TDS क्या है- टीडीएस सुनते ही आपके मन में कई तरह के सवाल आते होंगे। जैसे यह क्यों लगाया जाता है? कितनी आय पर लगता है? टैक्स के रूप में काटी गई यह रकम कहां जाती है ? कौन काट सकता है टीडीएस? आज यहां आपको सारे सवालों के जवाब मिलेंगे। आज हम आपको TDS क्या है, और इसका क्या इस्तेमाल है, इन सबके बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।
भारतीय टैक्स सिस्टम (कर पद्धति) में 20 से 25 सेक्शन्स (धाराएँ) [1] हैं जो विभिन्न प्रकार के भुगतान को संचालित करती है जिन पर टीडीएस लागू होता है। यहाँ कुछ सामान्य प्रकार के भुगतान दिए गए हैं जिस पर सुसंगत धाऱा और लागू होने वाले टीडीएस रेट के साथ सोर्स (स्त्रोत) पर ही कर कटौती करनी होती है। TDS क्या है
TDS क्या है?
टीडीएस/TDS (Tax Deducted at Source) एक तरह की कर की राशि है जो नियोक्ता (employer) या एक निर्धारिती के कटौतीकर्ता(deductor) द्वारा काट ली जाती है और उसके/ उसकी ओर से आयकर विभाग को जमा की जाती है | टीडीएस दर (TDS Rate) विभिन्न व्यक्तियों की आयु सीमा और आय के आधार पर निर्धारित की जाती है |
टीडीएस/TDS (Tax Deducted at Source) एक विशिष्ट राशि है, जो एक निश्चित भुगतान जैसे वेतन, कमीशन, किराया, ब्याज, पेशेवर शुल्क आदि के रूप में कम हो जाती है | भुगतान करने वाले व्यक्ति स्रोत पर कर काटते हैं, और जो व्यक्ति भुगतान / आय प्राप्त करता है, उसके पास कर का भुगतान करने की देयता होती है | यह कर चोरी को कम करता है क्योंकि भुगतान करते समय कर एकत्र किया जाएगा |
टीडीएस इनकम टैक्स का एक हिस्सा है। इसका मतलब होता है ‘टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स।’ यह इनकम टैक्स को आंकने का एक तरीका हैं। इनकम टैक्स से टीडीएस ज्यादा होने पर रिफंड क्लेम किया जाता है और कम होने पर अडवांस टैक्स या सेल्फ असेसमेंट टैक्स जमा करना होता है।
TDS कब और किसके द्वारा काटा जाता है:-
- यदि आप आयकर अधिनियम के तहत निर्दिष्ट किसी प्रकार का भुगतान कर रहे हैं, तो इन भुगतानों के समय TDS काट लिया जाएगा | हालांकि, यदि आप एक व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) हैं, तो कोई TDS नहीं काटा जाएगा और आपकी पुस्तकों का ऑडिट होना आवश्यक नहीं है |
- आपके द्वारा किसी व्यक्ति या HUF के रूप में किराए का भुगतान करने के मामले में, जहां देय राशि 50,000 रुपये से अधिक है तो 5% की दर से टीडीएस काट लिया जाएगा, भले ही आपकी पुस्तकें कर लेखा परीक्षा के लिए उत्तरदायी न हों | यदि आप 5% की कटौती वाले TDS के लिए उत्तरदायी हैं, तो आपको कर कटौती खाता संख्या (TAN) के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी |
- यदि आप एक कामकाजी पेशेवर हैं तो आपका नियोक्ता लागू आयकर स्लैब दरों के अनुसार TDS काटेगा |
