फेसबुक के CEO Mark Zuckerberg द्वारा Metaverse के बारे में बाते किये जाने के बाद ये इंटरनेट की दुनिया में सबसे ज्यादा लोग “Metaverse kya hai” सर्च कर रहे हैं।कुछ समय पहले तक मेटावर्स (Metaverse) आभासी वास्तविकता के साथ हमारी असली दुनिया के मिश्रण का एक वैज्ञानिक विचार था । परन्तु आज के समय पर फेसबुक और अन्य कंपनियां भविष्य में इस तकनिकी को सच बनाने पर लगी हुई हैं। तो आइये दोस्तों आज हम Metaverse के बारे में ही बात करेंगे कि आखिर Metaverse है क्या और क्यों यह शब्द इंटरनेट की दुनिया में छा गया है
Metaverse: हकीकत की दुनिया के समानांतर तैयार हो रहा एक ‘फिक्शनल यूनिवर्स’ जो आपकी ‘फ्यूचर की दुनिया’ होगी
दोस्तों अभी आप फेसबुक चलाते हैं और जब मन करता है ‘लॉग आउट’ कर के वर्चुअल से रियल वर्ल्ड में लौट आते हैं, लेकिन वो वक्त ज्यादा दूर नहीं है, जब यह ‘वर्चुअल वर्ल्ड’ ही आपकी दुनिया हो जाएगी। यानी हम इस दुनिया के साथ ही एक ‘वर्चुअल रिअलिटी’ में जी रहे होंगे।
इसे और ज्यादा आसान किया जाए तो कह सकते हैं कि हकीकत की इस दुनिया के ठीक सामानांतर एक ऐसी ‘डिजिटल दुनिया’ तैयार की जा रही है, जिसके भीतर हम प्रवेश कर सकेंगे और उस आभासी दुनिया में ठीक वैसे ही जी सकेंगे, जैसे हम बाहरी यानी सच की दुनिया में जीते और रहते हैं।
यह संभव हो सकेगा एक छोटे से टर्म ‘मेटावर्स’ की मदद से। इस शब्द का मतलब हम आगे चलकर समझेंगे, लेकिन पहले यह जान लेना जरूरी है कि आने वाले कुछ वक्त में हमारी दुनिया और हमारी जिंदगी इस शब्द की वजह से कैसे बदलने वाली है।
दरअसल, यह एक ऐसी वर्चुअल (आभासी) दुनिया होगी। जिसमें प्रवेश करने के लिए हमें एक खास तरह की आइडेंटिटी की जरूरत होगी। समझ लीजिए कि अपनी दुनिया से उस वर्चुअल दुनिया में जाने के लिए आपके पास एक ‘पहचान पत्र’ होगा, जिसे शायद डिजिटल आइडेंटिटी कहा जाए।
इस आइडेंटिटी से आप उस दूसरी दुनिया में प्रवेश करेंगे और ठीक वैसे ही जी सकेंगे जैसे यहां जीते हैं, मसलन, शॉपिंग करना, घूमना- फिरना, दोस्त बनाना, रिश्तेदारों से मिलना और इसी तरह के तमाम सांसारिक काम। हो सकता है आप वहां किसी से प्यार भी करें, झगड़ा भी |
“धरती, आकाश, पाताल और तमाम अज्ञात दूसरी दुनियाओं के अलावा शायद तकनीक एक और ऐसी दुनिया ईजाद करने वाली है, जो हमारे भविष्य की दुनिया होगी, एक फिक्शनल यूनिवर्स। जहां, सच की दुनिया की तरह ही शॉपिंग होगी, दोस्ती, और प्यार भी , लेकिन ‘वर्चुअल रियलिटी’ में … क्या भविष्य में ‘आभास’ यानी ‘फिक्शन’ ही नया ‘सत्य’ होगा,“
मेटावर्स क्या है? (What is Metaverse?) :
मेटावर्स (Metaverse ) ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी का मिश्रण है और ये हमारी जिंदगी में उपयोग होने वाली तकनिकी का हिस्सा बनता जा रहा है। इस तरह की मिश्रित वास्तविकता का रूप हमारी असली दुनिया में डिजिटल एलिमेंट्स को बढ़ावा देगा और इससे वर्चुअल वर्ल्ड के साथ हमारी जिंदगी की रोजमर्रा की चीज़ें भी जुड़ जाएगी।
यह एक ऑनलाइन 3 डी दुनिया की तरह है जो कई अलग-अलग वर्चुअल रियलिटी को एक साथ लाती है। इसे इंटरनेट के नए भविष्य के रूप में देखा जा रहा है । मेटावर्स उपयोगकर्ता 3D के रूप में एक साथ काम कर सकेंगे , virtually मिल सकेंगे और खेल भी सकेंगे।
मेटावर्स की उत्पत्ति (Origin of the Metaverse):
