नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020):–
देश की शिक्षा नीति में 34 साल बाद नये बदलाव किए गए हैं | मोदी सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी | नई शिक्षा नीति में स्कूल के बस्ते, प्री प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं, रिपोर्ट कार्ड, यूजी एडमिशन के तरीके, एमफिल तक बहुत कुछ बदला है | इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है | इसका मुख्य उद्देश्य है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ किसी लाइफ स्किल से सीधा जोड़ना |
सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाए. इसके लिए एनरोलमेंट को 100 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है | इसके अलावा स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल भी होगी | जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, तो वो आसानी से कर सकता है|
नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है | अभी तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा | इसका मतलब है कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12 तक आखिरी हिस्सा होगा |
क्या है 5+3+3+4 फार्मूला:-
फाउंडेशन स्टेज:
पहले तीन साल बच्चे आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे | फिर अगले दो साल कक्षा एक एवं दो में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे | इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा | मोटे तौर पर एक्टिविटी आधारित शिक्षण पर ध्यान रहेगा | इसमें तीन से आठ साल तक की आयु के बच्चे कवर होंगे | इस प्रकार पढ़ाई के पहले पांच साल का चरण पूरा होगा |
प्रीप्रेटरी स्टेज:
इस चरण में कक्षा तीन से पांच तक की पढ़ाई होगी | इस दौरान प्रयोगों के जरिए बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढ़ाई कराई जाएगी | आठ से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को इसमें कवर किया जाएगा |
मिडिल स्टेज:
इसमें कक्षा 6-8 की कक्षाओं की पढ़ाई होगी तथा 11-14 साल की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा | इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा | कक्षा छह से ही कौशल विकास कोर्स भी शुरू हो जाएंगे।
सेकेंडरी स्टेज:
कक्षा नौ से 12 की पढ़ाई दो चरणों में होगी जिसमें विषयों का गहन अध्ययन कराया जाएगा | विषयों को चुनने की आजादी भी होगी | पहले सरकारी स्कूलों में प्री-स्कूलिंग नहीं थी | कक्षा एक से 10 तक सामान्य पढ़ाई होती थी | कक्षा 11 से विषय चुन सकते थे |
नई शिक्षा नीति 2020 से जुडी मुख्य बातें:-
- अब छठी कक्षा से ही बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी | स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी | व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा | नई शिक्षा नीति बेरोजगार तैयार नहीं करेगी | स्कूल में ही बच्चे को नौकरी के जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी|
- नई शिक्षा नीति में पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी |
- दसवीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किए जाएंगे | बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया जाएगा |
- बच्चों की रिपोर्ट कार्ड में बदलाव होगा। उनका तीन स्तर पर आकलन किया जाएग। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक | National Assessment Center-परख बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा | 100 फीसदी नामांकन के जरिए पढ़ाई छोड़ चुके करीब दो करोड़ बच्चों को फिर दाखिला दिलाया जाएगा |
- नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू किया गया है | मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी | 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है और शोध में नहीं जाना है। वहीं शोध में जाने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी | 4 साल की डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स एक साल में MA कर सकेंगे | नई शिक्षा नीति के मुताबिक यदि कोई छात्र इंजीनियरिंग कोर्स को 2 वर्ष में ही छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा | पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा |
- देश की नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्रों को एमफिल नहीं करना होगा | एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति में निरस्त कर दिया गया है | नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्र ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद सीधे पीएचडी करेंगे | 4 साल का ग्रेजुएशन डिग्री प्रोग्राम फिर MA और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं |
- UGC, AICTE का युग खत्म हो गया है | उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया कि उच्च शिक्षा में यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई की जगह एक नियामक होगा |
- नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यह परीक्षा कराएगी |
- प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा | इसके तहत तीन से छह वर्ष तक की आयु के बच्चे आएंगे | 2025 तक कक्षा तीन तक के छात्रों को मूलभूत साक्षरता तथा अंकज्ञान सुनिश्चित किया जाएगा | मिडिल कक्षाओं की पढ़ाई पूरी तरह बदल जाएगी। कक्षा छह से आठ के बीच विषयों की पढ़ाई होगी |
- उच्च शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन स्वत: घोषणा के आधार पर मंजूरी मिलेगी | फीस पर नियंत्रण का भी एक तंत्र तैयार किया जाएगा |
- नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति मिलेगी |
- स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षा भी नई शिक्षा नीति के दायरे में होगा |
- कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा | इन्हें सहायक पाठ्यक्रम नहीं कहा जाएगा |
- विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा | त्रि-भाषा फॉर्मूला में भी यह विकल्प शामिल होगा |इसके मुताबिक, किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी |
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है |
- हर जिले में कला, करियर और खेल-संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक विशेष बोर्डिंग स्कूल के रूप में ‘बाल भवन’ स्थापित किया जाएगा |