- जिस बैंक के साथ आप काम कर रहे हैं, वह 10% टीडीएस काटेगा | हालांकि, यदि आपके पास आपका पैन विवरण नहीं है, तो 20% पर टीडीएस काट लिया जाएगा | अधिकांश भुगतान के लिए, आयकर अधिनियम में TDS की दरें निर्धारित की जाती हैं, भुगतानकर्ता दरों के अनुसार टीडीएस काटता है |
- यदि आप अपने नियोक्ता को अपने निवेश के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं और आपकी कुल आय पर कर लगाया जा सकता है तो आपको किसी भी कर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी | इस प्रकार, इस मामले में कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा | कुल कर योग्य आय कुल कर योग्य सीमा से कम होने पर आप फॉर्म 15G और फॉर्म 15H भी बैंक में जमा कर सकते हैं | इस मामले में बैंक आपकी ब्याज आय पर कोई TDS नहीं काटेगा |
- यदि आप अपने नियोक्ता को निवेश प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहे और बैंक ने टीडीएस काट लिया, तो आप रिटर्न दाखिल कर सकते हैं और इसका रिफंड का दावा कर सकते हैं, बशर्ते आपकी कुल कर योग्य आय कुल कर योग्य सीमा से कम हो |
Example of TDS:-
मान लेते है ABC Pvt. Ltd. नामक एक स्टार्ट-अप कंपनी हर महीने संपत्ति के मालिक के रूप में 90,000/- रुपये का भुगतान करता है | राशि पर लागू टीडीएस 10% है, इसलिए कंपनी को 9,000/- रुपये घटाना चाहिए और संपत्ति मालिक को 81,000/- रुपये का भुगतान करना चाहिए | इस मामले में, संपत्ति का मालिक TDS के बाद 81,000 रुपये प्राप्त करेगा | मालिक अपनी आय में 90,000/- रुपये की सकल राशि जोड़ सकता है, इससे उन्हें ABC Pvt. Ltd. द्वारा पहले ही काटे गए 9,000/- रुपये का क्रेडिट लेने की अनुमति मिल गई |
कैसे कटता है टीडीएस?
कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है। जिससे टैक्स लिया गया है उसे भी टीडीएस कटने का सर्टिफिकेट जरूर लेना चाहिए। डिडक्टी अपने चुकाए गए टैक्स का टीडीएस क्लेम कर सकता है। हालांकि उसी फाइनैंशल इयर में क्लेम करना पड़ेगा।
Types of TDS in Hindi:-
- वेतन
- LIC के तहत राशि
- बैंक का ब्याज
- ब्रोकरेज या कमीशन
- कमीशन भुगतान
- अचल संपत्ति प्राप्त करने पर मुआवजा
- ठेकेदार भुगतान
- डीम्ड डिविडेंड
- बीमा आयोग
- प्रतिभूतियों पर ब्याज के अलावा ब्याज
- प्रतिभूतियों पर ब्याज
- किराए का भुगतान
- कंपनी के निदेशक को दिया जाने वाला पारिश्रमिक आदि।
- अचल संपत्ति का हस्तांतरण
- crossword puzzle, card, lottery, आदि जैसे खेलों से जीती गई राशि |
TDS rate on salary:-
वेतन पर टीडीएस की दरें व्यक्तियों पर लागू टैक्स स्लैब दरों के समान हैं | यदि आपकी आयु 60 वर्ष से कम है, तो आपकी टीडीएस देयता शून्य होगी, यदि आपकी आय 2.5 लाख रुपये से कम है | 2.5 लाख से 5 लाख रुपये के बीच कमाने वाले व्यक्ति 5% पर TDS के अधीन होंगे, 5 लाख से 10 लाख रुपये के बीच कमाने वाले व्यक्ति 20% पर TDS के अधीन होंगे, 10 लाख से अधिक कमाने वाले व्यक्ति 30% पर TDS के अधीन होंगे |
वित्तीय वर्ष के दौरान क्या टीडीएस राशि में बदलाव हो सकता है?
