International Day of the Girl Child 2021: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस? जानें इसका इतिहास, उद्देश्य

0
944
Girl Child Day 2021, International Day of the Girl Child
International Day of the Girl Child

Girl Child Day 2021- International Day of the Girl Child 2021:-

Girl Child Day 2021– हर वर्ष 11 अक्टूबर का दिन अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of the Girl Child) के रूप में मनाया जाता है | इस खास दिन पर परिवार, समाज और देश के लिए बालिकाओं के महत्व को दर्शाया जाता है | साथ ही यह संदेश दिया जाता है कि बालिकाओं की क्षमताओं और शक्तियों को पहचान कर उनके लिए दिल खोलकर अवसर मुहैया कराने चाहिए |

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य है कि दुनियाभर की बालिकाओं के आवाज का सशक्त करना है | दुनियाभर में कई ऐसे इलाके या देश के जहां बालिका को लड़कियों की तुलना में कम महत्व दिया जाता है और बालिकाओं के साथ विवाह, शिक्षा, सामाजिक स्तर में कई तरह के भेदभाव किए जाते हैं | साथ ही हिंसा, शिक्षा के खराब अवसरों जैसे लिंग आधारित चुनौतियों का सामना करने के कारण कई देशों में महिलाओं के स्थिति काफी खराब है | इस बार International Day of the Girl Child 2021 को ‘Digital Generation. Our generation’ की Theme के आधार पर मनाया जा रहा है |

International Day of the Girl Child का इतिहास:- Girl Child Day 2021

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर International Day of the Girl Child 2021 मनाने की शुरुआत एक NGO ‘प्लान इंटरनेशनल’ के द्वारा की गई थी | इसके शुरुआत एक प्रोजेक्ट के रुप में हुई थी | इस NGO ने “क्योंकि मैं एक लड़की हूं’ नाम से एक जागरुकता कैम्पैन चलाया था | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस अभियान के विस्तार के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया | कनाडा सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की 55वीं आम सभा में International Day of the Girl Child 2021 मनाने का प्रस्ताव रखा और अंतत: संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया | इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय की गई और उसके बाद साल 2012 के बाद हर साल International Day of the Girl Child 2021 मनाया जाने लगा है |

International Day of the Girl Child का उद्देश्य:- Girl Child Day 2021

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य बालिका सशक्तिकरण और उन्हें उनके अधिकार प्रदान करने में मदद करना था, ताकि तमाम चुनौतियों का सामना करने योग्य बन सकें, एवं दुनिया भर में बालिकाओं के संदर्भ में लैंगिक असमानताओं को खत्म करने के बारे में जागरूकता फैलाना था | उनकी मूलभूत समस्याओं में उन्हें उच्च शिक्षा सुविधा, समुचित पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सीय लाभ आदि शामिल हैं, जहां सदियों से उनके साथ भेदभाव किया जाता रहा है | महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा, बलात्कार, जबरन विवाह, पुस्तैनी अधिकार से वंचित रखने जैसी रुढ़िवादी परंपराओं को ख़त्म करना भी इसका मुख्य लक्ष्य था |

भारत सरकार ने भी बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए कई प्रकार की योजनाओं को लागू किया है जिसके तहत बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ एक उल्लेखनीय योजना है | इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार भी इसे लेकर कई अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू कर रही है | अगर हम भारत की बात करें तो भारत में हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी को मनाया जाता है |

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व:-

संयुक्त राष्ट्र में सतत विकास लक्ष्यों को 2017 में अपनाया गया था, जिसमें लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण प्राप्त करना भी शामिल है | इसी के मद्देनजर साल 2030 तक यह लक्ष्य रखा गया है कि युवा लड़कियों की सहायता कर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा में समान अवसर और बिना किसी लिंग-आधारित भेदभाव या हिंसा के सभी अवसर उपलब्ध कराएं जाएंगे |

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण दुनिया के अधिकांश आबाद लैपटॉप व मोबाइल के सामने बैठकर काम करने के लिए मजबूर हो गई है, ऐसे में दूसरी चुनौती यह भी है कि दुनियाभर में लगभग 2.2 बिलियन लोगों के पास अभी भी इंटरनेट कनेक्शन नहीं है | ऐसे में खासकर लड़कियों की स्थिति और भी अधिक खराब है |

वैश्विक स्तर पर, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का लिंग अंतर 2013 में 11 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 17 प्रतिशत हो गया है | सबसे कम विकसित देशों के लिए यह करीब 43 प्रतिशत हो चुका है | डिजिटल क्रांति के युग में जहां लोग नए कौशल सीखने और राजस्व अर्जित करने के लिए विभिन्न तरीकों से प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं तो ऐसे में महिलाओं और लड़कियों को पीछे इस मामले में पीछे नहीं छोड़ा जा सकता है |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here