राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा की कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे, पार्टी कार्यकर्ता और सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक के लोग उत्साहित हैं कि उन्हें राज्य का नेतृत्व करने के लिए उनका लंबा इंतजार जल्द ही एक वास्तविकता होगी। दूसरी ओर, गहलोत के गृहनगर जोधपुर में कई लोग चाहते हैं कि वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी मुख्यमंत्री बने रहें। पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।अशोक गहलोत दिसंबर 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक और फिर 17 दिसंबर, 2018 तक इस पद पर रहे। वह राजस्थान विधान सभा के सदस्य के रूप में जोधपुर के सरदारपुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह मार्च 2018 से 23 जनवरी, 2019 तक संगठनों और प्रशिक्षण के प्रभारी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें गुजरात राज्य का प्रभारी भी बनाया गया था।

Ashok Gehlot

अशोक गहलोत कौन हैं –

अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। जहां तक अशोक गहलोत की जाति का सवाल है तो बता दें कि अशोक गहलोत माली जाति से संबंध रखते हैं, जिनका राजस्थान की राजनीति में ज्यादा दबदबा नहीं है। इसके बावजूद अशोक गहलोत ने जाति की राजनीति के मिथक को तोड़ा और 3 बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। अशोक गहलोत के परिवार में अशोक गहलोत के पिता का नाम लक्ष्मण सिंह गहलोत था। अशोक गहलोत की पत्नी का नाम सुनीता गहलोत है। अशोक गहलोत और सुनीता गहलोत की शादी 27 नवंबर 1977 को हुई थी। अशोक गहलोत के बेटे का नाम वैभव गहलोत है। वैभव भी राजनीति में हैं। अशोक गहलोत की बेटी का नाम सोनिया है।
अशोक गहलोत ने अपनी शिक्षा राजस्थान के जोधपुर विश्वविद्यालय से पूरी की है। अशोक गहलोत ने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद विज्ञान और कानून में स्नातक किया। इसके बाद अशोक गहलोत ने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की शिक्षा ली है।

उन्होंने कई बार केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्य किया हैं | वह जोधपुर संसदीय क्षेत्र से वर्ष 1980 में 7वीं लोकसभा के लिए पहली बार चुने गए थे | उन्होंने 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा में जोधपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया | वर्ष 1999 में उन्हें सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में निर्वाचित किया गया था | उन्होंने लगातार तीन विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी |वर्ष 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध के दौरान, गेहलोत ने बंगाल और पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिलों, सहित कई स्थानों पर शरणार्थी शिविरों में सेवा की | वह सेवाग्राम, इंदौर, औरंगाबाद, और वर्धा में तरुण शांति सेना द्वारा आयोजित शिविरों में सक्रिय पार्टी सिपेंट थे | 

अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर क्यों कहा जाता है?

दरअसल अशोक गहलोत के पिता लक्ष्मण सिंह एक महान जादूगर थे। वह देश भर में घूम-घूम कर जादू दिखाता था। अशोक गहलोत भी अपने पिता के साथ घूमते रहे और कई चरणों में जादू भी दिखाया। राजनीति में आने के बाद अशोक गहलोत ने जिस तरह से सफलता हासिल की, उसे देखकर उन्हें राजनीति का जादूगर कहा जाने लगा।

अशोक गेहलोत का राजनीतिक सफर

  • वर्ष 1979 में, उन्हें जोधपुर शहर से जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था |
  • वर्ष 1980 में वह जोधपुर संसदीय क्षेत्र से 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए और 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा में जोधपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था |
  • वर्ष 1980 में, उन्हें लोक लेखा समिति के सदस्य के रूप में चुना गया था |
  • वर्ष 1982 में, उन्हें राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था |
  • वर्ष 1982 में, उन्हें केंद्रीय उप मंत्री, पर्यटन विभाग के रूप में नियुक्त किया गया था |
  • वर्ष 1983 में, उन्हें पर्यटन और नागरिक उड्डयन विभाग के केंद्रीय उप मंत्री के रूप में चुना गया था  |
  • वर्ष 1984 में, उन्हें खेल विभाग के केंद्रीय उप मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था |
  • वर्ष 1985, 1994, 1997 में, उन्हें राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष
    के रूप में चुना गया था  |
  • वर्ष 1991 में, उन्हें संचार (लोकसभा) की परामर्श समिति के सदस्य के रूप में चुना गया 
    था  |
  • वर्ष 1991 में, वह रेलवे (10वीं और 11वीं लोकसभा) की स्थायी समिति के सदस्य बने |
  • वर्ष 1998 में, वह पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने |
  • वर्ष 1999 में, उन्हें सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुना गया |
  • वर्ष 2008 में, वह दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने |
  • वर्ष 2017 में, उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया

अशोक गेहलोत से जुड़े विवाद

वर्ष 2017 में, वह विवादों में तब आए जब उनका नाम paradise paper घोटाले में आया, जिसकी जाँच International consortium द्वारा की जा रही थी | हालांकि, उन्हें बाद में आरोपों से मुक्त कर दिया गया, क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल पाया था | वर्ष 2011 में, अशोक गहलोत को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा जब राजस्थान सरकार ने अशोक के परिवार के सदस्यों की वित्तीय संबंध रखने वाली firms को कथित रूप से ₹11,000 करोड़ की संपत्ति और अनुबंध होने के कारण |

अशोक गेहलोत से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Interesting facts of Ashok Gehlot
  • वह महात्मा गांधी जी के आदर्शों से बहुत प्रेरित हैं |
  • वर्ष 1971 में, उन्होंने बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध के दौरान शरणार्थी शिविरों में बहुत सेवा की |
  • अपने कॉलेज के दिनों से ही वह राजनीति में सक्रिय रहे हैं | वर्ष 1973 से 1979 तक वह कांग्रेस पार्टी, NSUI के युवा wing के अध्यक्ष भी रहे हैं |
  • इंदिरा गांधी ने गहलोत के संगठनात्मक कौशल को देख कर ही उन्हें राष्ट्रीय छात्र संघ के पहले राज्य अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया था |
  • उन्होंने इंदौर, सेवाग्राम, औरंगाबाद और वर्धा में तरुण शांति सेना द्वारा आयोजित शिविरों में भी काम किया है |
  • वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य के रूप में जोधपुर के सरदारपुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं |
  • वर्ष 1989 में कुछ समय के लिए उन्होंने राजस्थान के गृहमंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाला |
  • वर्ष 1998 से 2003 तक पहली बार अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और मुख्यमंत्री के ररूप में उनका दूसरा कार्यकाल वर्ष 2008 से 2013 तक रहा |
  • ने भारत सेवा संस्थान की स्थापना की, जो Rajiv Gandhi Memorial book bank के माध्यम से मुफ्त पुस्तकें प्रदान करता है और ambulence सेवाएं भी प्रदान करता है |

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