Chandrayaan 2 Facts चंद्रयान 2 से जुड़े रोचक तथ्य:-
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) भारत और भारतीय स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) का महत्वकांक्षी मिशन है। आज हम आपको चंद्रयान-2 से जुड़े ऐसे तथ्यों (chandrayaan 2 Facts) की जानकारी देने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी शायद ही आपको होगी। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में.
Chandrayaan 2 Facts
- चंद्रयान 2 का वजन लगभग 3850 किलोग्राम है |
- चंद्रयान 2 मिशन में अनुमान के अनुसार, 978 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं |
- चंद्रयान 2 को सबसे पहले 2011 में रसियन मेन लैंडर और रोबर के साथ चाँद पर भेजा जाना था लेकिन Russia ने कुछ ही समय बाद इन बातो से इंकार कर दिया Russia नही चाहता था कि कोई देश उसकी बराबरी करे |
- Russia के इनकार करने के बाद, ISRO ने अपना खुद का लैंडर बनाया और चंद्रयान 2 को चंद्रमा तक पहुंचने में मदद की|
- चंद्रयान 2 को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में भेजा गया है, क्योंकि चंद्रमा का एक बड़ा हिस्सा छाया से छिपा रहता है |
- इस संभावना से उस क्षेत्र में पानी मिलने की संभावना बढ़ जाती है |
- चंद्रमा के दक्षिणी धुव्र में बड़ा creator बहुत ही शांत है, इसलिए चंद्रयान 2 का मिशन यह है कि वह उस creator को अच्छी तरह से जांच सके और पता लगा सके कि मानव के लिए कोई जीवन मौजूद है या नहीं |
- वहीं, दूसरा सबसे बड़ा मिशन यह है कि चंद्रमा पर पानी की मात्रा कितनी है, चंद्रमा पर खनिज सामग्री क्या है और वे कौन सी चीजें हैं जो इंसान के लिए फायदेमंद होंगी |
- इससे पहले, भारत के चंद्रयान 1 ने चंद्रमा पर पानी की पुष्टि की थी।
- 11 साल पहले भेजे गए चंद्रयान 1 ने चंद्रमा पर 3500 के आसपास परिचालित किया था और इसने 29 अगस्त 2009 से तेज गति से 212 दिनों तक अप्रभावित काम करना जारी रखा |
- चंद्रयान 2 के साथ 13 पेलोड इसका मतलब की scientist उपकरण भेजे गये |
- जिसमें कई तरह के कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, राडार, और अन्य ऐसे उपकरण भेजे गए हैं जो चंद्रमा की जानकरी पृथ्वी तक भेज सकते हैं |
- इस रॉकेट में अमेरिकी नासा का पेलोड भी डाला गया है |
- जिसका मतलब ये की ये धरती और चाँद की दुरी का पता लगाएगी |
- चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में अभी तक किसे ने चंद्रयान नही भेजा है |
- इसका मतलब यह है कि भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में एंट्री करेगा |
- चंद्रयान 2 को 3 हिस्सों में बांटा गया है जिसमे पहला ऑर्बिटर, लैंडर, और रोवर |
- ऑर्बिटर चंद्रमा के सतह से 100 किलोमीटर उपर में चक्कर लगाएगा, लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से अलग होकर चंद्रमा के सतह पर उतरेगा जो चंद्रमा पर रहते हुए वो 15 दिनों तक धरती पर चंद्रमा की scientific जानकारी शेयर करेगा, और प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर मून पर 500 मीटर की दुरी तक घूम घूम कर फोटोज और जानकारी शेयर करेगा |
- प्रज्ञान रोवर 1m/s के हिसाब से बढेगा |
- रोवर चाँद पर केमिकल डाटा को anaylsis कर लैंडर विक्रम तक पहुचायेगा | वो लैंडर उसे धरती तक भेजेगा |
- प्रज्ञान रोवर का ऑपरेटिंग टाइम तक़रीबन 14 दिन तक का होगा |
- चंद्रयान 2 इंडिया के लिए किसी चुनौतीपूर्ण से कम नही था |
- भारत पहली बार मून पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा |
- भारत इससे पहले 15 जून को लौन्चिंग करने बाला था, लेकिन इंजन में कुछ लिकेज के कारण चंद्रयान 2 की लौन्चिंग डेट को आगे बढ़ाना पड़ा |
- ISRO के एक वैज्ञानिक ने कहा लैंडिंग से पहले 15 मिनट का समय बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहेगा क्योकि भारत पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग करने बाला है |
- ISRO के एक वैज्ञानिक का ये कहना है की चंद्रमा पर हीलियम की मात्रा ज्यादा है जो की अगर 1 टन भी हीलियम लाया जाए तो धरती पर इसका दाम करब 1 अरब dollar होने बाला है |
- जबकि चंद्रयान से 2.5 lakh ton हीलियम लाया जा सकता है |
- इंडिया ही नही है जो मून पर हीलियम की खोज कर रहा बल्कि चाइना भी जल्द ही हीलियम खोजने के लिए एक राकेट भेजने बाला है और फिर अमेरिका भी अगले नंबर पर है |
- चंद्रयान 2 को चाँद तक पहुचने में 54 दिन का समय लगेगा |
- लैंडर विकर्म का नाम इंडियन अनुसंधान कार्यक्रम के डॉ ऐ सारा भाई विक्रम के नाम पर पड़ा है |
- और प्रज्ञान का मतलब संस्कृत में उध्मता होता है |
- चाँद पर जाने वाला भारत चौथा देश है |
- चंद्रयान 2 भारत का दूसरा लूनर मिशन है |
- चंद्रयान 2 का निर्देशन 2 महिलाओं ने किया है |
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर ही चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है |
- भारत के द्वारा बनाया गया GSLV MK3 सबसे पावरफुल space launcher है |
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