मां ब्रह्मचारिणी:-

चैत्र नवरात्रि 2021 का दूसरा दिन- नवरात्र के नौ दिनों में मां के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है | दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है | इसके पहले मां शैलपुत्री और इसके बाद क्रमशः चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की आराधना होती है | नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना का दिन है | ब्

रह्मचारिणी नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है | मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कई हजार वर्षों तक ब्रह्मचारी रहकर घोर तपस्या की थी | उनकी इस कठिन तपस्या के कारण उनका नाम तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी पड़ गया | वे श्वेत वस्त्र पहनती है, उनके दाएं हाथ में जपमाला तथा बाएं हाथ में कमंडल विराजमान है |

माँ ब्रह्मचारिणी की कथा:-

पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी | इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया | एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया |

कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे | तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं | इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए | कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं | पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया |

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया | देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की | यह आप से ही संभव थी | आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे | अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ | जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं | मां की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए | मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है |

मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र:-

मां ब्रह्मचारिणी को तप की देवी के नाम से भी जाना जाता है। उनकी तपस्या से संबंधित एक कथा भी है। हजारों वर्षों की कठिन तपस्या करने के बाद उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। तपस्या की इस अवधि में उन्होंने कई वर्षों तक निराहार व्रत किया और महादेव को प्रसन्न किया। यह है मां ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व:-

मां दुर्गा का यह स्वरूप अनंतफल को देने वाला है और इनकी उपासना करने से जीवन में ज्ञान की वृद्धि होती है | माता ब्रह्मचारिणी ने अपने तप के माध्यम से ही राक्षसों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी | मां की पूजा-पाठ करने वालों को इष्ट फलों की अभीष्ट फल प्रदान करती हैं और समस्त कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं | मां के आशीर्वाद घर-परिवार में सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है | साथ ही मां की आराधना से जीवन में उत्साह, उमंग, कर्मठ, धैर्य व साहस समावेश होता है | जिसकी जीवन में अंधकार फैला हो और हर तरफ से परेशानी ही परेशानी नजर आ रही हो तो मां का यह स्वरूप दिव्य और आलौकिक प्रकाश लेकर आता है |

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