अमेरिकन लेखक नील स्टीफेंसन के साइंस फिक्शन नॉवेल ‘स्नो क्रैश’ में पहली बार ‘मेटावर्स’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था। इस नॉवेल की कहानी में वर्चुअल वर्ल्ड में रियल दुनिया लोग जाते हैं। यह नॉवेल 1992 में प्रकाशित हुआ था। साल 2013 में एक फिल्म आई थी ‘हर’, जिसमें एआई तकनीक को लेकर कहानी बताई गई थी।
“मेटावर्स” शब्द को लेखक नील स्टीफेंसन ने अपने विज्ञान कथा उपन्यास “स्नो क्रैश” में सबसे पहले लिखा था , यह उपन्यास 1992 में प्रकाशित हुआ था। लेखक ने मेटावर्स को एक तरह की 3डी आभासी दुनिया के रूप में दिखाया है।
मेटावर्स का मतलब (Meaning of Metaverse):
“Metaverse” दो शब्द Meta (परे) और Verse (यूनिवर्स) से बना है। यहाँ Verse ब्रह्मांड (Universe) कहने का एक छोटा तरीका है। इस तरह से इसका अर्थ है “Beyond Universe” (ब्रह्मांड से परे) होता है । यह एक सोच को बल देता है कि भविष्य में इंटरनेट और उससे जुडी चीजें कैसी हो जाएँगी। इसमें मेटावर्स 3 डी आभासी दुनिया का एक प्रकार होगा जहां लोग स्वतंत्र रूप से घूम सकेंगे और एक-दूसरे से बात कर सकेंगे ।
मेटावर्स क्यों महत्वपूर्ण है? (Importance of Metaverse):
साल 2021 में Metaverse सबसे ज्यादा प्रमुख विषय बनता जा रहा है। इसका मुख्य कारण कोरोना बीमारी के बाद लगने वाला लॉकडाउन है। वस्तुतः जी रहे हैं। पिछले एक साल से चल रहे वर्क फ्रॉम होम के कारण हम इंटरनेट के माध्यम से दूसरों के साथ बातचीत कर रहे हैं। VR और AR भी मेटावर्स के ही छोटा रूप हैं। यदि आपने वर्क फ्रॉम होम के दौरान अपने डिजिटल अवतार या ग्राफिकल रिप्रजेंटेशन का उपयोग करके किसी मीटिंग में भाग लिया है तो आप पहले ही मेटावर्स का उपयोग कर चुके हैं।
फेसबुक और मेटावर्स (Metaverse and Facebook):
फेसबुक के सीईओ मेटावर्स को बहुत आगे ले जाना चाहते हैं । यही कारण है कि मार्क जुकरबर्ग कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी कंपनी फेसबुक “मेटावर्स कंपनी” बने, न कि मोबाइल इंटरनेट कंपनी। इससे पहले उन्होंने टिप्पणी की थी कि मेटावर्स इंटरनेट की अगली पीढ़ी है।
अभी अगस्त २०२१ में फेसबुक ने Horizon Workrooms नामक एक नया वर्चुअल रियलिटी ऐप लॉन्च किया था। यह ऐप दूसरे मीटिंग ऐप ज़ूम की तरह ही था। हालाँकि इसके वर्चुअल मीटिंग रूम को ज्वाइन करने वाले लोगों ने VR हेडसेट्स पहने और 3D characters के रूप में भाग लिया।
इस मीटिंग द्वारा इस बात की समीक्षा करना था कि ऐसी वर्चुअल मीटिंग की दुनिया कैसी दिखेगी। हालाँकि समीक्षकों के अनुसार वीआर और 3D characters ने बैठक में कुछ भी महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई और ये उबाऊ भी था।
हालाँकि, मेटावर्स की दुनिया को और आगे ले जाने के प्रयास होते रहेंगे और शायद एक दिन, मेटावर्स भी इंटरनेट की तरह हमारी जिंदगी का हिस्सा हो जाये ।
बदल सकता है ‘facebook’ का नाम:
दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ‘मेटावर्स’ तकनीक पर काम कर रहा है। हो सकता है कुछ समय में फेसबुक का नाम भी बदल जाए। लेकिन यह सब और ज्यादा स्पष्ट हो सकेगा, जब आधुनिक तकनीक को लेकर आयोजित की जाने वाली एक एनुअल कॉन्फ्रेंस में इसे लेकर फेसबुक या इसके सीईओ मार्क जुकरबर्ग चर्चा करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक इस तकनीक को साकार रूप देने के लिए कंपनी करीब 50 मिलियन डॉलर का निवेश कर सकती है और हजारों विशेषज्ञों को हायर किया जा सकता है।
कैसे काम करेगा ‘Metaverse’? :
