करतारपुर: क्यों खास है करतारपुर?

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करतारपुर कॉरिडोर
करतारपुर कॉरिडोर

करतारपुर कॉरिडोर क्या है- करतारपुर कॉरिडोर बुधवार (17/11/2021) से फिर खुल गया। कोरोना महामारी के कारण यह पिछले साल 16 मार्च से बंद था। करतारपुर गुरुद्वारा बंटवारे के समय एक अंग्रेज वकील की गलती से पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था। अनदेखी और जंग में हुए हमलों से यह जर्जर होता गया। लोग यहां आसपास मवेशी तक बांधने लगे थे, लेकिन 90 के दशक में पाकिस्तान सरकार ने इसकी मरम्मत का फैसला किया। आइए इस गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में जानें सब कुछ। आप सभी लोगो का enterhindi.com में स्वागत है, करतारपुर के बारे में जानने के लिए अट्रिकल को पूरा पढ़िए|

करतारपुर गुरुद्वारे के बारे में जानें सब कुछ: करतारपुर कॉरिडोर क्या है?

अंग्रेज वकील की गलती से यह पाकिस्तान के हिस्से में चला गया, लोग यहां मवेशी बांधने लगे थे| करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित है। इसका इतिहास 500 साल से भी पुराना है। माना जाता है कि 1522 में सिखों के गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी साल यहीं बिताए थे।

क्यों खास है करतारपुर?

करतारपुर में गुरु नानक देवजी ने अपने जीवन के आखरी 17 साल 5 महीने 9 दिन गुजारे थे| यहाँ उनकी समाधि भी है|

करतारपुर कॉरिडोर क्या है?

करतारपुर कॉरिडोर बुधवार से फिर खुल गया। कोरोना महामारी के कारण यह पिछले साल 16 मार्च से बंद था। करतारपुर गुरुद्वारा बंटवारे के समय एक अंग्रेज वकील की गलती से पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था। अनदेखी और जंग में हुए हमलों से यह जर्जर होता गया। लोग यहां आसपास मवेशी तक बांधने लगे थे, लेकिन 90 के दशक में पाकिस्तान सरकार ने इसकी मरम्मत का फैसला किया। आइए इस गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में जानें सब कुछ।

करतारपुर गुरुद्वारे का इतिहास:

करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित है। इसका इतिहास 500 साल से भी पुराना है। माना जाता है कि 1522 में सिखों के गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी साल यहीं बिताए थे।

रावी नदी के फ्लो को बॉर्डर मानने से यह पाकिस्तान में चला गया:

लाहौर से करतारपुर साहिब की दूरी 120 किलोमीटर है। वहीं, पंजाब के गुरदासपुर इलाके में भारतीय सीमा से यह लगभग 7 किलोमीटर दूर है। लैरी कॉलिन्स और डॉमिनिक लैपियर की किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ के मुताबिक, अंग्रेज वकील सर क्रिल रेडक्लिफ को बंटवारे का नक्शा बनाने के लिए 2 महीने से भी कम का समय मिला था और उन्हें भारत की भौगोलिक स्थिति की कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे में उन्होंने रावी नदी की धारा को ही बॉर्डर बना दिया। करतारपुर गुरुद्वारा रावी के दूसरी तरफ था, लिहाजा यह पाकिस्तान के हिस्से में चला गया।

भारत-पाकिस्तान की जंग से गुरुद्वारे को काफी नुकसान हुआ:

1965 और 71 की जंग में इस गुरुद्वारे का काफी नुकसान हुआ। 90 के दशक तक तो इसकी इमारत बहुत खराब हो गई थी। लोग यहां मवेशी बांधने लगे थे। लोग इसका इतिहास तक भूल गए थे। जिन भारतीयों को इसकी अहमियत पता थी, उनमें से कुछ लोग ही यहां जाते थे। इन्हें भी वाघा बॉर्डर से ही जाना पड़ता था।

दोनों देशों की सरकारों की कोशिशों से बना था कॉरिडोर:

1998 के बाद पाकिस्तान सरकार ने गुरुद्वारे पर ध्यान दिया। 1999 में इसे दुरुस्त करने की मांग उठने लगी, तब पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सरकार के सामने गुरुद्वारे की मरम्मत का प्रस्ताव रखा। इसके बाद सालों तक इसके निर्माण का काम चलता रहा। बाद में भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का फैसला किया। भारत में 26 नवंबर 2018 को और पाकिस्तान में 28 नवंबर 2018 को कॉरिडोर की नींव रखी गई। गुरुनानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर 9 नवंबर 2019 को इसे जनता को समर्पित कर दिया गया था।

552वां प्रकाशपर्व:

करतारपुर कॉरिडोर खुलने से पहुंचेंगे लाखों श्रद्धालु, आज रात शुरू होंगे श्री अखंड पाठ साहिब, दाना मंडी में बनाया अस्थायी बस स्टेंड, 7 जगह पार्किंग बनाई|

19/11/2021 को दोपहर 12 बजे अमृत संचार होगा, शाम 7 बजे दीपमाला

श्री गुरु नानक देव जी के 552वें प्रकाशोत्सव को लेकर समागम आज से शुरू हो रहे हैं। रात 2.30 बजे गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में श्री आखंड पाठ साहिब शुरू होंगे। 18 नवंबर 2021 को गुरुद्वारा संतघाट से नगर कीर्तन सजेगा। 19 नवंबर 2021 को मुख्य समागम होगा। करतारपुर कोरिडोर खुलने से समागम में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचने की संभावना है।

19 नवंबर 2021 तक अस्थाई बस स्टेंड दाना मंडी में रहेगा। शहर में 7 वाहन पार्किंग होंगी। एक पार्किंग केवल बुजुर्गों और अपाहिज लोगों के वाहनों को लेकर रखा गया है। समागम में संगत के पहुंचने, मेडिकल सुविधा व अन्य मुशकिल के लिए 4 कंट्रोल रूम की सुविधा भी होगी।

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