मोदी सरकार गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करेगी

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सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण:-

मोदी सरकार ने 7 जनवरी 2019 को हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में सामान्य वर्ग(General category) को आर्थिक आधार पर आरक्षण (Aarthik aadhar par aarakshan) प्रदान करने का निर्णय लिया है | अब सरकार सवर्ण वर्ग से संबंधित गरीब लोगों को 10 प्रतिशत का आरक्षण प्रदान करेगी |

सामान्य जाति के आर्थिक रूप से कमजोर लोग जो प्रति वर्ष 8 लाख से कम कमाते हैं, वे सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं | केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए इस कदम को “मोदी की सवर्ण क्रांति” के रूप में भी जाना जा रहा है |

उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए भी सामान्य वर्ग की उच्च जाति के लोगों द्वारा इस आर्थिक आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं | सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर इस वर्ग को अब तक कोई आरक्षण लाभ नहीं मिला था |

केंद्र सरकार 8 जनवरी 2019 को संसद में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन बिल ला सकता है |

गरीब सवर्णों के 10 फीसदी आरक्षण से जुड़े मुख्य बिंदु:-

  • केंद्रीय मंत्री विजय सांपला ने कहा कि जो लोग सालाना 8 लाख रुपये से कम कमाते हैं और जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है वे इस आरक्षण के लिए योग्य हैं | नौकरियां पहले से ही कमजोर और वंचित निम्न जातियों के लिए आरक्षित हैं | अब आर्थिक आरक्षण का मानदंड अन्य पिछड़ी जातियों या OBC के लिए समान होगा |
  • यह मांग बहुत लंबे समय से चली आ रही थी जिसे पूरा करने का साहस मोदी सरकार ने किया | इससे ब्राह्मण, बनिया, ईसाई, मुस्लिम सभी को लाभ होगा |
  • विजय सांपला ने कहा कि इस फैसले को राजनीतिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि यह “सरकार का कर्तव्य है कि वह लोगों की भावनाओं को समझे और उनकी जरूरतों को पूरा करे” |
  • वैसे यह भी सच है कि सरकार ने यह बड़ा कदम उस समय उठाया है जब सत्ताधारी भाजपा ने कई चुनावों के बाद अपनी अजेयता खो दी |
  • सूत्रों कि मानें तो विधेयक में एक संवैधानिक संशोधन होना चाहिए क्योंकि यह आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी कैप की देखरेख करता है और कुल 60 फीसदी तक ले जाता है | उस सीमा में कोई भी वृद्धि न्यायिक जांच के अधीन होगी और इसे तुरंत संसदीय मंजूरी मिलने की संभावना भी बहुत कम है |
  • सरकार आर्थिक और सामाजिक आरक्षण के बीच अंतर करना चाहती है और सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की सीमा सामाजिक आरक्षण के लिए है | कहा जा रहा है कि सरकार का यह कदम कानूनी रूप से जटिल हो सकता है लेकिन यह कदम सरकार की आम जनता के प्रति प्रतिबद्धता के उद्देश्य को पूरा करता है |
  • कांग्रेस सरकार ने इसे चुनावी दावपेंच बताया है | कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि “हम हर ऐसे कदम का समर्थन करते रहेंगे जो रोजगार प्रदान करता है | लेकिन जब मोदी सरकार ने अचानक आर्थिक रूप से गरीबों की समस्याओं को जगा दिया, जब 2019 के चुनावों में मात्र 100 दिन से कम का समय बचा है ” |
  • भाजपा के केंद्रीय मंत्री, शिव प्रताप शुक्ला ने रणदीप सुरजेवाला कि बातों का विरोध करते हुए कहा है कि निर्णय का “चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है” क्योंकि पार्टी को मध्य प्रदेश और राजस्थान में उच्च जातियों से काफी वोट मिले हैं | लेकिन सूत्रों का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी सवर्णों के अलगाव से चिंतित है, खासकर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में |
  • 1992 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में, सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को 50 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया था | लेकिन जुलाई 2010 के एक आदेश में, कुछ राज्यों को जिनके पास वृद्धि को सही ठहराने के लिए कोई solid scientific data हैं उन्हें उस सीमा को पार करने की अनुमति दी गई |
  • यशवंत सिंह जिन्होंने कुछ समय पहले भाजपा छोड़ी हैं उन्होंने कहा हैं कि “यह प्रस्ताव कानूनी जटिलताओं से भरा हुआ है और संसद के दोनों सदनों से इसे पारित करने का कोई समय नहीं है|”

गरीब सवर्णों के 10 फीसदी आरक्षण के लिए पात्रता:-

  • अगर आपकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम हैं तो आप आरक्षण के लिए पात्र हैं |
  • अगर आपके पास 5 एकड़ से कम खेती की जमीन हैं तो आप आरक्षण के लिए पात्र हैं |
  • अगर आपके पास 1000 square feet से कम का मकान हैं तो आप आरक्षण के लिए पात्र हैं |
  • अगर आपके पास नगरपालिका में 100 yards से कम का आवासीय भूखंड है तो आप आरक्षण के लिए पात्र हैं |
  • अगर आपके पास गैर-अधिसूचित नगरपालिका में 200 yards से कम का आवासीय plot है तो आप आरक्षण के लिए पात्र हैं |

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3 COMMENTS

  1. हमारे पास कोई जमीन नही और हम 8लाख से तो बहुत ही कम कमाते है हमारा तो मकान भी 50गज मे है और हमारे परिवार मे कोई भी सरकारी नौकरी मे नही है हम भी गरीब परिवार से है क्या हम इसका लाभ ले सेकते है जी आप हमारी मदद करें घन्यवाद

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