DAC क्या है?- अपना पता लिखने के बजाय जल्द ही ऑनलाइन डिलिवरी से लेकर एड्रेस वेरिफिकेशन तक के लिए आपको बस एक यूनीक कोड देना होगा। दरअसल, मोदी सरकार जल्द ही देश के सभी पतों के लिए आधार जैसा यूनीक कोड जारी करने जा रही है। आपके पते का ये यूनीक कोड डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) कहलाएगा। entearhindi.com में आप सभी लोगो का स्वागत है आज मै आप सभी लोगो को DAC (डिजिटल एड्रेस कोड) के बारे में बताने जा रहा हूं , क्या है डिजिटल एड्रेस कोड? और यह कैसे काम करेगा | डिजिटल एड्रेस कोड के बारे में विस्तृत जानकरी के लिए हमारे आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े, तो चलिए दोस्तों जानते है क्या है डिजिटल एड्रेस कोड? और यह कैसे काम करेगा|
एक यूनीक कोड बताएगा आपका पता, जानें क्या है डिजिटल एड्रेस कोड, इससे आपको होंगे कौन से फायदे?
DAC क्या है?? (What is DAC)
भारत सरकार जल्द ही देश के सभी पतों के लिए डिजिटल यूनीक कोड बनाने जा रही है। यह डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) देश के सभी पतों के लिए अलग-अलग यूनीक कोड की तरह काम करेगा। सरकार इसके लिए देश के हर पते को वेरिफाई करके उसके लिए एक यूनीक कोड जारी करेगी, जो उसके पते की जगह ऑनलाइन डिलिवरी से लेकर उस व्यक्ति के एड्रेस वेरिफिकेशन तक हर चीज में उसके ई-पते के तौर पर काम करेगा।
कौन बना रहा डिजिटल एड्रेस कोड?
भारत सरकार का डाक विभाग डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) बनाने की दिशा में काम कर रहा है। डाक विभाग ने हाल ही में अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर डिजिटल एड्रेस के प्रस्ताव पर सभी स्टेकहोल्डर्स के फीडबैक और सुझाव मांगते हुए एक ड्राफ्ट रिसर्च पेपर जारी किया था। फीडबैक देने की समय सीमा 20 नवंबर को समाप्त हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही डिजिटल एड्रेस को लेकर कोई घोषणा कर सकती है।
क्यों है डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) की जरूरत?
डिजिटल एड्रेस की जरूरत क्यों है, इस बारे में डाक विभाग ने बताया है, आमतौर पर आधार को एड्रेस प्रूफ के तौर पर यूज किया जाता है, लेकिन आधार पर दर्ज एड्रेस को डिजिटली प्रमाणित नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में सभी एड्रेस प्रूफ डॉक्यूमेंट्स के साथ यही कमी है। किसी भी एड्रेस को डिजिटली प्रमाणित करने के लिए उस एड्रेस को डिजिटल लोकेशन (जियोस्पेशल कोऑर्डिनेट्स या भू-स्थानिक निर्देशांक) से लिंक होना चाहिए। ऐसा होने पर डिजिटल एड्रेस आइडेंटिटी को एड्रेस के ऑनलाइन ऑथेन्टिकेशन के लिए उपयोग किया जा सकेगा।
सटीक एड्रेस तक पहुंचाने में मुश्किल:
ऑनलाइन बिजनेस ट्रांजैक्शन में बढ़ोतरी हुई है और ऑनलाइन खरीदारी भी बढ़ी है, लेकिन डिलवरी के लिए किसी एड्रेस या स्थान तक पहुंचना बहुत ही कठिन काम है।
आधार बस एड्रेस प्रूफ:
आधार का उपयोग आमतौर पर एड्रेस प्रूफ के लिए किया जाता है, लेकिन आधार कार्ड में मौजूद पते को डिजिटली प्रमाणित नहीं किया जा सकता है।
नकली पते से फ्रॉड:
अभी फेक एड्रेस का यूज करके ई-कॉमर्स ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी होती है। एड्रेस के डिजिटली लिंक्ड होने से उन्हें ऑनलाइन प्रमाणित किया जा सकेगा, जिससे फ्रॉड रुकेंगे।
यूनीक होगा एड्रेस:
बहुत लंबे-चौड़े एड्रेस हमेशा यूनीक नहीं होते हैं, और ऐसे स्थानों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
क्या होंगी डिजिटल एड्रेस कोड की विशेषताएं?
