Amit Shah स्टॉक ब्रोकर से बीजेपी के अध्यक्ष बनने तक का सफर
नए राजनीतिक युग के चाणक्य कहे जाने वाले भाजपा के तेजस्वी नेता Amit Saha का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में एक बड़े गुजराती परिवार में हुआ था, इनका पूरा नाम अमित अनिलचंद्र शाह hai। इनके पिता का नाम अनिल चंद्र शाह और माता का नाम कुसुम बेन था। अमित शाह के पिता PVC पाइप का बिजनेस करते थे। मुंबई में जन्मे अमित शाह 16 वर्ष की आयु तक अपने पैतृक गांव मान्सा में ही रहे और वहीं पर स्कूली शिक्षा भी प्राप्त की।
शुरुआती पढ़ाई के बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आए, जहां से उन्होने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की, उसके बाद अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए। इसके साथ ही वे स्टॉक ब्रोकिंग का भी काम करने लगे। इनकी पत्नी का नाम सोनल शाह है, और इनका एक बेटा है जिसका नाम जय शाह है।
अमित शाह ने 14 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे. RSS में शामिल होने के बाद अमित शाह ने संघ की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के लिए चार वर्ष तक कार्य किया। उसी अवधी में भाजपा, संघ की राजनितिक शाखा बन कर उभरी और अमित शाह 1984-85 में पार्टी के सदस्य बने।
सन 1989 में लोकसभा चुनाव हुए जिनमें अमित भाई को गांधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के नेता श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी के चुनाव प्रबंधन का उत्तरदायित्व सौंपा गया । उनका यह गठबंधन ऐसा था जो अगले दो दशक जारी रहने वाला था, Amit Saha आडवाणी जी के लिए 2009 के लोकसभा चुनावों तक चुनावी रणनीति तैयार करते रहे। इसके बाद जब अटल बिहारी बाजपाई जी ने गुजरात से चुनाव लड़ा था तब अमित शाह उनके चुनावी प्रभारी बने थे.
अमित शाह के बारे में कुछ खास बातें.
- अमित शाह, मोदी के कहने पर हुए थे भाजपा में शामिल।
- अमित शाह ने अहमदाबाद में एक स्टॉक ब्रोकर और सहकारी बैंक में काम किया।
- गुजरात में नरेंद्र मोदी की (2002) सरकार के तहत उन्हें संसदीय कार्य, कानून और न्याय सहित कई प्रमुख कार्यों का प्रभार दिया गया।
- अमित शाह को फर्जी एनकाउंटर आरोप के चलते जाना पड़ा था जेल।
- अमित शाह शतरंज खेलना पसंद करते हैं और वह गुजरात चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं।
- अमित शाह 2002 में बनाए गए थे गुजरात के गृहमंत्री।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बड़ी जीत हासिल करने में निभाई थी अहम भूमिका।
भाजपा सरकार गिरने के बाद उपचुनाव में पहली बार Amit Saha का चुनावी रण में पदार्पण हुआ, उन्होंने सरखेज से विधानसभा का चुनाव लड़ा और 25,000 मतों के अंतर से सीट जीतने में सफल रहे| मतदाताओं के विश्वास तथा जनादेश को पुनः प्राप्त करने की उत्कट आवश्यकता का अनुभव करते हुए अमित शाह ने स्वयं को प्रदेश में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए समर्पित कर दिया। साथ ही साथ वह विधायक के तौर पर अपना कर्तव्य भी निभाते रहे और 1998 में उन्होंने वही सीट पुनः 1.30 लाख मतों के अंतर से जीती।
राजनीति से हट कर दूसरे क्षेत्रों में भी Amit Saha की नीतियों की बहुतों ने प्रशंसा की। Amit Saha शतरंज के अच्छे खिलाड़ी हैं और 2006 में वह गुजरात स्टेट चैस ऐसोसिएशन के चेयरमैन बने। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अहमदाबाद के सरकारी स्कूलों में शतरंज को शामिल करवाया। एक अध्ययन के अनुसार, इस प्रयोग के परिणामस्वरूप विद्यार्थी ज्यादा सजग बने, उनकी एकाग्रत का स्तर बढ़ा और समस्या सुलझाने की उनकी योग्यताओं में भी सुधार हुआ। वर्ष 2007 में श्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह गुजरात स्टेट क्रिकेट ऐसोसिएशन के क्रमशः चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन बने तथा कांग्रेस के 16 साल के प्रभुत्व को समाप्त किया। इस अवधि में अमित शाह अहमदाबाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट के चेयरमैन भी रहे।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व एवं अमित भाई की सुविचारित चुनावी रणनीतियों का ही यह परिणाम था कि बतौर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कार्यकाल के पहले वर्ष में भाजपा ने पांच में से चार विधानसभा चुनावों में विजय प्राप्त की। महाराष्ट्र, झारखंड व हरियाणा में पार्टी के मुख्यमंत्री बने तथा जम्मू और कश्मीर में उप मुख्यमन्त्री के पद के साथ भाजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा बनी।
2014 और 2019 के लोक सभा चुनाव में अमित शाह का बहोत बड़ा योगदान रहा है. अमित शाह में बीजेपी के लिए बहोत रड़नीतियाँ बनाई थी, जिसकी वजह से नरेंद्र मोदी दो बार प्रधानमंत्री बनने में सफल रहे. और 2019 में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी l