National Digital Health Mission:- Ayushman Bharat Digital Mission

Ayushman Bharat Digital Mission- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार (27 सितम्बर 2021) को प्रधान मंत्री डिजिटल स्वास्थ्य मिशन/Pradhan Mantri Digital Health Mission (PM-DHM) के राष्ट्रव्यापी रोलआउट की घोषणा कर दी है, एक ऐसी योजना जो भारतीयों को डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड (Digital Health Record) बनाने और एक्सेस करने में सक्षम बनाएगी | इस योजना का शुभारंभ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया | इस फ्लैगशिप योजना का उद्देश्य देशभर में स्वास्थ्य सेवा को डिजिटल बनाना है | इस योजना के तहत हर भारतीय नागरिक की एक यूनीक हेल्थ ID बनाई जाएगी | जिससे एक देशव्यापी डिजिटल हेल्थ ईको-सिस्टम तैयार किया जा सके |

इस मिशन के तहत प्रत्येक भारतीय को एक विशिष्ट 14-अंकीय स्वास्थ्य पहचान (ID) संख्या मिलेगी | इससे पहले यह नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) के नाम से चल रही थी, जिसका नाम बदलकर प्रधान मंत्री डिजिटल स्वास्थ्य मिशन/Pradhan Mantri Digital Health Mission (PM-DHM) कर दिया गया है |

Ayushman Bharat Digital Mission क्या है?

आधार कार्ड या लाभार्थी के मोबाइल नंबर का उपयोग करके आईडी बनाई जाएगी, और प्रासंगिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड रखने के लिए एक पहचानकर्ता के रूप में काम करेगी | प्रधान मंत्री डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (PM-DHM) आम आदमी की सभी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिए “One-Stop Solution” के रूप में कार्य करेगा | इसका उद्देश्य देश में एक एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का समर्थन करने के लिए आवश्यक रीढ़ विकसित करना है |

योजना की घोषणा होते ही गूगल प्ले स्टोर पर NDHM हेल्थ रिकॉर्ड (पीएचआर ऐप्लीकेशन) उपलब्ध होगा | उसके जरिए रजिस्ट्रेशन होगा | यूनीक ID 14 डिजिट की होगी | जिनके पास मोबाइल नहीं है, वे रजिस्टर्ड सरकारी-निजी अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, वेलनेस सेंटर और कॉमन सर्विस सेंटर आदि पर कार्ड बनवा सकेंगे | वहां सामान्य सी जानकारियां पूछी जाएंगी | जैसे नाम, जन्म की तारीख, संपर्क आदि |

एनडीएचएम की वेबसाइट के अनुसार, इस मिशन के तहत प्रत्येक व्यक्ति के लिए इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (EMR) बनाया जाएगा, जो डॉक्टरों को समय के साथ डेटा ट्रैक करने की अनुमति देगा, जिससे वे आसानी से पहचान सकते हैं कि कौन से मरीज निवारक जांच या जांच के लिए हैं, जाँच करें कि उनके मरीज़ कुछ मापदंडों (जैसे रक्तचाप रीडिंग) पर कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं और अभ्यास के भीतर देखभाल की समग्र गुणवत्ता की निगरानी और सुधार करते हैं |

इस परियोजना को सबसे पहले केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में पायलट चरण में लॉन्च किया गया था | इस प्रकार का डिजिटल संचार चिकित्सकों के बड़े पूल तक पहुंच के माध्यम से लागत प्रभावी सेवाएं प्रदान करेगा और स्वास्थ्य नीति निर्माताओं के लिए न केवल आधुनिक चिकित्सा, निवारक दवा, दवाओं की पारंपरिक प्रणाली और योग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/artificial intelligence (AI) और मशीन लर्निंग/machine learning (ML) ​जैसे हस्तक्षेपों के माध्यम से अधिक समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए प्रासंगिक डेटा उत्पन्न करने में मदद करेगा |

Unique Health ID काम कैसे करेगी :-

इस योजना में चार आवश्यक स्तम्भ हैं – अद्वितीय डिजिटल स्वास्थ्य आईडी (unique digital health ID), स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर रजिस्ट्री (healthcare professionals registry), स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (health facility registry) और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (electronic health records)

