देश में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्र शासित प्रदेशों का उदय

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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्र शासित प्रदेश:-

जम्मू-कश्मीर का इतिहास और भूगोल दोनों 31 अक्टूबर 2019 से बदल गए | इस ऐतिहासिक बदलाव के लिए सरकार ने 31 अक्टूबर 2019 देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती (राष्ट्रीय एकता दिवस) को चुना गया है | इस दिन को चुने जाने का कारण यह है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कराने में सरदार वल्लभ भाई पटेल का अहम योगदान रहा है | आज से देश की जन्नत कहे जाने वाले जम्मूू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं |

भारत सरकार के द्वारा 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 की ताकतों को पंगु करने के बाद आज यानी 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग राज्य बन गए हैं | अब संसद के बने कई कानून इन केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो सकेंगे | जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा या विधान परिषद के केंद्र शासित प्रदेश बनेगा |

केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर सहित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित घोषित करने वाला राजपत्र (गजट) जारी कर दिया गया है |

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में क्या-क्या बदलाव होंगे:-

  • अब तक पूर्ण राज्य रहा जम्मू-कश्मीर गुरुवार यानी 31 अक्टूबर 2019 से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बदल गया है | इसका मतलब है जम्मू-कश्मीर का इलाका अलग और लद्दाख का इलाका अलग |
  • जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन कानून के तहत लद्दाख अब बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश बन गया है |
  • अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था लेकिन अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल होंगे | जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है |
  • अभी तक दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट था लेकिन अब दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग होंगे | सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा |
  • राज्य में अधिकतर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, अब केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों राज्यों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे |
  • इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है |
  • जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव होगा |
  • राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य स्तर पर बनाया गया था | हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे |
  • राज्य के पुनर्गठन के साथ ही राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल जाएगी | जम्मू-कश्मीर में जहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ साथ विधानसभा भी बनाए रखी गई है | वहां पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह 5 साल का ही होगा |
  • विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी |
  • पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10% से ज़्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं |
  • जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी | हालांकि राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा |
  • केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से 5 और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा | इसी तरह से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के 4 सांसद ही चुने जाएंगे |
  • जम्मू कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे | जिनमें 4 लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं | लद्दाख की 4 सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं, जिनमें परिसीमन होना है |

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