नाटो क्या है- नाटो विश्व का सबसे बड़ा सैन्य संगठन है जिसके अंतर्गत एक देश दूसरे देश में अपनी सेना भेजता है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनिंग भी दी जाती है। साथ ही साथ यह आदेश भी दिया जाता है कि वह हर स्थिति को सख्ती से निपटाएं। नाटो की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल 1949 में की गई।

हिंदी भाषा में नाटो को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन के नाम से जाना जाता है। नाटो का दूसरा नाम अटलांटिक अलायन्स भी है।  मुख्य रूप से नाटो का उद्देश्य विश्व में शांति को कायम रखना है।  आज के समय में नाटो के 30 सदस्य हैं। आज के समय में दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन संगठन नाटो है। नाटो के अंतर्गत जो भी देश नाटो के नियमों की पालन नहीं करता उसपर कठोर करवाई की जाती है। नाटो उस समय और भी चर्चा में आ गया जब रूस और उक्रेन के बीच युद्ध की बातें सामने आने लगीं। 

आज हम इस आर्टिकल में आप सभी लोगो को उत्तरी अटलाण्टिक सन्धि संगठन (नाटो) के बारे में बताने जा रहे हैं, नाटो के बारे में सब कुछ जानने के लिए हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े|

नाटो का सामान्य परिचय: नाटो क्या है?

  • उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वाशिंगटन में किया गया था। यह एक अंतर- सरकारी सैन्य संगठन है।
  • इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में अवस्थित है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 30 है।
  • नाटो यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देशों के मध्य एक सैन्य गठबंधन है।
  • वर्ष 2017 एवं 2020 में क्रमश: मोंटेनेग्रो और उत्तरी मैसिडोनिया को सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया है।
  • नाटो सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका तात्पर्य ‘एक या अधिक सदस्यों पर आक्रमण सभी सदस्य देशों पर आक्रमण माना जाता है। ज्ञातव्य है कि यह नाटो के अनुच्छेद 5 में निहित है। इस अनुच्छेद को पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमले (11 सितंबर, 2001)के बाद लागू किया गया था।
  • नाटो में कोई भी निर्णय सभी 30 सदस्यों के सामूहिक इच्छा के आधार पर ली जाती है। 
  • नाटो के सदस्य देशों का कुल सैन्य खर्च विश्व के सैन्य खर्च का 70% से अधिक है, जिसमें अमेरिका अकेले अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में अधिक खर्च करता है।

नाटो (NATO) का उद्देश्य: 

  • इसकी  स्थापना के समय प्रमुख उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा को रोकना था।
  • राजनीतिक और सैन्य तरीकों से अपने सदस्य राष्ट्रों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी प्रदान करना।
  •  वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिये नवाचार एवं अनुकूलन के साथ-साथ उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित करना।
  • सदस्य देशों के बीच एकजुटता और सामंजस्य की भावना पैदा करना।
  • यूरोप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता, लोकतंत्र, मानव अधिकारों एवं कानून के शासन के समान मूल्यों के आधार पर स्थायी शांति सुनिश्चित करना।
  • अपने सदस्य देशों के क्षेत्र की रक्षा करना और जब संभव हो तो संकट को कम करने के लिये भी प्रयास करना ।
  • किसी भी सदस्य देश को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में निर्धारित प्राथमिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिये मजबूर ना करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न होने वाले नए खतरों से निपटने हेतु न केवल सामूहिक रक्षा प्रदान करना बल्कि संकट की स्थितियों का प्रबंधन करने के साथ-साथ सहकारी सुरक्षा को प्रोत्साहित करना भी है।
  • समुद्र या समुद्र से संभावित खतरों से अपने सहयोगियों को रक्षा करने में मदद करना।
  • आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार न करना।

नाटो की ऐतिहासिक पृष्भूमि: नाटो क्या है?

जब सोवियत संघ ने 1948 में बर्लिन की नाकेबंदी की तो पश्चिमी यूरोपीय पूंजीवादी  देशों को साम्यवाद के प्रसार का भय लगने लगा।अतः पश्चिमी यूरोपीय देशों की सुरक्षा के लिये अमेरिका के नेतृत्व में नाटो नामक प्रतिरक्षा संगठन का निर्माण किया गया। फलतः इसके जवाब में सोवियत संघ ने वारसा पैक्ट किया। इस प्रकार शस्त्रीकरण को बढ़ावा मिला जिसके कारण अमेरिका और सोवियत संघ के संबंधों में तनाव बढ़ता गया।

नाटो (NATO) के कार्य:

  • नाटो आतंकवाद की समस्या से निपटने के साथ-साथ आतंकवादी हमले के परिणामों का प्रबंधन करने के लिये नई क्षमताओं और प्रौद्योगिकियों का विकास करता है।
  • नाटो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और अपने सदस्यों देशों की समस्याओं को हल करने के अलावा न केवल विश्वास का निर्माण करता है बल्कि रक्षा और सुरक्षा मामलों पर परामर्श और सहयोग की अनुमति भी देता है।
  • नाटो शांतिपूर्ण तरीके से विवादों को हल करने के लिये राजनयिक प्रयास करता है यदि ये प्रयास विफल होता है तो उसे इस प्रकार के संकट प्रबंधन कार्यों को करने के लिये सैन्य शक्ति का भी प्रयोग करना पड़ता है।
  • नाटो के मुख्य कार्य क्रमश सामूहिक सुरक्षा ,संकट प्रबंधन और सहकारी सुरक्षा है जिसे वर्तमान रणनीतीक अवधारणा (2010) के अंतर्गत निर्धारित किया गया है।
  • नाटो,नि:शस्रीकरण ,हथियारों के नियंत्रण और इसके अप्रसार के लिये वचनबद्ध है। इस प्रकार ये गठबंधन के सुरक्षा उद्देश्यों की उपलब्धि के साथ-साथ रणनीतिक स्थिरता और सामूहिक सुरक्षा के लिये भी एक आवश्यक योगदान देता है। 

नाटो (NATO) के अभियान और मिशन :

नाटो संकट प्रबंधन, सैन्य अभियानों और मिशनों की एक विस्तृत श्रृंखला में शामिल है। नाटो वर्तमान में अफगानिस्तान, कोसोवो और भूमध्यसागर में काम कर रहा है।