Ayushman Bharat Digital Mission

यूनिक हेल्थ आईडी (Digital Health ID) एक 14 अंकों का रैंडम तरीके से जनरेट नंबर होगा | इसके मदद से शख्स का हेल्थ रिकॉर्ड रखा जा सकता है | मतलब यह एक हेल्थ अकाउंट के तौर पर काम करेगा | एक मोबाइल एप्लिकेशन की मदद से इसमें दर्ज जानकारी देखी जा सकेंगी | हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (HPR) और हेल्थकेयर फैसिलिटीज रजिस्ट्रियां (HFR) इसमें एक कोष (भंडार) की भूमिका निभाएंगे जहां ये डेटा जमा होगा, जिसे हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स से साझा किया जाएगा | इससे डॉक्टर डॉक्टर्स/हॉस्पिटल्स का काम थोड़ा आसान होगा |

जरूरी नहीं कि यह आधार कार्ड से ही बनाई जाए, सिर्फ फोन नंबर की मदद से भी यूनिक आईडी बनाई जा सकेगी | आधार को यूनिक हेल्थ आईडी के रूप में इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता? इसका जवाब देते हुए मंत्रालय ने पहले ही बताया हुआ है कि आधार को सिर्फ उन जगहों पर लिंक करना जरूरी है जहां डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की बात हो. इसका कहीं और इस्तेमाल नहीं किया जा सकता |

दरअसल, कई बार ऐसा होता कि मरीज की पुरानी हेल्थ रिपोर्ट खो जाती है | अब जब सब डिजिटल रिकॉर्ड के रूप में सुरक्षित रहेगा तो ऐसा नहीं होगा | इसकी मदद से इलाज के लिए पेपरवर्क, रसीद आदि पर निर्भर नहीं रहना होगा | मोबाइल में डेटा (रिकॉर्ड) होगा जिससे सब कुछ आसान होगा | डॉक्टर से अपाइंटमेंट लेना, फीस देना आदि परेशानी से मुक्ति मिलेगी |

PH-DHM का मुख्य उद्देश्य भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को और बेहतर करना है. इसे हेल्थकेयर की जरूरतों का वन-स्टॉप सॉल्यूशन बनाने की तैयारी है | इससे हेल्थकेयर सर्विस देने वाले संस्थानों तक पहुंचना ज्यादा आसान होगा और उनकी जवाबदेही भी बढ़ेगी |

Health Records कैसे बनेगा:-

पहले चरण में एक Health ID बनाई जाएगी जिसके बाद किसी व्यक्ति से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली जाएगी | फिर उन व्यक्तियों की सहमति लेने के बाद इस जानकारी को स्वास्थ्य आईडी से जोड़ा जाएगा | पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड-सिस्टम/ Personal Health Record-System (PHR) नामक जानकारी एक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जानकारी का प्रबंधन करने में सक्षम बनाती है | इसमें एक longitudinal रिकॉर्ड देखना शामिल है, जिसमें सभी स्वास्थ्य डेटा, प्रयोगशाला रिपोर्ट, उपचार विवरण, एक या कई स्वास्थ्य सुविधाओं में निर्वहन सारांश शामिल हैं |

मिशन ‘इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड/Electronic medical record (EMR)’ बनाएगा, जैसा कि सरकार द्वारा समझाया गया है, एक मरीज के चार्ट का एक डिजिटल संस्करण है | इसमें रोगी का चिकित्सा और उपचार इतिहास होता है | EMR को विभिन्न प्रणालियों द्वारा एक्सेस किया जा सकता है और एकीकृत भुगतान इंटरफेस/ unified payment interface (UPI) के समान एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस/unified health interface (UHI) के माध्यम से डोमेन विशिष्ट रजिस्ट्रियों को सक्षम किया जा सकता है |

यूएचआई स्वास्थ्य सेवा वितरण परिदृश्य को अधिक प्रतिस्पर्धी, विश्वसनीय और सुलभ बनाने के लिए तैयार है | हमारे पास 120 करोड़ टेलीफोन कनेक्शन, 70 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन और 60 करोड़ मोबाइल ग्राहकों का सर्वव्यापी नेटवर्क है |

यूनीक हेल्थ कार्ड का फायदा क्या है?

