शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाया जाता है :-

शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं- समुद्र मंथन के बारे मे सब जानते हैं । जब देवता और राक्षस समुद्र मंथन कर रहे थे तो समुद्र से भयानक विष निकलने लगा था । उस विष को भगवान शिव ने धारण किया था । लेकिन उस विष के प्रभाव से शिवजी का शरीर बहुत गर्म हो गया और उनके शरीर से ज्वालाएं निकलने लगी।

उनकी गर्मी शांत करने के लिए सभी लोग उन पर जल चढ़ाने लगे । जब तक विष निकलता रहा तब तक शिव जी उस विष को ग्रहण करते रहे । और गर्मी शांत करने के लिए सभी लोग उन पर जल गिराते रहे ।

इससे शिवजी की गर्मी शांत हुई और वे बड़े प्रसन्न हुए । तब उन्होंने प्रण लिया कि जब भी कोई उन पर जल चढ़ाएगा वो उसके जीवन से हर प्रकार का संकट यानि विष ग्रहण कर लेंगे ।

इसीलिए संकट निवारण , शिवजी की प्रसन्नता तथा आशीर्वाद के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है |

शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं:-

शिवलिंग एक प्रकार का प्रतीक चिन्ह होता है जो कि भगवान शिव के मंदिरों के अंदर स्थापित होता है | शिवलिंग गोलाकार होता है | शिवलिंग का ऊपरी अंडाकार भाग पर शिव का प्रतिनिधित्व करता है व निचला हिस्सा यानी पीठम् पराशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है | आपको बता दें कि धातु या चिकनी मिट्टी से बना हुआ शिवलिंग स्तम्भाकार या अंडाकार होता है |

शिवलिंग पर जल

वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है | यह शिव और माता पार्वती की समानता का प्रतीक भी है और दोनों की समानता का भी प्रतीक है | इस संसार के अंदर पुरूष और स्त्री दोनों का समान रूप से वर्चस्व है | शिवलिंग निराकार प्रभु और सर्वशक्तिमान प्रभु की याद दिलाता है |

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के नियम बताए गए हैं | इनका पालन करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूर्ण करते हैं |सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है | लेकिन इसके भी नियम हैं, जिनका पालन नहीं करने पर भोलेनाथ नाराज हो जाते हैं | क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए कौन सा बर्तन इस्तेमाल होता है | जल चढ़ाते हुए किस दिशा में मुंह होना चाहिए? और क्या मंत्र बोलना चाहिए? अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं |

किस दिशा में होना चाहिए मुंह:-

भगवान शिव को जल चढ़ाते वक्त आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर कभी नहीं होना चाहिए| इस दिशा को भगवान शिव का प्रवेश द्वार माना जाता है| इसलिए इस दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाने से भगवान शिव के द्वार में रुकावट पैदा होती है और वह नाराज हो जाते हैं| शिवलिंग पर जल चढ़ाते वक्त आपका मुख उत्तर दिखा की ओर होना चाहिए|इस दिशा को भगवान शिव का बायां अंग कहा गया है, जो माता पार्वती को समर्पित है| इस दिशा में मुंह करके जल देने से माता पार्वती और भगवान शिव दोनों की कृपा प्राप्त होती है|

किस पात्र का करें इस्तेमाल :-

भगवान शिव का अभिषेक जलधारा से ही करना चाहिए. जैसे जल की धारा एकदम पतली बह कर  आती है ठीक वैसे ही एक धार में धीरे-धीरे भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए | ध्यान रहे कि भगवान को हमेशा दाहिने हाथ से जल चढ़ाएं और बाएं हाथ से दाहिने हाथ का स्पर्श करें |

तांबे के लोटे से चढ़ाएं जल:-

शिवजी का अभिषेक करने के लिए तांबे का पात्र सबसे अच्छा माना जाता है | कांसे या चांदी के पात्र से अभिषेक करना भी शुभ माना जाता है, लेकिन जल अभिषेक के लिए कभी भी स्टील का बर्तन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए |

जल चढ़ाते समय कौनसे मंत्र का पाठ करें:-

शिव जी को जल अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए |

ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च ,

नमः शन्कराय च मयस्कराय च ,

नमः शिवाय च शिवतराय च ।।

यदि इस मंत्र का उच्चारण ना कर पायें तो “ ॐ नमः शिवाय ”  का जप भी कर सकते हैं |

शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल पीना चाहिए या नहीं :-

भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से जातक को बहुत फायदा होता है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते है,और भक्त की मनोकामना जल्दी पूर्ण करते है |

इसलिए प्रदीप मिश्रा जी के कहे मुताबित शिव लिंग को जल अर्पित करने के बाद आप जो पात्र अपने घर से लेकर गए है उसमे थोड़ा जल भर ले उसे खुद पिए और अपने घरजनो को भी पिलाए। इसको पीने से आपको कभी बीमारी का कोई सामना नहीं करना पड़ेगा और अगर बीमारी है भी तो वो धीरे- धीरे खतम होने लगती है |

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शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं बैठकर या खड़े होकर:-

शिवलिंग पर हमेशा बैठकर जल चढ़ाएं। इतना ही नहीं, रुद्राभिषेक करते वक्त भी खड़े न रहे। पुराणों में कहा गया है कि अगर आप खड़े होकर जल चढ़ाते हैं तो वह भगवान शिव को समर्पित नहीं होता और ना ही उसका लाभ मिलता है |

शिवलिंग का जल किस दिशा में गिरना चाहिए:-

शिवलिंग पर जल चढाने के दौरान शिवलिंग का पानी उत्तर दिशा की तरफ गिरना चाहिये। इसलिए ही तो शिवलिंग की जलहरी की दिशा उत्तर दिशा होती है। ऐसा माना जाता है की शिवलिंग की जलहरी की उत्तर दिशा होने से यह हमे अधिक शक्ति देने वाला होता हैं, तथा इससे सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है।

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