  • नाटो अफगानिस्तान में ‘गैर-युद्ध मिशन ‘का नेतृत्व कर रहा जिसके माध्यम से अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों , संस्थानों को प्रशिक्षण, सलाह और सहायता प्रदान करता है।
  • नाटो ने ISAF (अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल) का नेतृत्व अगस्त 2003 से दिसंबर 2014 तक संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत किया था। इसके बाद जनवरी 2015 में संकल्प सहायता मिशन शुरू किया गया ।
  • अफगानिस्तान में  ‘संकल्प सहायता मिशन'(Resolute Support Mission) के माध्यम से निम्नलिखत कार्यों में योगदान किया जाता है –
    • योजनाओं को समर्थन प्रदान करना, 
    • प्रोग्रामिंग और बजट, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना ,
    • कानून के शासन और सुशासन के सिद्धांतों को बढ़ावा देना
    •  इसके अलावा बल उत्पादन, भर्ती , प्रशिक्षण,प्रबंधन और कर्मचारियों के विकास करना ।
  • नाटो ने जून 1999 से कोसोवो  में शांति और स्थिरता को मजबूत करने के उद्देश्य से शांति सहायता अभियान का नेतृत्व किया।
  • कोसोवो में एक KFOR (कोसोवो फोर्स) का भी गठन किया गया है जिसका उद्देश्य सुरक्षित वातावरण स्थापित करना, सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखना है।
  •  हाल ही में KFOR ने COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में मित्रोविका-उत्तर और मित्रोविका-दक्षिण में निजी उपकरण के तौर पर सामान उपलब्ध कराया है।
  • वर्ष 2018 में नाटो ने इराक में इसके सुरक्षा बलों, रक्षा और सुरक्षा संस्थानों और राष्ट्रीय रक्षा अकादमियों की क्षमता के निर्माण के लिये एक प्रशिक्षण मिशन (NMI) शुरू किया लेकिन वर्तमान में मध्य-पूर्व तनाव के कारण जनवरी 2020 की शुरुआत में फील्ड प्रशिक्षण गतिविधियों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था।
  • इस मिशन का उद्देश्य इराक में अपने सुरक्षा बलों को मजबूत करना और आतंकवादी समूह ‘ISIL’ या ‘DAECH’ के  पुनरुत्थान को रोकने में मदद करके आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में योगदान देना हैं।
  • इराक यूरो-अटलांटिक क्षेत्र के बाहर के देशों में से एक है – जिसे अक्सर “वैश्विक भागीदार” कहा जाता है – जिसके साथ नाटो विकासशील संबंधों के लिये प्रतिबद्ध है।
  • नाटो की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक समुद्री सुरक्षा है। जिसके लिये नाटो ने “सी गार्जियन” नाम से एक समुद्री सुरक्षा अभियान शुरू किया जिसे उत्तरी अटलांटिक परिषद के निर्णयों के अनुसार, वर्तमान में इसे भूमध्यसागर में तैनात किया गया है, जहाँ समुद्री सुरक्षा कार्यों से संबंधित सात कार्यों में से तीन पर ध्यान केंद्रित करता है।
    ये तीनों कार्य निम्नलखित है –  
    • समुद्री स्थितिजन्य जागरूकता के लिये समर्थन।,
    • आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में योगदान।
    • समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में योगदान ।
  • इसके अतिरिक्त चार अन्य कार्य है –
    • नेविगेशन की स्वतंत्रता को लागू करें।
    • समुद्री अंतःविषय क्रियाओं को अंजाम देना।
    • सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और परिवहन के साथ साथ तैनाती को भी रोकना।
    • महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की रक्षा करना ।
  • 2008 के पश्चात् नाटो ने संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर अफ्रीका के हॉर्न और हिंद महासागर में अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन किया।
  • नाटो  ऑपरेशन ओशन शील्ड का नेतृत्व कर रहा था जो न केवल जहाज़ो को बचाने का कार्य करता है बल्कि क्षेत्र में सुरक्षा के सामान्य स्तर को बेहतर बनाने के साथ-साथ  समुद्री डकैती को रोकने और विफल करने में भी मदद करता था।
  • नाटो 15 दिसंबर, 2016 को ऑपरेशन ओशन शील्ड को समाप्त कर देने के बाद भी  समुद्री डकैती के खिलाफ लड़ाई में संलग्न है।
  • नाटो ने अफ्रीकी संघ के साथ मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में अपना सहयोग विकसित किया है: 
    • परिचालन में समर्थन करना।
    • क्षमता निर्माण के लिये समर्थन करना।
    • अफ्रीकी स्टैंडबाई फोर्स (एएसएफ) की स्थापना और निरंतरता के लिये समर्थन करना।
  • परिचालन समर्थन को रणनीतिक वायु और समुद्री परिवहन के लिये समर्थन के साथ-साथ सोमालिया में अफ्रीकी संघ मिशन (AMISOM) के लिये समर्थन करना है।
  • नाटो और अफ्रीकन यूनियन के साझेदारी को मजबूत करने और इनको साथ लाने के लिये सहयोग समझौते पर  हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • नाटो स्काई पुलिस एक सामूहिक, विशुद्ध रूप से रक्षात्मक मिशन है, जिसमें इंटरसेप्टर की निरंतर उपस्थिति शामिल है जो उल्लंघन और संक्रमण की स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया करने में सक्षम है।
  • नाटो के वे देश जो संसाधन संपन्न है, उन लोगों की मदद कर रहे हैं जिनके पास अपने क्षेत्र के लिये एयर पुलिसिंग की सुविधा नहीं है।

नाटो(NATO) का प्रतिनिधिमंडल:

प्रत्येक सदस्य देश का ब्रुसेल्स में एक स्थायी प्रतिनिधि मंडल है। जिसकी अध्यक्षता एक “राजदूत” द्वारा की जाती है।

उत्तरी अटलांटिक परिषद (NAC)

उत्तरी अटलांटिक परिषद नाटो का सबसे  प्रमुख अंग है। प्रत्येक सदस्य देश का एक प्रतिनिधि परिषद में बैठता है। यह सप्ताह में कम-से-कम एक बार या आवश्यकतानुसार विभिन्न स्तरों पर मिलता है। इसकी अध्यक्षता महासचिव करते हैं, जो प्रमुख मुद्दों पर समझौते तक पहुंचने में सदस्यों की सहायता करता है।

