Gandhi Jayanti 2021-
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती हर साल 02 अक्टूबर को मनाई जाती है | इस वर्ष पूरा देश महात्मा गाँधी की 153वीं जयंती मनाएगा | मोहनदास करम चंद गांधी, जिन्हें पूरा विश्व महात्मा गांधी कहता हैं, उनको लोग प्यार से बापू भी कहकर पुकारते थे | अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से भारत को आजाद कराने में बापू का सबसे अहम योगदान हैं | उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलकर अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ दिया था | उनकी इस आजादी की लड़ाई में देश के हर शख्स ने हिस्सा लिया, जिसकी बदौलत हम आज पूरी आजादी से जी रहे हैं | गांधी जयंती के मौके पर देशभर में अभियान, रैलियां, पोस्टर-मेकिंग और भाषण जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं | इस दिन छात्रों के लिए विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है |
संयुक्त राष्ट्र (United Nation) भी शांति और अहिंसा में गांधी के विश्वास का सम्मान करने के लिए 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence) के रूप में मनाता है | राष्ट्र पिता, महात्मा गाँधी, के कई उद्धरण थे जो आज भी दुनिया भर में कई लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं | ऐसे ही कुछ आपके सामने पेश कर रहा हूँ जिसे आप पढ़ें समझें और अपने जीवन में उतार लें |
उन्होंने सत्याग्रह नमक आंदोलन , पूर्ण स्वराज जैसे आंदोलनों में अपनी भूमिका निभाई उनका सफल आयोजन किया | महात्मा गांधी के व्यक्तित्व से अंग्रेजों के पसीने छूटने लगे। देश की जनता ने महात्मा गांधी को अपना नेता मानते हुए उनके नेतृत्व में अंग्रेजों का बहिष्कार किया | उनके सामानों की होली खेली, अर्थात उनके सामानों को जलाया, बहिष्कार किया | अनेकों ऐसे आंदोलन का आरंभ हुआ जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश किया | गांधी जी के संघर्ष की अनेकों कहानियां पढ़ने को मिलती है |
महात्मा गांधी और दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकार आंदोलन (1893-1914):-
वर्ष 1893 में महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के औपनिवेशिक क्षेत्र नटाल स्थित एक भारतीय फर्म दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी में काम करने का एक वर्ष का करार किया। दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी भी भारतीयों के साथ होते भेदभाव के शिकार हुए | उन्हें ट्रेन का फर्स्ट क्लास टिकट होने के बावजूद थर्ड क्लास में यात्रा करने को कहा गया और ऐसा ना करने पर उन्हें चलती ट्रेन से धक्का दे दिया गया | दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए महात्मा गांधी ने रंग भेद की नीति के खिलाफ भी कई आंदोलन किए |
महात्मा गांधी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (1915-1945):-
- वर्ष 1915 में भारत लौटने के पश्चात महात्मा गांधी प्रतिष्ठित कांग्रेसी नेता गोपाल कृष्ण गोखले के संपर्क में आए | वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में आम जनता के हितों को लेकर अपनी आवाज उठाते थे |
- वर्ष 1917 और 1918 में गांधी जी ने खाद्य वस्तुओं की अपेक्षा नील और गैर खाद्य वस्तुओं की खेती के विरोध में चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह किया | इसके बाद गांधी जी ने अपने अनुयायियों समेत देशभर के लोगों को एकत्र कर अहिंसा पर बल देते हुए असहयोग आंदोलन की शुरूआत की | उन्होंने भारतीय नागरिकों को विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और स्वदेशी चीजों को अपनाने पर जोर दिया |
- 1920 के दशक में गांधी जी की लोकप्रियता चरम पर थी | वर्ष 1930 में उन्होंने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नमक कानून को तोड़ने के लिए डांडी यात्रा भी की | उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भारतीय स्वतंत्रा सेनानियों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की |
