राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2020:-

राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2020- प्रति वर्ष, आयुष मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस धन्वंतरि जयंती यानी धनतेरस के दिन मनाया जाता है | स्वास्थ्य समस्याओं के लिए आयुर्वेदि‍क दवाओं को हमेशा बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह चिकित्सा प्राकृतिक होती है और समस्या को जड़ से खत्म करने में सक्षम होती हैं, वह भी बगैर किसी साइड इफेक्ट के | ज्ञात हो कि सन् 2016 से हर साल धन्वंतरि जयंती के दिन आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है | वर्ष 2020 में यह दिवस 13 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा |

भारतीय पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता का दिवस माना जाता है | भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं | भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता माने जाते हैं | आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही मानते हैं | आदि काल के ग्रंथों में रामायण-महाभारत तथा विविध पुराणों की रचना हुई है, जिसमें सभी ग्रंथों ने आयुर्वेदावतरण के प्रसंग में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख किया है |

धन्वंतरि:-

  • धनवंतरि को हिन्दू धर्म में देवताओं के वैद्य माना जाता है |
  • हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वे भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं तथा इनका पृथ्वी पर अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था |
  • इन्हे आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं |
  • इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने ‘शल्य चिकित्सा’ का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे |

Quotes for राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2020:-

आयुर्वेद के बारे में एक बहुत अच्छी बात ये है कि इसके उपचार से हमेशा साइड बेनिफिट्स होते हैं, साइड इफेक्ट्स नहीं

आयुर्वेद हमें हमारी सहज-प्रकृति को संजोना सिखाता है- “हम जो हैं उससे प्रेम करना, उसका सम्मान करना”, वैसे नही जैसा लोग सोचते हैं या कहते हैं, “हमे क्या होना चाहिए

कोई भी दवा अन-हेल्दी लिविंग की क्षतिपूर्ति नहीं कर सकती है

अपने परमानन्द का अनुसरण करना और खुशबु, रंग एवं स्वाद के रहस्य में गोता लगाना; प्रकृति माँ की शानदार विविधता में खो जाना, और भीतरी चिन्हों का अनुगमन करके जानना कि हम सचमुच कौन हैं –  यही आयुर्वेदिक पाकशास्त्र का विज्ञान है

जब आहार गलत हो, दवा किसी काम की नहीं है; जब आहार सही हो, दवा की कोई ज़रुरत नहीं है

आयुर्वेद योग की सिस्टर फिलॉसफी है, ये जीवन या दीर्घायु होने का विज्ञान है और ये हमें प्रकृति की शक्तियों, चक्र और तत्वों के बारे में भी सिखाता है

आयुर्वेद जैसा कि नाम में निहित है (‘आयु’: “जीवन” और ‘वेद’: “ज्ञान”) स्वस्थ्य रहने का ज्ञान है और सिर्फ बीमारी के इलाज तक सिमित नहीं है

जब आहार गलत हो, दवा किसी काम की नहीं है; जब आहार सही हो, दवा की कोई ज़रुरत नहीं है

आयुर्वेद में सिद्धांत है कि कुछ भी भोजन, दवा, या ज़हर हो सकता है, निर्भर करता है कि कौन खा रहा है, क्या खा रहा है, और कितना खा रहा है। इस सन्दर्भ में एक प्रचलित कहावत है: “एक आदमी का खाना दूसरे आदमी का ज़हर है

सामान्यतया, आयुर्वेद चावल, गेहूं, जौ, मूंग दाल, शतावरी, अंगूर, अनार, अदरक, घी (मक्खन), क्रीम दूध और शहद  को सबसे अधिक लाभकारी खाद्य पदार्थ मानता है

योग का विज्ञान और आयुर्वेद; चिकित्सा विज्ञान की तुलना में सूक्ष्म हैं, क्योंकि अकसर चिकित्सा विज्ञान सांख्यिकीय गड़बड़ी का शिकार हो जाता है

क्योंकि हम अपने अंदरुनी शरीर को स्क्रब नहीं कर सकते हमें अपने ऊतकों, अंगों, और मन को शुद्ध करने कुछ उपाय सीखने होंगे। ये आयुर्वेद की कला है

समय बदल रहा है और न सिर्फ भारत के नीति निर्माता, बल्कि पूरी दुनिया आयुर्वेद के महत्व को समझ रही है। कुछ साल पहले कौन सोच सकता था कि महानगरीय संस्कृति में पले-बढे लोग निकट भविष्य में कार्बोनेटेड शीतल पेय से अधिक लौकी का रस या करौंदे का रस पसंद करेंगे

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