International Labour Day 2022:- क्यों 1 मई बन गया छुट्टी का दिन, जानें इसके पीछे की कहानी
International Labour Day 2022– मजदूर दिवस यानी 1 मई का दिन जिस दिन हम मज़दूरों को याद करते हैं वैसे उनको तो रोज़ याद करना चाइये सोचिये अगर वो न हों तो हमारा क्या होता हमारे इतने सारे काम कैसे होते कौन हमारे सब काम करता। हर साल 1 मई को दुनिया भर में ” अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस”, श्रम दिवस या मई दिवस (International Labour Day) मनाया जाता है। इसे पहली बार 1 मई 1886 को मनाया गया था। भारत में इसे सबसे पहले 1 मई 1923 को मनाया गया था। जब लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने चेन्नई में इसकी शुरुआत की थी।
कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत?
यह एक आंदोलन के तौर पर शुरू किआ गया था। साल 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की अपनी मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया। जिसके बाद एक मई 1886 को पूरे अमेरिका में लाखों मजदूरों ने एकजुट होकर इस मुद्दे को लेकर हड़ताल की। इस हड़ताल में लगभग 11 हजार फैक्ट्रियों के 3 लाख 80 हजार मजदूर शामिल हुए।
इस हड़ताल के बाद साल 1889 में पेरिस में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय महासभा की दूसरी बैठक में फ्रेंच क्रांति को ध्यान में रखते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाए जाने की बात स्वीकार की गई। इस प्रस्ताव के पास होते ही अमेरिका में सिर्फ 8 घंटे काम करने की इजाजत दे दी गई।
जिसके बाद पहली मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत हुई। भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी।
भारत में मजदूर दिवस: International Labour Day 2022
भारत में इसे पहली बार 1 मई 1923 को मनाया गया था। इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता कामरेड “सिंगरावेलू चेट्यार” ने की थी। जब उनकी अध्यक्षता में मद्रास हाईकोर्ट के सामने मजदूर दिवस मनाया गया। उस समय से हर साल देशभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है।
भारत में मजदूरों की जंग लड़ने के वाले कई बड़े नेता उभरे, इन सबमें सबसे बड़ा नाम दत्तात्रेय नारायण सामंत उर्फ डॉक्टर साहेब का है। डॉक्टर साहेब के नेतृत्व में ग्रेट बॉम्बे टेक्सटाइल स्ट्राइक हुआ, जिसने पूरे मुंबई के कपड़ा उद्योग को हिला कर रख दिया था। जिसके फलस्वरूप बॉम्बे औद्योगिक कानून 1947 का निर्माण हुआ। इसके अलावा जॉर्ज फर्नांडिस भी बड़े मजदूर नेता थे। जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व देश में व्यापक रूप से रेल हड़ताल हुई। इन्हीं आंदोलनों से उभरकर वह राष्ट्रीय राजनीति में आए। उनका नाम आपातकाल के दौरान क्रांति करने वाले बड़े नेताओं में गिना जाता है।
आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील किया गया था। मजदूर वर्ग इस दिन पर बड़ी-बड़ी रैलियों व कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) द्वारा इस दिन सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। कई देशों में मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की जाती है। टीवी, अखबार, और रेडियो जैसे प्रसार माध्यमों द्वारा मजदूर जागृति के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।