- DAC हर एड्रेस के लिए यूनीक होगा। ”एड्रेस’ का मतलब प्रत्येक व्यक्ति की आवासीय यूनिट या ऑफिस या बिजनेस होगा।
- डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) को एड्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले जियोस्पेशल कोऑर्डिनेट्स से जोड़ा जाएगा। एड्रेस के एंट्री गेट या गेट पर कोऑर्डिनेट्स इस उद्देश्य के लिए एड्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगे।
- ऐसे संवेदनशील प्रतिष्ठानों के लिए जिनके जियोस्पेशल कोऑर्डिनेट्स का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए, डिजिटल एड्रेस कोड जारी नहीं किया जाएगा या इसे ‘पड़ोस’ या शहर के कोऑर्डिनेट्स से जोड़ा जा सकता है।
कैसे काम करेगा डिजिटल एड्रेस कोड :
DAC कैसे होगा हर एड्रेस के लिए यूनीक?
- एक स्वतंत्र घर एक डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) के साथ एक एड्रेस होगा।
- अगर घर का दो हिस्सों में बंटवारा हुआ है, तो ऐसे में उसके लिए एक अलग एड्रेस के साथ ही अलग DAC जारी होगा।
- एक अपार्टमेंट बिल्डिंग में, हर व्यक्ति को एक डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) अलॉट होगा, जो अपार्टमेंट बिल्डिंग या ब्लॉक की एंट्री के जियोस्पेशल कोऑर्डिनेट्स से लिंक्ड होंगी।
- कोई भी कॉर्पोरेट ऑफिस या एक सरकारी ऑफिस कॉम्पलेक्स की भी अलग-अलग डिजिटल एड्रेस कोड होगा, जो उस बिल्डिंग के जियोस्पेशल कोऑर्डिनेट्स से लिंक होगी जिसमें वह ऑफिस स्थित है।
- डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) हर एड्रेस के लिए स्थाई होगा। यदि एड्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रॉपर्टी कई एड्रेस में बदल जाती है तो हर नए एड्रेस को एक नया DAC अलॉट होगा।
कितने डिजिट का होगा डिजिटल एड्रेस कोड?
डाक विभाग के मुताबिक, भारत में करीब 35 करोड़ घर हैं। अगर इसमें सभी बिजनेस और गैर-आवासीय लोकेशन को भी जोड़ दिया जाए तो देश में कुल पतों की संख्या करीब 75 करोड़ हो सकती है। शुरू में 11 डिजिट+1 चेक डिजिट, यानी कुल 12 डिजिट का डिजिटल एड्रेस कोड जारी करने का प्रस्ताव है। इससे जरूरत पड़ने पर करीब 100 करोड़ पतों को कवर किया जा सकता है।
क्या होंगे डिजिटल एड्रेस कोड के फायदे?
- प्रस्तावित डिजिटल एड्रेस कोर्ड जियोस्पेशल कोऑर्डिनेट्स से लिंक्ड होगा। इससे एड्रेस का ऑनलाइन ऑथेन्टिकेशन किया जा सकेगा।
- इससे बैंकिंग, इंश्योरेंस, टेलिकॉम आदि सेक्टर के लिए KYC वेरिफिकेशन प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इससे बिजनेस करने की लागत घटेगी। DAC ऑनलाइन ऑथेन्टिकेशन के साथ ही आधार ऑथेन्टिकेशन से डिजिटल EKY का प्रॉसेस पूरा हो जाएगा।
- DAC से डिलवरी सर्विसेज, खासतौर पर ई-कॉमर्स क्षेत्र में हाई प्रोडक्टिविटी और सर्विस की क्वॉलिटी बहुत बेहतर हो जाएगी।
- DAC के आने से सभी क्षेत्रों जैसे- प्रॉपर्टी, टैक्सेशन, इमर्जेंसी रिस्पॉन्स, डिजास्टर मैनेजमेंट, इलेक्शन मैनेजमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग और मैनेजमेंट, जनगणना संचालन और शिकायत निवारण में फाइनेंशियल और एडमिनिस्ट्रेटिव एफिशियंसी बढ़ेगी।
- डिजिटल एड्रेस कोड से सरकारी योजना का वितरण और उन्हें लागू करना आसान होगा।
- डिजिटल एड्रेस कोड (DAC) से सरकार की वन नेशन वन एड्रेस (ONOA) की योजना को भी अमली जामा पहनाए जाने की उम्मीद है।