भारत विभाजन:-
जब कांग्रेस अंग्रेजी सरकार को भारत छोड़कर जाने के लिए विवश कर रही थी तब मुसलमानों ने अपने लिए एक अलग राष्ट्र की मांग रख दी | 14 अगस्त की रात्रि को पाकिस्तान का निर्माण हुआ और 15 अगस्त की मध्य रात्रि को भारतीय स्वाधीनता की घोषणा हुई |
महात्मा गांधी की हत्या:-
आजादी के एक वर्ष के भीतर ही 30 जनवरी 1948 को प्रार्थना सभा के दौरान नाथू राम गोड्से नाम के एक हिंदू राष्ट्रवादी ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई |
महात्मा गाँधी के विचार:-
- महात्मा गाँधी 20वीं सदी के एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने नैतिक मूल्यों के दम पर न केवल भारत बल्कि विश्व की कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया | इन्होनें अहिंसा, सत्य, प्रेम, शुचिता और ईमानदारी का प्रयोग कर भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया | तत्कालीन समय के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने उनके मृत्यु पर कहा था कि आने वाली पीढ़ियां इस बात का मुश्किल से यकीन कर पाएंगी कि हाड़ मांस का कोई ऐसा व्यक्ति भी था जिसने अहिंसा का प्रयोग कर भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया |
- महात्मा गांधी ने अपनी किताब हिन्द स्वराज में बढ़ते हुए मशीनीकरण और वैश्वीकरण के खतरों के प्रति विश्व को आगाह किया था | आज जब भारत साम्प्रदायिकता, वैश्वीकरण भीडतंत्र के कई दुष्प्रभावों को झेल रही है ऐसे में उनकी विचरधारा ही हमें राह दिखा सकती है महात्मा गांधी का जन्म भारत में उनकी उच्च शिक्षा दिक्षा इंग्लैंड में और आजादी का संघर्ष दक्षिण अफ्रीका में हुआ |
- कालान्तर में महात्मा गांधी से प्रेरणा लेते हुए नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग ने रंग भेद के खिलाफ विरोध की आवाज को बुलंद किया जो मानव इतिहास और सभ्यता में मिल का पत्थर साबित हुई महात्मा का जीवन किसी नदी की तरह था जिसमें अनगिनत धाराएं थीं शायद ही ऐसी कोई बात हो जिनपर उनका ध्यान ना गया हो और जिनके लिए उन्होंने कोई समाधान प्रस्तुत ना किया हो उनका मानना था कि भारत को सच्ची आजादी केवल अंग्रेजों से मुक्त होकर नहीं मिलेगी बल्कि अपने भीतर और अपने देश की समस्याओं को सुलझाकर ही सच्ची आजादी प्राप्त होगी |
- इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए छुआछूत उन्मूलन, हिन्दू मुस्लिम एकता, चरखा, खादी को बढ़ावा, ग्राम स्वराज का प्रसार, प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा और चिक्तसिय ज्ञान के उपयोग सहित दूसरे उद्देश्यों पर भी काम करना जारी रखा उन्होंने अफ़्रीका में किए गए आजादी के संघर्ष से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक सत्याग्रह और अहिंसा को अपना मुख्य हथियार बनाया | सत्याग्रह का मकसद विरोधी में सकारात्मक परिवर्तन लाकर उसे सुलह के मार्ग पर अग्रसर करना था इसके लिए सहनशीलता,अनशन,निष्क्रिय प्रतिरोध, प्रदर्शन, धरना इत्यादि शामिल थे दरअसल गांधीवादी विचाधारा विरोधी या शत्रु से घृणा करना नहीं बल्कि उसके बुराइयों से घृणा करने की बात करता है |
- राम राज्य शब्द को लेकर हमेशा से ही एक विवाद बना रहा है कुछ विद्वान इसके प्रयोग को लेकर बचते रहे है लेकिन खुद महात्मा गांधी इसे लेकर हमेशा स्पष्ट और मुखर बने रहे | दांडी मार्च समय ऐसी ही भ्रांतियों के निवारण के लिए उन्हें 20 मार्च 1930 को हिन्दी पत्रिका नवजीवन में स्वराज्य और रामराज्य शीर्षक से एक लेख लिखना पड़ा था |
निष्कर्ष-
दोस्तों आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अब आपको पता चल ही गया होगा की गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है और कब मनाई जाती है? दोस्तों अगर आप हमसे इस आर्टिकल से जुड़े कुछ सवाल हमसे पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं हमारी टीम आपका जवाब जरूर देगी , कृपया अपने दोस्तों के साथ जरूर इस आर्टिकल को साझा करे ताकि उनको भी यह जानकारी मिल सके धन्यवाद।