मेटावर्स को चलाने के लिए ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई जैसी कई तरह की तकनीक का सहारा लिया जा सकता है। ऐसी स्थिति में दूसरे सोशलनेटवर्किंग साइट भी बदल सकते हैं।
कैसे बदलेगी इंसान की ‘दुनिया’ :
तकनीक ने पहले ही इंसान की दुनिया बदल दी है, लेकिन ‘मेटावर्स’ से यह पूरी तरह से जिंदगी बदल देगा। इससे हमारे इंटरनेट इस्तेमाल करने के तरीके में भी बदलाव आएगा। जैसे मेटावर्स दुनिया में घूमते हुए आपको कोई चीज पसंद आई तो आप उसे डिजिटल करेंसी (Bitcoin ) से खरीद लेंगे और वह आपके घर के पते पर डिलिवर हो जाएगी। अभी हम चैट और वीडियो कॉल पर बात करते हैं, लेकिन इसके जरिए जब हम किसी से बात करेंगे तो लगेगा हम आमने-सामने ही बैठे हैं। शायद हम अपने साथी को छू भी सकें। भावनाएं ठीक वैसे ही व्यक्त होंगी, जैसे सच की दुनिया में होती हैं।
कब तैयार होगी यह नई दुनिया :
मेटावर्स को पूरी तरह से डेवलेप होने में करीब 10 से 15 साल लग सकते हैं। कई कंपनियां मिलकर इस पर काम कर रही हैं। इसमें फेसबुक के अलावा गूगल, एपल, स्नैपचैट और एपिक गेम्स वो बड़े नाम हैं जो मेटावर्स पर कई सालों से काम कर रहे हैं।
और कौन सी कम्पनीज मेटावर्स पर काम कर रही हैं?
Google ने Google लेंस के बारे में बताया है की इसके द्वारा किसी ऑब्जेक्ट को कैप्चर करने के लिए डिवाइस के कैमरे का उपयोग किया जा सकता है फिर ये तकनीक उस फोटो को Google में सर्च करती है ताकि उसके बारे में बताया जा सके। इस तरह की प्रणाली को मेटावर्स में हेडसेट के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
Microsoft
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने “मेटावर्स ऐप्स” की एक श्रृंखला विकसित करने के बारे में बताया था कि कंपनी “एंटरप्राइज़ मेटावर्स (Enterprise Metaverse)” बनाने के लिए काम कर रही है। इसका उपयोग एज़्योर क्लाउड कंप्यूटिंग सेवा के व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं के लिए किया जायेगा।
Others
एपिक गेम्स अपनी मेटावर्स योजनाओं पर खर्च करने के लिए $ 1 बिलियन जुटाए हैं।
कंप्यूटिंग कंपनी Nvidia और गेमिंग प्लेटफॉर्म Roblox भी मेटावर्स योजनाओं में काम कर रही है।
मेटावर्स की चुनौतियां (Challenges of Metaverse)
विशेषज्ञों को मानना है कि मेटावर्स (Metaverse in Hindi) को जिस तरह के बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है वो वर्तमान में मौजूद नहीं है। वर्तमान में उपयोग होने वाले इंटरनेट के डिज़ाइन की अपनी सीमायें हैं । Metaverse को विकसित करने के लिए पारंपरिक इंटरनेट की तुलना में अधिक सक्षम standards and protocols की आवश्यकता होगी।
इंटरऑपरेबल मेटावर्स के उपयोग पर डेटा सुरक्षा के सवाल भी उठेंगे। डेटा सुरक्षा के लिए यूजर और कम्पनीज के बीच में सहमति स्थापित करना कठिन होगा। मेटावर्स को सेंसरशिप, संचार पर नियंत्रण, नियामक प्रवर्तन, कर रिपोर्टिंग, ऑनलाइन कट्टरता की रोकथाम के लिए नए नियमों की आवश्यकता होगी। आज के दौर का सबसे तेज नेटवर्क 4G कनेक्शन केवल छोटे मल्टीप्लेयर ऐप्स को ही ठीक से चला सकते हैं , लेकिन सैकड़ों लोगों की Metaverse आधारित मीटिंग या गेम्स को संभाल नहीं सकते हैं। अभी पूरी दुनिया 5G नेटवर्क बनाने के लिए काम कर रही है, इसे और आगे ले जाने के लिए 6G की भी आवश्यकता होगी।
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