आमतौर पर, एम्प्लॉयर (नियोक्ता) कर्मचारी की नेट टैक्सेबल इनकम (निवल करयोग्य आय) के आधार पर टीडीएस डिडक्ट (कटौती) करता है। इसका मतलब है ग्रॉस टैक्सेबल इनकम (सकल करयोग्य आय) में से (एम्प्लॉई / कर्मचारी द्वारा दी गई जानकारी के आधार) धारा 80सी से 80 यू के अंतर्गत टैक्स सेविंग डिडक्शन्स (कर बचत कटौतियों) को घटाना।
क्योंकि इनकम टैक्स की एवरेज रेट (औसत दर) का कैल्कुलेशन कर्मचारी द्वारा की गई घोषणाओं या आगामी अवधि के लिए कर्मचारी के पूर्वानुमानित सैलरी के आधार पर किया जाता है, इसमें निम्नलिखित परिस्थितियों में बदलाव हो सकता है :
- साल के दौरान कर्मचारी द्वारा प्राप्त किया गया कोई भी बोनस या सैलरी वृद्धि जो उनकी इनकम (आय) में और इसलिए पेयेबल टैक्स (देय कर) में वृद्धि करता है
- टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट (कर बचत निवेश) के सबूत प्रस्तुत करना जो उन्होंने पहले प्रस्तुत नहीं किए थे
- वास्तविक टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट (कर बचत निवेश) राशि साल के शुरुआत में कर्मचारी द्वारा की गई घोषणा से कम है
- कर्मचारी द्वारा नई नौकरी बदलने के मामले में
ऐसे मामलों में पहले की गई कम डिडक्शन (कटौती) को पूरा करने के लिए बाद के महिनों में अतिरिक्त टीडीएस डिडक्शन (कटौती) किया जाता है। इसी तरह, यदि किसी कारणवश, एम्प्लॉयर (नियोक्ता)ने टीडीएस के हाईर रेट (उच्च दर) के अनुसार कटौती की है तो आनेवाले महिनों में कुल टीडीएस को औसत करने के लिए कम टीडीएस काटा जाएगा।
TDS Rates- आयकर कानून के मुताबिक, ये हैं टीडीएस रेट्स
टीडीएस रिफंड के लिए कैसे आवेदन करें?
एक प्रमुख गलत धारणा जो कई लोगों में होती है कि अधिक टीडीएस का रिफंड इनकम टैक्स रिफंड से अलग होता है। हाँलाकि भारतीय टैक्स सिस्टम (कर प्रणाली) के अनुसार, आपका वार्षिक इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय केवल एक ही प्रकार का रिटर्न होता है जिसका आप दावा करते हैं।
टीडीएस रिफंड दाखिल करने के लिए खाता क्रमांक और आईएफएससी कोड जैसे बैंक खाते का विवरण देना अनिवार्य होता है। ऐसा न कर पाने पर आपके लिए एक वैध फाइल नहीं बन पाएगी। यदि जितनी कटौती की जानी थी कोई उससे ज़्यादा टैक्स कटौती करता है, तो आपको इनकम टैक्स रिफंड किया जाएगा जिसके लिए वार्षिक इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते वक्त दावा प्रस्तुत किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, आप एक ट्रान्स्पोर्ट एजेंसी के मालिक हैं और आपकी एक स्वामित्व वाली फर्म हैं। आपने रु. 20,000/- का एक इन्वॉइस प्रस्तुत किया है और भाड़े का भुगतान करनेवाले व्यक्ति ने (धारा 194सी के अंतर्गत रु. 1,000/- @ 2% की टैक्स कटौती करने के बाद) आपको रु. 19,600/- की नेट अमाउंट / निवल राशि का भुगतान किया है। इस मामले में टैक्स कटौती 1% दर के बजाय 2% के अनुसार की जाएगी और इसलिए रु. 200/- का अधिक टीडीएस काटा गया। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (आयकर अधिनियम,1961) के अनुसार इनकम टैक्स रिटर्न में यह रु. 200 का अधिक टीडीएस रिफंड के तौर पर सामने आएगा।
अब आप समझ गए होंगे की TDS क्या है। टीडीएस क्या होता है। अगर आपको कोई चीज़ समझ में नहीं आई हो, या आप कुछ बताना चाहते हों तो, निचे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।
Reference- https://www.incometaxindia.gov.in/Pages/Deposit_TDS_TCS.aspx