OBC Reservation Bill:-

केंद्र सरकार ने 9 अगस्त 2021 सोमवार को लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC समुदाय) से जुड़ा एक अहम विधेयक पेश किया | सरकार ने 127वें संविधान संशोधन विधेयक को पेश किया है | इस विधेयक में राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देने का प्रावधान है | हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी | केंद्र सरकार जो संशोधन विधेयक लेकर आई है, उसमें प्रावधान है कि राज्य सरकारें अब अपने यहां OBC की लिस्ट तैयार कर सकेंगी | यानी अब राज्यों को किसी जाति को OBC में शामिल करने के लिए केंद्र पर निर्भर नहीं रहना होगा | इसका मतलब है कि अब राज्य सरकारें अपने यहां किसी जाति को OBC समुदाय में शामिल कर पाएगी |

ये 127वां संविधान संशोधन बिल है, जिसे आर्टिकल 342A(3) के तहत लागू किया जाएगा | इससे राज्य सरकारों को ये अधिकार होगा कि वह अपने हिसाब से ओबीसी समुदाय की लिस्ट तैयार कर सकें | संशोधित बिल के पारित होने के बाद राज्यों को इसके लिए केंद्र पर निर्भर नहीं रहना होगा |

OBC Reservation Bill की जरुरत क्यों पड़ी:-

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 5 मई को एक आदेश दिया था | इस आदेश में कहा गया कि राज्यों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरी और एडमिशन में आरक्षण देने का अधिकार नहीं है | इसके लिए जजों ने संविधान के 102वें संशोधन का हवाला दिया | इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण देने के फैसले पर भी रोक लगा दी थी |

दरअसल, 2018 में हुए इस 102वें संविधान संशोधन में नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लासेज (National Commission for Backward Classes) की शक्तियों और जिम्मेदारियों को बताया गया था | इसके साथ ही ये 342A संसद को पिछड़ी जातियों की लिस्ट बनाने का अधिकार देता है | इस संशोधन के बाद विपक्षी पार्टियां ये आरोप लगाती थीं कि केंद्र संघीय ढांचे को बिगाड़ रहा है | 5 मई को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का केंद्र ने भी विरोध किया | इसी के बाद 2018 के संविधान संशोधन में बदलाव की कवायद शुरू हुई |

OBC Reservation Bill

नए बिल में क्या है:-

ये बिल संविधान के 102वें संशोधन के कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए लाया गया है | इस बिल के पास होने के बाद एक बार फिर राज्यों को पिछड़ी जातियों की लिस्टिंग का अधिकार मिल जाएगा | वैसे भी 1993 से ही केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश दोनों ही OBC की अलग-अलग लिस्ट बनाते रहे हैं | 2018 के संविधान संशोधन के बाद ऐसा नहीं हो पा रहा था | इस बिल के पास होने के बाद दोबारा से पुरानी व्यवस्था लागू हो जाएगी | इसके लिए संविधान के आर्टिकल 342A में संशोधन किया गया है | इसके साथ ही आर्टिकल 338B और 366 में भी संशोधन हुए हैं |

इस बिल के पास होते ही राज्य सरकारें अपने राज्य के हिसाब से अलग-अलग जातियों को OBC कोटे में डाल सकेंगी | इससे हरियाणा में जाट, राजस्थान में गुर्जर, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल, कर्नाटक में लिंगायत आरक्षण का रास्ता साफ हो सकता है | ये जातियां लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रही हैं | हालांकि सुप्रीम कोर्ट इंदिरा साहनी केस का हवाला देकर इन पर रोक लगाता रहा है |

आरक्षण क्या है:-

आरक्षण (Reservation) का अर्थ अपना जगह सुरक्षित करना है | यात्रा करने के लिए रेल का डिब्बा हो, किसी भी स्तर पर चुनाव लड़ना हो या फिर किसी सरकारी विभाग में नौकरी पाना हो | हर किसी की इच्छा होती है उस स्थान पर शख्स की जगह सुरक्षित हो |

आरक्षण क्यों दिया जाता है:-

भारत में सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों और धार्मिक/भाषाई अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को छोड़कर सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने के लिए कोटा प्रणाली लागू की है | भारत के संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के लिए भी आरक्षण नीति को विस्तारित किया गया है |

भारत में आरक्षण की नींव किसने रखी:-

भारत में आरक्षण की शुरूआत 1882 में हंटर आयोग के गठन के साथ हुई थी| उस दौरान विख्यात समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले ने सभी को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा तथा अंग्रेज सरकार की नौकरियों में आनुपातिक आरक्षण/प्रतिनिधित्व की मांग की थी | इसके बाद 1891 के आरंभ में त्रावणकोर के सामंती रियासत में सार्वजनिक सेवा में योग्य मूल निवासियों की अनदेखी और विदेशियों को भर्ती करने के खिलाफ प्रदर्शन किया | इसके साथ ही सरकारी नौकरियों में भारतीयों के लिए आरक्षण की मांग उठाई |

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