Bad Bank Structure: बैड बैंक स्ट्रक्चर

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बैड बैंक स्ट्रक्चर
बैड बैंक स्ट्रक्चर

बैड बैंक स्ट्रक्चर- साथियो आज हम आप को ऐसी बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम सुनकर अजीब लगेगा | आप को इस बैंक का नाम सुनकर लगेगा कि कभी क्या बैंक का नाम भी ऐसा हो सकता है | जी हाँ , दोस्तों हम ऐसी ही बैंक के बारे में बात करेंगे जिसका नाम है बैड बैंक, आप ने कभी भी सोचा हे नहीं होगा कि किसी बैंक का नाम बैड बैंक होगा |

आपने बैड बॉय , बैड इमेज आदि के बारे में बहुत सुना होगा कि वो लड़का गन्दा है या फिर ये पिक्चर गन्दी है पर किसी बैंक के बारे में नहीं सुना होगा कि कोई भी बैंक गन्दी है जिसका नाम बैड बैंक है | लेकिन ऐसा है कि बैंक का नाम बैड बैंक है यहाँ पर बैंक के नाम में बैड शब्द गंदे के लिए नहीं उपयोग हुआ है बल्कि यहाँ पर बैड बैंक से मतलब है अच्छी बैंक से है| जी हाँ दोस्तों भारत सरकार एक ऐसी ही बैंक बना रही है जिसका नाम है बैड बैंक | साथियो आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी को बैड बैंक से जुडी जानकारी साझा करेंगे कि क्यों इस बैंक का नाम बैड बैंक होते हुए भी हम सभी के लिए एक अच्छी बैंक है |

बैड बैंक स्ट्रक्चर

बैड बैंक स्ट्रक्चर- एक तरह की असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी होती है, जिसका काम बैंकों के फंसे हुए कर्जों यानी एनपीए (NPA) (Non-Performing Asset) को टेकओवर करना होता है. बैड बैंक किसी भी बैड असेट को गुड असेट में बदलने का काम करती  है.

भारत सरकार ने देश में बैड बैंक स्ट्रक्चर बनाने का ऐलान कर दिया है. यूनियन कैबिनेट इसके लिए National Asset Reconstruction Company Ltd (NARCL) की ओर से जारी सिक्योरिटी रिसिट लिए 30,600 करोड़ रुपये की गारंटी देने के फैसले को मंजूरी दे दी. सिक्योरिटी रिसिट से किसी फाइनेंशियल एसेट पर एसेट रीकंस्ट्रक्शन के अधिकार को निर्विवाद मान्यता मिल जाती है. आम तौर पर एसेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी या बैड बैंक फंसे हुए कर्ज को 15 फीसदी कैश देकर खरीद लेते हैं. बाकी 85 फीसदी सिक्योरिटी रिसिट के तौर पर होता है जो कि असेट्स के बिक जाने के बाद बैंक को दे दिया जाता है |

वित्त मंत्री ने ऐलान करते हुए बताया कि पिछले छह साल में बैंकों ने 5,01,479 रुपये रिकवर कर लिए हैं. इनमें से 3.1 लाख करोड़ रुपये मार्च 2018 से रिकवर किए गए हैं अब बैंकों को अपने फंसे हुए कर्ज को भरोसे के साथ NARCL को बेच सकेंगे | NARCL को बोलचाल की भाषा में बैड बैंक कहा जा रहा है. कंपनी को सिक्योरिटी रिसिप्ट पर सरकार की गारंटी मिलेगी, इसी के आधार पर यह बैंकों के डूबे हुए कर्ज को खरीदेगी| जुलाई में हो गई थी NARCL  की स्थापना|

बैड बैंक क्या है ? (What is BAD BANK?):-

बैड बैंक (BAD BANK) एक तरह की एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (Asset Reconstruction Company)होती है, जिसका काम बैंकों के फंसे हुए कर्जों यानी एनपीए (Non-Performing Asset) को टेकओवर करना होता है. बैड बैंक किसी भी बैड असेट (Bad Assets) को गुड एसेट ( (Good Assets) में बदलने का काम करता है. अगर बैंक किसी को भी लोन देता है तो ये जरूरी नहीं कि हर कोई लोन की हर किस्त समय से चुका दे या लोन पूरा चुका दे| ऐसे में बैड बैंक अपनी भूमिका शुरू करता है|

जुलाई में हो गई थी NARCL की स्थापना :

इससे पहले पिछले महीने इंडियन बैंक एसोसिएशन ने आरबीआई को एक आवेदन देकर 6000 करोड़ रुपये के NARCL की स्थापना की मांग की थी| समझा जाता है कि मुंबई में जुलाई में ही रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में रजिस्ट्रेशन करा कर NARCLका गठन कर दिया गया है. खबरों के मुताबिक कंपनी ने 100 करोड़ रुपये का फंड जुटा लिया है और एसेट रीकंस्ट्रक्शन बिजनेस के लाइसेंस के लिए आरबीआई (RBI) में अप्लाई किया है.