महासचिव

महासचिव संगठन का सबसे सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय अधिकारी होता है। वह अलायंस के भीतर परामर्श और निर्णय लेने की प्रक्रिया को संचालित करता है। यह नाटो के मुख्य प्रवक्ता भी होता है और संगठन के अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय के प्रमुख हैं, जो नाटो मुख्यालय में राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों को सलाह, मार्गदर्शन और प्रशासनिक सहायता प्रदान करता है।

परमाणु योजना समूह

परमाणु योजना समूह के पास नीति मामलों पर परिषद के समान अधिकार है। उपर्युक्त के अलावा नाटो एजेंसियां और अधीनस्थ समितियाँ भी है जो नाटो के साथ सामंजस्य बनाए रखते है।

सैन्य संगठन और संरचना 

सैन्य समिति नाटो के सदस्य देशों के रक्षा प्रमुखों से बना है। जब किसी मुद्दे पर राजनीतिक तरीके से समाधान नहीं निकलता है तो फिर उसके लिये मिलिट्री ऑपरेशन का रास्ता बनाया जाता है।

नाटो के पास अपनी खुद की सेना बहुत कम होती है इसलिये जब किसी देश के खिलाफ मिलिट्री ऑपरेशन की बात आती है तो सदस्य देश स्वेच्छा से इस अभियान के लिये अपनी सेना भेजते हैं और जब मिशन समाप्त हो जाता है तो सेना अपने देश में दोबारा लौट जाती है स्पष्ट है कि नाटो अपने सदस्य देशों की सहायता के लिये ना केवल राजनीतिक तरीका अपनाता है बल्कि जरूरत पड़ने पर सैनिक सहयोग भी करता है।

नाटो के समक्ष सुरक्षा चुनौती :

  • आतंकवाद के खतरे से निपटना ।
  • परमाणु हथियारों के प्रसार और बड़े पैमाने पर विनाश के अन्य हथियार (WMD) के प्रसार को रोकना।
  • बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (बीएमडी)  का विकास से संबंधित चुनौतियाँ।
  • साइबर हमले से बचाव।
  • कामचलाऊ विस्फोटक उपकरणों का संयोजन।
  • ऊर्जा से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करना।
  • पर्यावरण से संबंधित चुनौतियाँ प्रमुख है।
  • सैन्य अभियानों के दौरान मानव तस्करी का मुकाबला करना।

नाटो और भारत :

  • भारत नाटो का सदस्य देश नहीं है।
  • लेकिन अमेरिकी सीनेट ने भारत देश को नाटो सहयोगी देश का दर्जा देने के लिये विधेयक पारित किया है अत: अमेरिकी सीनेटर ने हथियार निर्यात नियंत्रण अधिनियम(Arms Export Control Act-AECA) में संशोधन की मांग की।
  • इसके पहले अमेरिका यह दर्जा इज़रायल और दक्षिण कोरिया को दे चुका है।

संकट प्रबंधन अभ्यास -2019 संस्करण:

Crisis Management Exercise-2019(CMX-2019)

  • यह नाटो का 22वां अभ्यास था जो 9 से 15 मई 2019 तक हुआ था। ज्ञातव्य है कि यह अभ्यास वर्ष 1992 से आयोजित होता आ रहा है। इसमें गठबंधन अपने आंतरिक और राजनीतिक-सैन्य स्तर पर भागीदारों के साथ परामर्श और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं का परीक्षण करता है।
  • पिछले संस्करणों की तरह CMX-2019 में बलों की कोई तैनाती शामिल नहीं थी। यह योजना वर्ष 2016 एवं 2017 के लिये बनायी गई थी, जिसमे फिनलैंड , स्वीडन और अन्य भागीदार देशों ने मित्र राष्ट्रों के साथ CMX-2019 में भाग लिया।

इस्तांबुल सहयोग पहल (ICI) की 15 वीं वर्षगांठ:

  • 16 दिसंबर, 2019 को उत्तरी अटलांटिक परिषद ने इस्तांबुल सहयोग पहल (ICI) की 15 वीं वर्षगांठ कुवैत सिटी में मनाया गया, जहाँ नाटो राजदूतों ने इस साझेदारी मंच के सदस्य देशों बहरीन, कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की। इस बैठक में ओमान, सऊदी अरब और खाड़ी सहयोग परिषद के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

