संयुक्ता कौन थी? जानें पृथ्वीराज चौहान और संयुक्त की प्रेम कहानी

0
1053
संयुक्ता कौन थी

संयुक्ता कौन थी ? (Samyukta): Wife of Prithviraj Chauhan:-

संयुक्ता कौन थी- संयुक्ता, जिसे संयोगिता या संजुक्ता के नाम से भी जाना जाता है, पृथ्वीराज चौहान की तीन पत्नियों में से एक थी | उनकी प्रेम कहानी भारत में सबसे प्रसिद्ध मध्ययुगीन युग की प्रेम कहानियों में से एक है | संयुक्ता को तिलोत्तमा का अवतार कहा जाता है – स्वर्ग से एक अप्सरा | वह न केवल अपनी सुंदरता के लिए बल्कि अपनी शिक्षा और युद्ध कौशल के लिए भी जानी जाती थी |

पृथिवराज चौहान को जिसने अपने प्यार का दिवाना बनाया और अजमेर से कोसों दूर कन्नौज में खींच के लाने में कामयाब रहीं वो थी संयोगिता | तारागढ़ और अजमेर का नाम इन दोनों की याद दिलाता है | इसी याद को ताजा करने के लिए जानते हैं संयोगता से जुड़े कुछ अहम पहलूओं के बारे में |

Also Read: Prithviraj Chauhan Biography: पृथ्वीराज चौहान कौन थे? जानें इनका इतिहास और जीवन परिचय

संयुक्ता का जीवन परिचय:-

पूरा नामसंयोगिता चौहान
जन्म स्थानकन्नौज
धर्महिंदू
राजवंशचौहान वंश
पिता का नामजयचंद

संयुक्ता के प्रेम की शुरूआत:- संयुक्ता कौन थी ?

पृथ्वीराज चौहान वंश के सबसे महान शासकों में से एक थे, जिनका राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में फैला हुआ था। कन्नौज के राजा जयचंद सहित उस समय के कई शासक उसकी शक्ति से ईर्ष्या करते थे |

जयचंद की बेटी संयुक्ता अपनी सुंदरता और आकर्षण के लिए जानी जाती थी | संयुक्ता और पृथ्वीराज चौहान की प्रेम की शुरूआत तब हुई जब वो दिल्ली के युवराज बने | वहीं से उनकी प्रेम की शुरूआत हुई |

उन्होंने जब सुना की दिल्ली के लिए किसी युवराज को चुना है और वो देखने में काफी सुंदर है, तो वो उनकी तस्वीर देखे बिना नहीं रह पाई और जब उन्होंने वो देखी तभी वो उन्हें अपना दिल दे बैठी |

लेकिन दोनों का मिलना इतना आसान नहीं था | क्योंकि महाराजा जयचंद जो की संयुक्ता के पिता थे, उनकी पृथ्वीराज चौहान से कट्टर दुश्मनी थी और वो अपनी बेटी उनको नहीं देना चाहते थे | चूंकि जयचंद और पृथ्वीराज कट्टर प्रतिद्वंद्वी थे, कन्नौज के राजा अपनी बेटी के संबंध के बारे में पता चलने पर क्रोधित हो गए | उन्होंने पृथ्वीराज का अपमान करने का फैसला किया |

संयुक्ता का स्वंयवर:-

राजा जयचंद चाहते थे कि, उनकी बेटी का विवाह ऐसे व्यक्ति से हो जिसको वो चुने | लेकिन ऐसा हो नहीं पाया जब स्वंयवर का दिन आया तो राज्यों के सभी राजकुमारों और महाराजाओं को बुलाया गया |

लेकिन दुश्मनी के कारण पृथ्वीराज चौहान को शादी का निमंत्रण नहीं दिया गया | ऐसे में उनके पिता ने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति द्वारपाल के पास लगा द | जब संयोगिता वरमाला डालने आई तो उन्हें वो नहीं दिखाई दिए |

जिसके बाद वो वहां रखी मूर्ति के पास गई और वरमाला उसके गले में डालने लगी | जैसे ही वो वरमाला डालने लगी तभी पृथ्वीराज चौहान वहां आ गए और वो वरमाला उनके गले में डल गई | जिसके बाद संयोगिता के पिता आग बबूला हो गए और तलवार निकालकर संयोगिता को मारने की तरफ बढ़े | तभी पृथ्वीराज चौहान ने उनका हाथ पकड़ा और भरी सभा में उन्हें वहां से भगा कर ले गए |

रानी संयोगिता की कैसे हुई मृत्यु:-

रानी संयोगिता की मृत्यृ नहीं हुई बल्कि वो सती हुई | ऐसा माना जाता है कि, पुराने जमाने में पति की मृत्यृ के बाद पत्नी का कोई अस्तीत्व नहीं रह जाता और इससे पहले उन्हें कोई मुगल राजा उठाकर ले जाए वो उससे पहले ही सती हो जाती है | कुछ इसी तरह का कार्य किया संयोगिता ने और अपनी इच्छा से देह त्याग दिया |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here