बैड बैंक चर्चा का विषय क्यों बना हुआ है?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर ने एक बैड बैंक  (Bad Bank) बनाने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिये सहमत हुए हैं।

बैड बैंक के विषय में जानकारी :

  • बैड बैंक एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नए बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
  • बैड बैंक ऋण देने और जमा स्वीकार करने की प्रकिया का भाग नहीं होता है, लेकिन वाणिज्यिक बैंकों की बैलेंस शीट ठीक करने में मदद करता है।
  • तकनीकी रूप से बैड बैंक एक Asset Reconstruction Company- ARC या Asset Management Company- AMC है जो वाणिज्यिक बैंकों के बैड ऋणों को अपने नियंत्रण में लेकर उनका प्रबंधन और समय के साथ धन की वसूली करती है।
  • अमेरिका स्थित मेल्लोन बैंक(Mellon Bank) द्वारा वर्ष 1988 में पहला बैड बैंक बनाया गया था, जिसके बाद स्वीडन, फिनलैंड, फ्राँस और जर्मनी सहित अन्य देशों ने इस अवधारणा में अपनाया।
    • अमेरिका में इसके लिये तनावग्रस्त परिसंपत्ति राहत कार्यक्रम (Troubled Asset Relief Programme- TARP) व्यवस्था की गई है।
    • आयरलैंड में वित्तीय संकट से उभरने के लिये वर्ष 2009 में राष्ट्रीय परिसंपत्ति प्रबंधन एजेंसी (National Asset Management Agency) की स्थापना की गई थी।

बैड बैंक की भारत में जरुरत क्यों है?

  • आर्थिक सुधार हेतु:
    • RBI ने आशंका जताई है कि बैंकिंग क्षेत्र में महामारी के कारण बैड ऋणों में वृद्धि हो सकती है।
  • सरकारी सहायता:
    • निजी उधारदाताओं द्वारा वित्तपोषित और सरकार द्वारा समर्थित व्यावसायिक रूप से संचालित बैड बैंक,  Non-Performing Asset (NPA) से निपटने के लिये एक प्रभावी तंत्र हो सकता है।
    • इस बैंक में सरकार की भागीदारी को बैड ऋण से निपटने की प्रक्रिया को तेज करने के साधन के रूप में देखा जाता है।
  • बढ़ता NPA:
    • (Financial Stability Report) वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट : RBI ने आपनी इस रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि बैंकिंग क्षेत्र का सकल NPA सितंबर 2020 की तुलना में 7.5% से बढ़कर सितंबर 2021 में 13.5% तक हो सकता है।
  •  के वी कामथ कमेटी : भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र में कोविड-19 महामारी के बाद 15.52 लाख करोड़ रुपए के कर्ज़ के कारण तनाव की स्थिति देखी जा रही है, हालाँकि इस क्षेत्र पर महामारी के पहले से ही 22.20 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ था।
    • समिति ने कहा कि खुदरा व्यापार, थोक व्यापार, सड़क और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में कंपनियों को तनाव का सामना करना पड़ रहा है।
    • कोविड महामारी से पहले से ही तनाव ग्रस्त क्षेत्रों में गैर -बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Company), बिजली, स्टील, रियल एस्टेट और निर्माण शामिल हैं।

बैड बैंक के लिए चुनौतियां :

  • गतिशील पूंजी:
    • महामारी-ग्रस्त अर्थव्यवस्था में बैड संपत्ति के लिये खरीदारों को ढूँढ़ना एक चुनौती होगी, खासकर जब सरकारें राजकोषीय घाटे के मुद्दे का सामना कर रही है|
  • अंतर्निहित मुद्दे की अनदेखी:
    • शासनिक सुधारों के बिना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (कुल NPA में से 86% के लिये ज़िम्मेदार हैं) अतीत की तरह व्यवसाय कर सकते हैं और बैड ऋणों को समाप्त कर सकते हैं।
    • बैड बैंक का विचार सरकारी जेब (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों) से दूसरे (बैड बैंक) को ऋण स्थानांतरित करने जैसा है।
  • पुनर्पूंजीकरण के माध्यम से निपटने का प्रावधान:
    • केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बैंकों में पुनर्पूंजीकरण के माध्यम से लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है।
    • बैड बैंक की अवधारणा का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा बैंकों की बैलेंस शीट को ठीक करने के लिये पुनर्पूंजीकरण की व्यवस्था की गई है, इसलिये बैड बैंक की आवश्यकता नहीं है।
  • बाज़ार से संबंधित मुद्दे:

वाणिज्यिक बैंकों से बैड बैंक में बैड संपत्ति का स्थानांतरण बाज़ार द्वारा निर्धारित नहीं किया जाएगा।

बैड बैंक के लिए आगे की राह :

