इंदिरा गाँधी जयंती (Indira Gandhi Jayanti):-

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज 102वीं जयंती (इंदिरा गाँधी जयंती) हैं | इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई नेताओं ने इंदिरा गांधी को उनकी जयंती पर मंगलवार को नमन किया एवं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की |

इंदिरा का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था, जिनके बचपन का नाम प्रियदर्शिनी था | वह प्रभावी व्यक्तित्व वाली मृदुभाषी महिला थीं और अपने कड़े से कड़े फैसलों को पूरी निर्भयता से लागू करने का हुनर जानती थीं | आयरन लेडी (Iron Lady) के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी की भारतीय राजनीति में एक अलग ही पहचान थी |

इंदिरा गाँधी जयंती

एक तेज तर्रार, त्‍वरित निर्णयाक क्षमता और लोकप्रियता ने इंदिरा गांधी को देश और दुनिया की सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार कर दिया | इंदिरा गाँधी को बैंकों का राष्ट्रीयकरण, राजा-रजवाड़ों के प्रिवीपर्स की समाप्ति और पाकिस्तान को युद्ध में पराजित कर बांग्लादेश का उदय जैसे फैसलों के लिए देश सदैव याद करता रहेगा |

इंदिरा गाँधी द्वारा लिए गए साहसिक फैसले:-

1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण:-

इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान बैंकों के राष्ट्रीयकरण का अहम फैसला किया था | उन्होंने 19 जुलाई, 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था | इस फैसले से पहले इन बैंकों पर अधिकतर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्ज़ा था | इंदिरा गांधी का मानना था कि देश भर में बैंक क्रेडिट देने के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण अनिवार्य है |

उस समय वित्त मंत्री मोरारजी देसाई थे | जिन्होंने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था | 19 जुलाई 1969 को एक अध्यादेश लाया गया और 14 बैंकों का स्वामित्व राज्य के हवाले कर दिया गया | उस वक्त इन बैंकों के पास देश की 70 प्रतिशत जमापूंजी थी | बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के बाद बैंकों की 40 प्रतिशत पूंजी को प्राइमरी सेक्टर में निवेश करने के लिए सुरक्षित रखा गया |

देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की शाखाएं खोली गईं | वर्ष 1969 में बैंकों की 8261 शाखाएं थीं जो वर्ष 2000 तक 65521 शाखाएं हो गई | वर्ष 1980 में 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया |

इंदिरा गाँधी जयंती

2. राजा-रजवाड़ों के प्रिवीपर्स की समाप्ति:-

आजादी के पहले हिंदुस्तान में लगभग 500 से ज्यादा छोटी बड़ी रियासतें थीं | हर राजा-महाराजा को अपनी रियासत का भारत में एकीकरण करने के एवज में भारत सरकार द्वारा हर साल प्रिवी पर्स (राजभत्ता) बांध दिया गया था | यह समझौता सरदार पटेल द्वारा देसी रियासतों के एकीकरण के समय हुआ था |

इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स (राजभत्ता) को खत्म करने का फैसला किया था | उन्होंने 1971 में संविधान में संशोधन करके इसे बंद करवा दिया | इस तरह राजे-महाराजों के सारे अधिकार और सहूलियतें वापस ले ली गईं |

3.बांग्लादेश का उदय:-

आजादी के पहले अंग्रेज बंगाल का धार्मिक विभाजन कर गए थे | हिंदू बंगालियों के लिए पश्चिम बंगाल और मुस्लिम बंगालियों के लिए पूर्वी पाकिस्तान बना दिए गए थे | पूर्वी पाकिस्तान की जनता पाकिस्तान की सेना के शासन में घुटन महसूस कर रही थी | उनके पास नागरिक अधिकार नहीं थे | शेख मुजीबुर रहमान की अगुआई में मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तान की सेना से गृहयुद्ध शुरू कर दिया |

भारत को बांग्लादेशियों के अनुरोध पर इस सम्स्या में हस्तक्षेप करना पड़ा जिसके फलस्वरुप 1971 का युद्ध शुरू हुआ. इस युद्ध में करीब 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया. लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता के बाद एक नए राष्ट्र का उदय हुआ |

4.भारत का पहला परमाणु परीक्षण:

जिस वक्‍त दुनिया के ताकतवर देश भारत को धमकाने में जुटे थे उस वक्‍त इंदिरा गांधी ने परमाणु परिक्षण कर दुनिया को आश्‍चर्य में डाल दिया था | 18 मई 1974 को भारत ने दुनिया में अपनी परमाणु शक्ति का लोहा मनवाया था | भारत ने इस दिन देश का पहला परमाणु परीक्षण पोखरण में किया था, जिसे इंदिरा गांधी ने “Smiling Buddha” नाम दिया था |

ये परमाणु परीक्षण राजस्थान के जैसलमेर से करीब 140 किमी दूर लोहारकी गांव के पास मलका गांव में किया गया था | हालांकि दुनिया के बड़े मुल्‍क इस हरकत से काफी खफा थे | अमेरिका ने अपनी शक्ति का दबदबा बनाए रखने के लिए भारत पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए | लेकिन इससे इंदिरा न तो घबराई और न ही विचलित हुईं |

5.ऑपरेशन ब्लू स्टार:-

इस ऑपरेशन को सबसे खौफनाक सैन्य ऑपरेशन माना जाता है | जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके साथी एक अलग देश ‘खलिस्तान‘ बनाना चाहते थे | भिंडरावाले और उसके साथी स्वर्ण मंदिर में छिपे हुए थे | उन आतंकियों को मार गिराने के लिए इंदिरा गांधी ने ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार‘ चलाने का फैसला किया | इस ऑपरेशन के जरिए भारतीय सेना ने पंजाब स्थित स्वर्ण मंदिर परिसर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराया |

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