Mahant Narendra Giri: कौन हैं महंत नरेंद्र गिरि? किस मठ के महंत थे नरेंद्र गिरि, क्या थीं जिम्मेदारियां?

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महंत नरेंद्र गिरि ki Jeevni

Mahant Narendra Giri:- महंत नरेंद्र गिरि

महंत नरेंद्र गिरि– अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने प्रयागराज में सोमवार (20 सितम्बर 2021) की शाम कथित तौर पर आत्महत्या कर ली | पुलिस को शव के पास से 7-8 पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ है | वसीयतनामा की तरह लिखे गए इस नोट में उन्होंने बताया है कि आश्रम में आगे कैसे क्या करना है | साथ ही अपने शिष्य आनंद गिरी और कुछ अन्य लोगों को जिम्मेदार भी ठहराया है | इस सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस कार्रवाई कर रही है |

महंत नरेंद्र गिरि मूलत: प्रयागराज के ही रहने वाले थे | वे प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत थे | इसके साथ ही वे संगम किनारे प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी भी थे | निरंजनी अखाड़े से उनका जुड़ाव रहा है | वे इस अखाड़े के सचिव रह चुके हैं | अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने रामजन्म भूमि आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था |

मार्च 2015 में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव और बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था | पूर्व अध्यक्ष ज्ञानदास के कार्यकाल के बाद उनकी ताजपोशी हुई थी | साल 2019 में उन्हें दोबारा अध्यक्ष चुना गया |

प्रयागराज के बाघंबरी मठ और संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर की करोड़ों रुपये की संपत्ति है | दोनों जगहों से करोड़ों रुपये की आमदनी होती है | यही नहीं, मठ के पास प्रयागराज शहर के अलावा नोएडा में भी कई एकड़ जमीन है जिसकी कीमत अरबों में है |

महंत नरेंद्र गिरि जी के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु:-

  • अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत स्वामी नरेंद्र गिरी जी अपने बचपन से ही जुझारू प्रवृत्ति के व्यक्ति थे |
  • अक्टूबर 2019 में महंत नरेंद्र गिरी जी को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था | मात्र 11 वर्ष की उम्र में ईश्वर से संदेश पाकर नरेंद्र गिरी जी धर्म और अध्यात्म के रास्ते पर चल पड़े |
  • महंत नरेंद्र गिरी जी राम मंदिर आंदोलन से भी लंबे समय तक जुड़े रहे तथा राम मंदिर के आंदोलन को आगे बढ़ाने मे इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
  • वर्ष 2016 में श्रीमहंत नरेंद्र गिरी उज्जैन शहर गए थे तथा वहां के स्थानीय प्रशासन से बड़ी दबंगता से सिंहस्थ क्षेत्र की जमीनों की रक्षा करने के लिए कहा था और सभी अखाड़ों में नया निर्माण करवाकर संतो को नई सुविधा प्रदान करवाई थी |
  • श्रीमहंत नरेंद्र गिरी प्रकृति से बहुत प्रेम करते थे | नरेंद्र गिरी जी ने नदियों के जल स्वच्छ बनाने के लिए बहुत से प्रयास किए | श्री महंत नरेंद्र गिरी जी चाहते थे कि उज्जैन की शिप्रा नदी में प्राकृतिक प्रवाह लौट आए जिससे शिप्रा नदी की स्वच्छता बनी रहे | श्री महंत नरेंद्र गिरि जी के सुझाव पर ही मध्यप्रदेश के वन विभाग ने शिप्रा नदी के किनारे पर पौधारोपण कार्यक्रम की शुरुआत की थी |
  • वर्ष 2016 के सिंहस्थ मेले के पहले नरेंद्र गिरि जी उज्जैन नगर के शहरकाजी खलीकुर्रहमान के घर भी गए थे और उन्हें सिंहस्थ मेले में आने का न्यौता भी दिया था |
  • श्रीमंत नरेंद्र गिरी जी जब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बने उसके बाद पहली बार शैव और वैष्णव अखाड़ों का शाही स्नान एक साथ हुआ था | इस प्रकार नरेंद्र गिरी जी समाज में सदैव एकजुटता के पक्षधर थे |

13 अखाड़ों की काउंसिल है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद:-

नरेंद्र गिरि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे | 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी | यह परिषद देश के प्रमुख 13 अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था है | अध्यक्ष के तौर पर यह महंत नरेंद्र गिरि का दूसरा कार्यकाल था | अखाड़ा परिषद ही एक तरह से महामंडलेश्वर और बाबाओं को सर्टिफिकेट दिया करती है | कहा जाता है कि देश के 13 अखाड़ों के जिम्मे एक तरह से सनातन हिंदू धर्म की रक्षा का भार है |

महंत नरेंद्र गिरि

बताया जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म की स्थापना की थी | तब बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारिका पीठ आदि की भी स्थापना की गई और उसी काल में युवा साधुओं के लिए मठ और अखाड़ों की स्थापना हुई | फिलहाल देश में कुल 13 अखाड़े हैं | ये सभी 13 अखाड़े तीन मतों में बंटे हुए हैं |

महंत नरेंद्र गिरि जी के शिष्यों के साथ जुड़े हुए विवादो की जानकारी:-

  • महंत नरेंद्र गिरी जी के शिष्य आनंद गिरि पर कई प्रकार के आरोप लग चुके हैं |
  • 38 वर्षीय आनंद गिरि उत्तराखंड के निवासी है | आनंद गिरि देश विदेशो में जाकर धर्म,योग और अध्यात्म की शिक्षा दे चुके है |
  • वर्ष 2016 में रुटी हिल पर स्थित एक घर में पूजा पाठ के दौरान आनंद गिरि पर मारपीट करने के आरोप लग चुके है |
  • वर्ष 2018 के एक अन्य मामले में 34 वर्षीय महिला के साथ आनंद गिरि पर दुर्व्यवहार करने का आरोप भी लग चुका है |
  • मई 2021 में महंत नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य आनंद गिरि को अखाड़ा निरंजनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था | महंत नरेंद्र गिरि जी ने आनंद गिरि को इसलिए निष्कासित किया था क्योंकि इन्होंने हरिद्वार के कुंभ मेले के दौरान अपने घर में बिना किसी आज्ञा के अपने परिवार को रहने की जगह दी थी |
  • अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष संत ज्ञानदास से भी नरेंद्र गिरी जी का लंबा विवाद चला | नरेंद्र गिरी जी ने अपनी तरफ से ज्योतिष पीठ के विवाद को सुलझाने की पूरी कोशिश की परंतु बहुत अधिक प्रयास करने पर वह इसमें सफल नहीं हो सके |
  • साल 2012 में सपा नेता और हंडिया से विधायक रहे महेश नारायण सिंह के साथ उनका विवाद हुआ था | साल 2015 में ही उन्होंने सचिन दत्ता नाम के एक रियल स्टेट व्यवसायी को महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी थी | 17 नवंबर 2019 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत आशीष गिरि की भी संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई थी | इस घटना के बाद कुछ लोगों ने महंत नरेंद्र गिरि पर भी सवाल उठाए थे |
  • महंत नरेंद्र गिरि का साल 2004 में तत्कालीन डीआईजी आरएन सिंह से जमीन बेचने के मामले में पैसों को लेकर विवाद हो गया था | इस मामले में डीआईजी ने कई दिनों तक मंदिर के सामने धरना दिया था | उस समय मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए डीआईजी को सस्पेंड कर दिया था, जिसके बाद यह मामला शांत हुआ |

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