Satyapal Malik:-
अंबानी और RSS से जुड़ी कथित फाइलों को लेकर सनसनीखेज दावे करने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक इन दिनों सुर्खियों में हैं | अंबानी और आरएसएस से जुड़े एक शख्स की दो फाइलों को मंजूरी देने के बदले 300 करोड़ की रिश्वत के ऑफर वाले दावों से सत्यपाल मलिक ने यूटर्न ले लिया है | बयान पर विवाद होने के बाद सत्यपाल मलिक ने RSS वाले बयान पर सफाई दी है और कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते 300 करोड़ रुपए की रिश्वत ऑफर किए जाने के मामले का आरएसएस से कोई मतलब नहीं | उन्होंने इसके लिए माफी भी मांग ली है |
मोदी सरकार के स्टैंड से उलट सत्यपाल मलिक ने पहले तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी का भी समर्थन किया तो अब जम्मू-कश्मीर में डील और गोवा में भ्रष्टचार तक के मुद्दों को लेकर वो मुखर हैं | बीजेपी से लेकर आरएसएस के नेता को भी वो अपने निशाने पर ले रहे हैं | सत्यपाल मलिक ने पिछले काफी दिनों से बीजेपी सरकार के विपरीत रुख अख्तियार कर रखा है |
कौन हैं सत्यपाल मलिक:-
सत्य पाल मलिक (जन्म 24 जुलाई 1946) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो मेघालय के 21वें और वर्तमान राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं | वे गोवा के 18वें राज्यपाल थे | मलिक तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के राज्यपाल भी थे | वह अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे | और यह उनके कार्यकाल के दौरान था कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का संवैधानिक निर्णय 5 अगस्त 2019 को लिया गया था |
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में 24 जुलाई, 1946 को सत्यपाल मलिक का जन्म हुआ | उनके पिता बुध सिंह किसान थे और सत्यपाल जब दो वर्ष के थे तभी पिता का निधन हो गया | बुध सिंह के निधन के बाद सतपाल मलिक का पालन पोषण उनकी माता जगबीरी देवी ने किया था | पड़ोस के प्राथमिक विद्यालय से उनकी पढ़ाई शुरू हुई और इसके बाद ढिकौली गांव के इंटर कालेज से माध्यमिक शिक्षा पूरी कर वह मेरठ कॉलेज पहुंचे | उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और कानून की पढ़ाई की | यहीं से एक समाजवादी छात्र नेता के तौर पर राम मनोहर लोहिया से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी |
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर:-
सत्यपाल मलिक ने पहली बार 1968 में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और वह मेरठ कॉलेज के पहले अध्यक्ष चुने गए थे | मेरठ कॉलेज में वह दो बार छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं | बीकेडी के टिकट पर बागपत से साल 1974 में चुनाव लड़ा और चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से जनता ने उन्हें विधायक के रूप में चुना | इस दौरान समाजवादी नेता के तौर पर सत्यपाल मलिक ने किसान मुद्दों को प्रमुखता से उठाया |
इसके बाद वह सन् 1980-86 और सन् 1986-1992 के दो कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य रहे | वह साल 1989 में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से संसद सदस्य रहे | उन्हें कुल वोटों में से 2,33,465 (51.5 प्रतिशत) वोट मिले | उन्हें प्रतिद्वंद्वी आईएनसी उम्मीदवार उषा रानी तोमर ने 77,958 वोटों के अंतर से हराया, जिन्होंने 1,55,507 (34.2 प्रतिशत) वोट प्राप्त किए | उन्होंने फिर से समाजवादी पार्टी टिकट पर 1996 में अलीगढ़ से चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 40,789 वोट हासिल कर चौथा स्थान प्राप्त किया |
सन् 1984 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे | हालांकि तीन साल तक पार्टी के राज्यसभा सांसद बने रहे। बताया जाता है कि बोफार्स घोटाले के मामले के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया | इसके बाद 1988 में जनता दल में शामिल हो गए और 1989 में अलीगढ़ से सांसद बने | सन् 1990 से 1990 तक केंद्रीय पर्यटन एवं संसदीय राज्यमंत्री रह चुके हैं |
साल 2004 में भाजपा में शामिल हो गए और लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा लेकिन इसमें उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से हार का सामना करना पड़ा था | 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया | इससे पहले राजस्थान के विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई थी | वर्ष 2017 को बिहार के राज्यपाल का पद संभालने के पहले वह भाजपा के किसान मोर्चा के प्रभारी थे |
सत्यपाल मलिक के विवादित बयान:-
पटना में कश्मीर से ज्यादामर्डर होते हैं:
तारीख थी 7 जनवरी 2019… तब सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे | इसी दिन सत्यपाल मलिक ने बयान दिया कि ‘जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था किसी भी अन्य राज्य से अच्छी है | उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लॉ एंड ऑर्डर की तुलना बिहार की राजधानी पटना से की | उन्होंने कहा है कि पटना में एक दिन में जितनी हत्याएं हो जाती हैं, उतनी हत्याएं कश्मीर में एक सप्ताह में होती हैं |’
पत्रकार दुर्ग सिंह केस:
पटना… साल 2018… तब बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को एससीएसटी केस में गिरफ्तार कर पटना ले आया गया था | तब ये चर्चा सरेआम थी कि दुर्ग सिंह को सत्यपाल मलिक की भतीजी से भिड़ना महंगा पड़ गया | तब इस पूरे प्रकरण में स्थानीय पत्रकार और सत्यपाल मलिक की भतीजी के विरोधियों ने ये आरोप लगाया था कि मलिक के प्रभाव का इस्तेमाल कर दुर्ग सिंह राजपुरोहित को फर्जी एसएसीएसटी केस में फंसाया गया | इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया था कि सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जांच के आदेश देने पड़े थे |
किसान आंदोलन के समर्थक:
सत्यपाल मलिक फिलहाल मेघालय के राज्यपाल हैं और केंद्र के कृषि कानूनों (Agriculture Law) के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं | उन्होंने कहा कि यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहा तो वह अपने पद से इस्तीफा देकर उनके साथ खड़े होने के लिये तैयार हैं |
झुंझनू में किया बड़ा दावा:
मलिक ने राजस्थान के झुंझनू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ”कश्मीर जाने के बाद मेरे सामने दो फाइलें (मंजूरी के लिये) लाई गईं | एक अंबानी और दूसरी आरएसएस से संबद्ध व्यक्ति की थी, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली तत्कालीन (पीडीपी-भाजपा) सरकार में मंत्री थे | उनके प्रधानमंत्री के बहुत करीबी होने का दावा किया गया था |”
उन्होंने कहा, ”दोनो विभागों के सचिवों ने मुझे बताया था कि उनमें अनैतिक कामकाज जुड़ा हुआ है, लिहाजा दोनों सौदे रद्द कर दिये गए | सचिवों ने मुझसे कहा था कि ‘आपको प्रत्येक फाइल को मंजूरी देने के लिये 150-150 करोड़ रुपये मिलेंगे’, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और केवल उन्हें ही वापस लेकर जाऊंगा |” उनके भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर देखा गया |