कार्ड के जरिए आपके स्वास्थ्य से संबंधित पूरी जानकारी डिजिटल फॉर्मेट में दर्ज होती रहेगी। पूरी मेडिकल हिस्ट्री अपडेट होगी। ऐसे में जब आप किसी अस्पताल में इलाज कराने जाएंगे, तो आपको पुराने सभी रिकॉर्ड वहीं डिजिटल फॉर्मेट में मिल जाएंगे। यही नहीं, अगर आप किसी दूसरे शहर के अस्पताल भी जाएं तो वहां भी यूनीक कार्ड के जरिए डेटा देखा जा सकेगा। इससे डॉक्टरों को इलाज में आसानी होगी। साथ ही कई नई रिपोर्ट्स या प्रारंभिक जांच आदि में लगने वाला समय और खर्च बच जाएगा।

Ayushman Bharat Digital Mission- Digital Health Mission

Frequently Asked Questions (FAQs):-

कार्ड में जानकारियां दर्ज कैसे होंगी?

कार्ड बनने के बाद पिछली सभी रिपोर्ट्स आपको खुद ही स्कैन करके अपलोड करनी होंगी, लेकिन आगे की सभी रिपोर्ट्स अपने आप अपलोड होती रहेंगी | उदाहरण के लिए जब किसी डिस्पेंसरी या अस्पताल में आपकी जांच आदि होगी तो यह आपके यूनीक आईडी कार्ड में दर्ज 14 डिजिट के यूनीक नंबर के जरिए रिपोर्ट्स कार्ड से लिंक हो जाएगी | अस्पताल में NDHM कर्मी इसमें आपकी मदद करने के लिए मौजूद रहेंगे |

कार्ड में कौन-कौन सी जानकारियां होंगी?

आपके मेडिकल रिकॉर्ड से जुड़ी हरेक जानकारी उसमें दर्ज होगी | यहां तक कि यह भी कि पिछली बार किस दवा का आप पर क्या असर हुआ था, क्या नहीं | दवा बदली गई तो क्यों? इससे इलाज के दौरान डॉक्टर को केस समझने में काफी सहूलियत होगी|

दूसरे शहर में डेटा कैसे मिलेगा?

डेटा अस्पताल में नहीं, बल्कि डेटा सेंटर में होगा, जो कार्ड के जरिए देखा जा सकेगा | यूं समझ लीजिए कि अगर आप कहीं इलाज कराने जाते हैं तो यह आपके लिए आधार कार्ड जैसा अहम होगा |

क्या हेल्थ डेटा कोई भी देख सकेगा?

नहीं। कार्ड में दर्ज डेटा तभी देखा जा सकेगा, जब आप उसका OTP नंबर बताएंगे | OTP नंबर तभी जनरेट होगा, जब कार्ड का 14 डिजिट का नंबर रजिस्टर्ड अस्पताल के कंप्यूटर में दर्ज किया जाएगा | उसके बाद जब OTP भरा जाएगा तो डेटा स्क्रीन पर दिखेगा, लेकिन इसे न तो कॉपी किया जा सकेगा, न ही ट्रांसफर किया जा सकेगा | उसके बाद जब दूसरे मरीज का डेटा खोजा जाएगा तो पहले मरीज का डेटा लॉक हो जाएगा | इसे दोबारा देखने के लिए फिर से OTP लगेगा |

तो क्या डेटा ट्रांसफर हो ही नहीं सकता?

हो सकता है, लेकिन तभी जब आप सहमति दें | जब कोई आपका डेटा ट्रांसफर करना चाहेगा या देखना चाहेगा तो आपसे OTP मांगेगा | अगर आप मंजूरी नहीं देते हैं तो डेटा नहीं दिखेगा |

क्या हेल्थ कार्ड बनवाना अनिवार्य होगा?

यह अनिवार्य नहीं होगा | यह आपकी इच्छा पर निर्भर करेगा कि आप कार्ड बनवाना चाहते हैं या नहीं |

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