चैत्र नवरात्रि 2023:-
चैत्र नवरात्रि 2023, जिसे वसंत नवरात्रि के नाम से जाना जाता है | हर साल बसंत के मौसम में आता है | यह पर्व आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ता है | इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से 30 मार्च 2023 तक मनाई जाएगी | अष्टमी 29 मार्च को मनाई जाएगी | नवरात्रि में मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है |
महानिशा पूजा आठ को तो महाअष्टमी का व्रत नौ को होगी | 30 को महानवमी का व्रत व हवन होगा | इसी दिन रामनवमी का पर्व भी धूमधाम से मनाया जाएगा | नवरात्र का पारण 11 को प्रातः काल में किया जाएगा | इसी दिन दशमी भी मनायी जाएगी |
साल में चार बार नवरात्रि मनायी जाती है | अषाढ़ व माघ मास में दो गुप्त नवरात्रि, चैत्र माह में बासंतिक तो आश्विन में शारदीय नवरात्रि होती है | चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है |
चैत्र नवरात्रि 2023 का प्रारंभ सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग में हो रहा है | ऐसी मान्यता है कि ये दोनों ही योग बेहद शुभ फलदायी हैं। इन शुभ योग में नवरात्र का आरंभ होने पर श्रद्धालुओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है एवं हर कार्य की सिद्धि होती है | कहते हैं कि शुभ योग में की गई पूजा भक्तों को अभिष्ठ सिद्धि दिलवाती है|
चैत्र नवरात्रि 2023 के लिए पूजा सामग्री:- Chaitra navratri 2023
- मां दुर्गा की प्रतिमा अथवा चित्र
- लाल चुनरी
- आम की पत्तियां
- चावल
- दुर्गा सप्तशती की किताब
- लाल कलावा
- गंगा जल
- चंदन
- नारियल
- कपूर
- जौ के बीच
- मिट्टी का बर्तन
- गुलाल
- सुपारी
- पान के पत्ते
- लौंग
- इलायची पूजा थाली में जरूर रखें |
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इस बार नवरात्रि की नौ तिथियां – Chaitra navratri 2023
प्रतिपदा – 22 मार्च
द्वितीय – 23 मार्च
तृतीया – 24 मार्च
चतुर्थी – 25 मार्च
पंचमी – 26 मार्च
षष्ठी – 27 मार्च
सप्तमी – 28 मार्च
अष्टमी – 29 मार्च
नवमी – 30 मार्च
पूजा के शुभ फल – Chaitra navratri 2023
- शत्रुओं का भय दूर होता है |
- ग्रहों के कारण आ रही बुरी दशाएं समाप्त होती हैं |
- धन आने के रास्ते खुलते हैं |
- दीर्घायु, चतुर्रयता प्राप्त होती है |
- नजर दोष दूर होता है |
इस बार नवरात्रि का आरम्भ शनिवार से हो रहा है, इसलिए इस बार नवरात्रि में माता का वाहन घोडा है | माता का आगमन घोड़े की सवारी से होगा | घोड़े की सवारी से माता के आगमन को नए वर्ष में सामाजिक राजनैतिक और प्राकृतिक उठा-पटक कराने वाला माना गया है लेकिन विकास कार्यों के लिए शुभ माना गया है | इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ‘अमृत सिद्धि योग‘ और ‘सर्वार्थ सिद्धि योग‘ भी उपस्थित रहेंगे, इसलिए इस बार नवरात्रि का आरम्भ परम शुभ स्थिति में होगा |
देवी शैलपुत्री
नवरात्रि का पहला दिन प्रतिपदा का होता है | इस दिन कलश पूजन के साथ मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन किया जाता है | इस दिन माँ की पूजा करते समय आराधक को लाल, गुलाबी, नारंगी एवं रानी रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से लाभ मिलता है |
ब्रह्मचारिणी
देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरुप अत्यंत दिव्य और भव्य है | नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की उपासना करते समय सफ़ेद, क्रीम या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है, इससे साधक की मेधा शक्ति विकसित होती है |
चंद्रघंटा
बाघ पर सवार माँ चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है | नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है | इस दिन मां चंद्रघंटा को पीला, लाल, दूधियाँ या केसरिया रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से आपके बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं |
कूष्मांडा
शेर पर सवार माँ कूष्माण्डा देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। इस दिन दुर्गा मां के चौथे रूप कूष्मांडा की आराधना की जाती है। देवी कूष्मांडा प्रकृति की भी देवी हैं इसलिए इनकी पूजा में क्रीम, पीला, हरा और भूरे रंग के वस्त्र पहनने से पूजा के फल में वृद्धि होगी।
स्कंदमाता
भगवान कार्तिकेय(स्कन्द)की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरुप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है | नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना सफेद, दूधियाँ, लाल या हरे रंग के कपड़े पहनकर करने पर मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती है |
कात्यायनी
दुर्गा मां का छठा रूप माता कात्यायनी है | देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है | माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं | भक्तों को इस दिन लाल, मेहरून, नारंगी, गुलाबी, गेरुआ एवं मूंगा रंग के कपड़े पहनकर माता रानी की पूजा अर्चना करनी चाहिए |
कालरात्रि
दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा का विधान है | नवरात्रि की पूजा में तंत्र साधना करने वाले लोग इस दिन काले रंग का वस्त्र धारण करते हैं | अन्य आराधकों को बैंगनी, स्लेटी, नीला एवं आसमानी रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना गया है |
महागौरी
मां का आठवां स्वरूप यानी देवी महागौरी सर्वसौभाग्यदायिनी मानी जाती हैं एवं इनका रंग गौर वर्ण का है | ये धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं | इनकी पूजा के दौरान साधकों को केसरिया, संतरी या लाल रंग के वस्त्र धारण करना विशेष फलदाई है |
सिद्धिदात्री
नवीं शक्ति सभी सिद्दियों को देने वाली हैं | इस दिन विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधकों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है | इनकी उपासना के समय लाल, गुलाबी, क्रीम, नारंगी रंग के वस्त्र पहनने से उपासकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं |
कलश स्थापना का शुभ समय: चैत्र नवरात्रि 2023
पंचाग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 मार्च को सुबह 11:58 मिनट तक कलश स्थापन का मुहूर्त है | जबकि, अभिजीत मुहूर्त में 11.24 से 12.36 तक स्थापन किया जा सकेगा | ज्योतिष के जानकार पंडित मोहन कुमार दत्त मिश्र बताते हैं कि इस बार माता दुर्गा अश्व पर बैठकर आएंगी | जबकि, महिष (भैंस) पर माता का गमन होगा |
कलश स्थापना की विधि:-
नवरात्रि के प्रथम दिन ही घटस्थापना की जाती है, इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है | इसके लिए कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है | आइए जानते है घटस्थापना के समय किन सामग्रियों की जरूरत पड़ेगी |
- जल से भरा हुआ पीतल
- चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश
- पानी वाला नारियल
- रोली या कुमकुम, आम के 5 पत्ते
- नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा या चुनरी
- लाल सूत्र/मौली
- साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के
Frequently Asked Questions(FAQs):-
चैत्र नवरात्रि 2023 कब से शुरू हो रही है?
22 मार्च 2023 से
चैत्र नवरात्रि 2023 में अष्टमी कब मनाई जाएगी
अष्टमी 29 मार्च को मनाई जाएगी
चैत्र नवरात्रि 2023 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?
पंचाग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 मार्च को सुबह 11:58 मिनट तक कलश स्थापन का मुहूर्त है | जबकि, अभिजीत मुहूर्त में 11.24 से 12.36 तक स्थापन किया जा सकेगा |