Dhanteras 2020: कब है धनतेरस, जानें शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और महत्व

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Dhanteras 2021
Dhanteras 2021 Date

Dhanteras 2020:

Dhanteras 2020- धनतेरस (Dhanteras) पांच दिन तक चलने वाले दीपावली पर्व का पहला दिन है | इसे धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्‍वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्‍वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है | मान्‍यता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही माता लक्ष्‍मी और भगवान कुबेर प्रकट हुए थे | यह भी कहा जाता है कि इसी दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्‍वंतरि का जन्‍म हुआ था | यही वजह है कि इस दिन माता लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का विधान है |

भगवान धन्‍वंतरि के जन्‍मदिन को भारत सरकार का आयुर्वेद मंत्रालय ‘राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ (National Ayurveda Day) के नाम से भी जाना जाता है | इसके अलावा धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है | इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है | धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है | इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस, बड़ी या मुख्‍य दीपावली, गोवर्द्धन पूजा और अंत में भाई दूज या भैया दूज का त्‍योहार मनाया जाता है |

धनतेरस 2020 तिथि तथा शुभ मुहूर्त:-

खरीदारी की तिथि– 12 नवंबर, 2020
धनतेरस तिथि– 12 नवंबर, 2020
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त– शाम 5:28 बजे से शाम 5:59 बजे तक
प्रदोष काल मुहूर्त– शाम 5:28 से रात 8:07 तक- 12 नवंबर, 2020
वृषभ काल मुहूर्त– शाम 5:32 से शाम 7:28 तक- 12 नवंबर, 2020

धनतेरस की महत्ता:-

दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस के अवसर पर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा के साथ होती है | पुराणों की मान्यता के अनुसार, जिस समय देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे, उसी समय समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे | इन्हीं में से एक भगवान धनवंतरि धनत्रयोदशी के दिन अपने हाथ में पीतल का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे | यही कारण है कि इस दिन पीतल की वस्तुएं खरीदना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है |

एक अन्य मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन घर में नई चीजें लाने से घर में धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता माने जाने वाले भगवान कुबेर का वास होता है | इस दिन नई झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है | इस दिन झाड़ू खरीदने का कारण यह है कि झाड़ू में माता लक्ष्मी का वास माना गया है | अगर धनतेरस पर आप झाड़ू खरीदकर लाते हैं तो कहा जाता है कि घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है | सोना, चांदी और पीतल की वस्तुओं को खरीदना बेहद शुभ माना गया है |

धनतेरस की पौराणिक कथा:- Dhanteras 2020

एक बार भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने का विचार किया | यह बात उन्होंने माता लक्ष्मी को बताई तो माता लक्ष्मी ने भी भगवान विष्णु के साथ चलने को कहा | तब विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप मेरे साथ तभी चल सकती हैं, जब मेरी बात मानेंगी | लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को स्वीकृति दे दी | फिर वे दोनों पृथ्वी लोक पर विचरण के लिए निकल पड़े | पृथ्वी लोक पहुंचने पर विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप यहीं ठहरकर मेरी प्रतीक्षा करिए | साथ ही एक बात का ध्यान रखने के लिए भी कहा कि जिस दिशा में वे जा रहे थे, देवी लक्ष्मी उस ओर बिल्कुल न देखें. इतना कहकर विष्णु भगवान वहां से चल पड़े |

लक्ष्मी जी ने रुकने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उनका मन नहीं माना | वे विष्णु जी के पीछे चल दीं | थोड़ी दूरी पर जाने के बाद उन्होंने सरसों का एक खेत देखा | उस सरसों के खेत में जाकर माता लक्ष्मी ने फूल तोड़े और अपना श्रृंगार किया | तभी विष्णु जी की नजर उन पर पड़ गई और उन्होंने माता लक्ष्मी को श्राप दिया कि तुमने चोरी की है, इसलिए तुम्हें 12 साल तक इस किसान की सेवा करनी होगी |

इस श्राप के बाद माता लक्ष्मी किसान के घर चली गईं | वह किसान बहुत निर्धन था | जबलक्ष्मी माता वहां पहुंची तो उन्होंने किसान से कहा कि मैं अब आप ही के घर रहना चाहती हूं | तब किसान ने एक बूढ़ी औरत का रूप धारण किए हुए माता लक्ष्मी को देखकर हां कह दिया | किसान के घर माता लक्ष्मी का वास हो गया और धीरे-धीरे धन से उसका घर परिपूर्ण हो गया | इस प्रकार 12 वर्ष व्यतीत हो गए |

12 वर्ष व्यतीत होने पर भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को चलने के लिए कहा | तब किसान ने माता लक्ष्मी को विष्णु जी के साथ भेजने से इनकार कर दिया | तब माता लक्ष्मी ने किसान से कहा कि तेरस के दिन घर को अच्छी तरह से साफ करो | घर को साफ करने के बाद रात में घी का दीपक जलाओ | एक तांबे के कलश में रुपए और पैसे भर मेरी पूजा करो | ऐसा करने से मैं साल भर तुम्हारे समीप रहूंगी |

किसान ने ऐसा ही किया और उसके घर पर लक्ष्मी माता का आशीर्वाद बना रहा | तभी से मान्यता है कि तेरस के दिन धन की देवी की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है | तभी से यह धनतेरस का त्योहार मनाया जाने लगा |

धनतेरस की पूजा विधि:-

  • धनतेरस के दिन भगवान धन्‍वंतरि, मां लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है |
  • धनतेरस के दिन आरोग्‍य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्‍वंतरि की पूजा की जाती है | मान्‍यता है कि इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु प्राप्‍त होती है | इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं | साथ ही फूल अर्पित कर सच्‍चे मन से पूजा करें |
  • धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है | इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं |दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए | दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें: 

मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह|
त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम ||

  • धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है | मान्‍यता है कि उनकी पूजा करने से व्‍यक्ति को जीवन के हर भौतिक सुख की प्राप्‍ति होती है | इस दिन भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो धूप-दीपक दिखाकर पुष्‍प अर्पित करें | फिर दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर सच्‍चे मन से इस मंत्र का उच्‍चारण करें:

ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्‍लीं श्रीं क्‍लीं वित्तेश्वराय नम:

  • धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है | इस दिन मां लक्ष्‍मी के छोटे-छोट पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है |

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