड़ी 10 बातें:- (सरोजिनी नायडू जयंती)
- सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थी | इतना ही वह किसी राज्य की पहली पहली गवर्नर भी थी | उन्होंने उत्तर प्रदेश के गवर्नर का पद भार संभाला था |
- सरोजिनी नायडू के पिता अघोरनाथ चट्टोपध्याय एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे | उनकी माता वरदा सुंदरी कवयित्री थीं और बंगाली भाषा में कविताएं लिखती थीं |
- सरोजिनी नायडू की शादी 19 साल की उम्र में गोविंदाराजुलु नायडू से हुई थी |
- सरोजिनी नायडू ने साहित्य के क्षेत्र में खास योगदान दिया | बचपन से ही वह कविताएं लिखा करती थीं | उनकी कविताओं का पहला संग्रह ”The Golden Threshold” 1905 में प्रकाशित हुआ था |
- उनकी उच्च शिक्षा लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज से हुई थी |
- सरोजिनी नायडू ने गांधी जी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया और 1942 में ‘भारत छोड़ो‘ आंदोलन में जेल भी गईं |
- सरोजिनी नायडू संकटों से न घबराते हुए एक वीरांगना की तरह गांव-गांव घूमकर देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं |
- सरोजिनी नायडू बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं | लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था |
- सरोजिनी नायडू को ”The Nightingale of India” के नाम से जाना जाता है |
- सरोजिनी नायडू का निधन 2 मार्च 1949 में हुआ था |
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