  • समग्र सुधार:
    • जब तक सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक प्रबंधन राजनेताओं और नौकरशाहों के प्रति निष्ठावान रहेगा तब तक उनके व्यवसाय में घाटे की स्थिति बनी रहेगी और उनके द्वारा मितव्ययी (Prudential) मानदंडों के आधार पर उधार दिया जाना जारी रहेगा। इसलिये एक बैड बैंक की स्थापना के बारे में बहस को बैंकिंग क्षेत्र में समग्र सुधारों के उचित कार्यान्वयन से पहले किया जाना चाहिये, जैसा कि वर्ष 2015 में शुरू की गई  इन्द्र धनुष (Indra Dhanush) योजना के तहत परिकल्पित था।
  • टेलर मेड अप्रोच:
    • यह एक चुनौती है जिसे कई मोर्चों पर सुधार की आवश्यकता है। सिर्फ बैड बैंक की स्थापना कर देना सुधार के लिये पर्याप्त नहीं हो सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में मौजूद बैड लोन की समस्या का समाधान टेलर मेड अप्रोच (Tailor Made Approach)के माध्यम से करना और  बैड बैंक का उपयोग अन्य सभी तरीकों के असफल होने पर ही अंतिम उपाय के रूप में किया जाना चाहिये।

बैड बैंक के लिए पूर्व के प्रस्ताव :

  • भारतीय बैंकों के संघ (Indian Banks’ Association) के नेतृत्व में बैंकिंग क्षेत्र ने सरकार और बैंकों से निष्पक्ष (Equality ) योगदान का प्रस्ताव करते हुए NPA (Non-Performing Asset) समस्या के समाधान के लिये एक बैड बैंक स्थापित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
  • आर्थिक सर्वेक्षण, 2017 में भारतीय बैंकों से उच्च मूल्य के NPA खरीदने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्ति पुनर्वास एजेंसी (Public Sector Asset Rehabilitation Agency- PARA) का सुझाव दिया गया है।

बैड बैंक से सम्बंधित प्रश्न और उत्तर :

NPA क्या होता है?

जब कोई व्यक्ति या संस्था किसी बैंक से पैसा यानी लोन लेकर उसे वापस नहीं करता है, तो उस लोन खाते को बंद कर दिया जाता. इसके बाद उसकी नियमों के तहत रिकवरी की जाती है. ज्यादातर मामलों में यह रिकवरी हो ही नहीं पाती या होती भी है तो न के बराबर नतीजतन बैंकों का पैसा डूब जाता है और बैंक घाटे में चला जाता है.
RBI नियमों के मुताबिक, वह संपत्ति जिससे बैंक को कोई आय नहीं हो रही है उसे आम भाषा में Non-Performing Asset (NPA) या डूबी हुई रकम कहते हैं. RBI नियमों की बात करें तो 180 दिन तक अगर किसी संपत्ति से कोई आय नहीं हो रही है तो वो NPA है हालांकि विदेशों में NPA घोषित करने की मियाद 45 से 90 दिन है.


क्या दुनिया में और भी कहीं खुले हैं ये बैड बैंक (Bad Bank)?

इस तरह के कई बैंक पहले से दुनियाभर में काम कर रहे है. फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल में कई साल से बैड बैंक काम कर रहे है. इन बैंकों का काम बैड एसेट्स को गुड ऐसेट्स में बदलना होता है

इस बैंक के आने से आम आदमी पर क्या असर होगा?

इंडियन बैंक एसोसिएशन का जिक्र करते हुए बीते साल SBI के तत्कालीन चेयमैन रजनीश कुमार कहा था कि IBA लेवल पर यह शुरुआती विचार हैं. उन्होंने बताया था कि यह सही वक्त है जब बैड बैंक की तरह कोई स्ट्रक्चर खड़ा किया जा सकता है.
बैड बैंक का आइडिया काम कर सकता है क्योंकि बैंकों का मौजूदा NPA और प्रोविजंस बहुत ज्यादा है. भारत में पॉलिसी बनाने वालों के बीच बैड बैंक बनाने के लेकर लंबे समय से बातचीत चलती आ रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुरुआत में केंद्र सरकार इसमें पैसा लगाएगी यानी बड़े स्तर पर बैंकों का फंसा कर्ज साफ हो जाएगा. ऐसे में सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन आसान हो जाएगा.
एनपीए साफ होने पर ये सरकारी बैंक आसानी से आम ग्राहकों और कारोबारियों को ज्यादा से ज्यादा लोन दे पाएंगे. लिहाजा बैंकों के कर्ज नहीं देने वाली बात खत्म हो जाएगा.

इस बैंक की वजह से आम आदमी के डिपाजिट पैसो पर क्या असर होगा?

आम ग्राहक न तो इस बैंक में पैसे जमा कर सकते हैं. न ही इन बैंकों का आम लोगों से कोई लेना देना है. ये बैंक नहीं बल्कि एक कंपनी के तौर पर काम करेगा|

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