नया नाटो संयुक्त सहायता और सुविधा कमान (JSEC) मुख्यालय:

  •  यह कमान यूरोपीय सीमाओं के पार सहयोगी बलों और उपकरणों की आवाजाही में तेज़ी लाने, समन्वय और गारंटी देने में सहायता प्रदान करेगा ।
  • JSEC को यूरोप में “बैककाउंट्री” के रूप में जाना जाता है। जर्मनी ने इसके गठन,  सैन्य मुद्रा और यूरोप में लॉजिस्टिक्स हब बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाई है । JSEC नाटो बल संरचना का हिस्सा है और सुप्रीम अलाइड कमांडर यूरोप के परिचालन कमान (SACEUR) को रिपोर्ट करता है।

वैश्विक सुरक्षा”: जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा परिणाम:

  • COP 25 , मैड्रिड में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन 2 से 13 दिसंबर 2019 तक आयोजित हुआ जिसमे , संयुक्त राष्ट्र ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये ज़ोर दिया , जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करता है जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है,वैसे ही  सुरक्षा चिंताएँ बढ़ती है। 
  • हाल ही में इसके संदर्भ में एक प्रचलित छात्र हड़ताल जलवायु आंदोलन (School Strike for Climate)’प्रमुख है जिसे स्वीडिश छात्रा ग्रेटा थुनबर्ग ने शुरू किया है इससे प्रेरित आंदोलन सूर्योदय आंदोलन (Sunrise Movement) एवं Extinction Rebellion प्रमुख हैं।

नाटो के हाल के प्रयास:

  • उत्तर मेसेडोनिया नाटो  की “नई पीढ़ी” हादसा प्रबंधन कमान प्रणाली (Next-Generation Incident Command System-NICS) का उपयोग कर रही ताकि COVID-19 संकट के  समय कार्यों का समन्वय किया जा सके और साथ ही सही  जानकारी एवं सलाह के साथ जनसंख्या की सूचना प्राप्त हो  सके।
  • नाटो और फुलब्राइट आयोग ने सांस्कृतिक कूटनीति के क्षेत्र में नया फुलब्राइट-नाटो फेलोशिप (New Fulbright-NATO Fellowship Programme) कार्यक्रम शुरू किया। जिसका उद्देश्य नाटो के बारे में जागरूकता और समझ को बढ़ाना तथा  ट्रान्साटलांटिक स्तर पर सुरक्षा और रक्षा पर बहस को बढ़ावा देना है।
  • हाल ही में नाटो के नौ गठबंधन देशों (बेल्जियम, चेक गणराज्य, फ्रांस, जर्मनी ,नॉर्वे, हंगरी, पोलैंड, स्लोवाकिया,और स्लोवेनिया) ने कोविड-19 संकट से लड़ने के लिये रणनीतिक वायु परिवहन के लिये अंतरराष्ट्रीय समाधान (Strategic Airlift International Solution-SALIS) कार्यक्रम का उपयोग चीन से आपातकालीन चिकित्सा उपकरण लाने में किया है। इस कार्यक्रम को नौ गठबंधन देशों के आधार पर NSPA (NATO Support Procurement Agency) नियंत्रित करता हैं।
  • यूरोपीय साइबर स्पेस फोरम (साइबर सेक) का उदघाटन किया गया है जो साइबर स्पेस में उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा।
  • हाल ही में नाटो ने महिलाओं, शांति और सुरक्षा संबंधित कार्य योजना (Women Peace and Security Policy and Action Plan)को प्रथम नीति के तहत स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य यौन शोषण और उसका रोकथाम है

नाटो का 70 वां शिखर सम्मेलन:

  • नाटो की 70 वीं वर्षगांठ पर दो दिवसीय शिखर सम्मेलन 3-4 दिसंबर, 2019 को ब्रिटेन में आयोजित किया गया। इसमें सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया जिसका उद्देश्य सहयोगात्मक गतिविधियों के लिये रणनीतिक दिशा का मूल्यांकन करना था।
  •  इस बैठक में नाटो की सैन्य ताकत को और अधिक बढ़ाने का फैसला किया गया।
  •  नाटो अब स्थल, जल, वायु एवं साइबर क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता साबित करने के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने की तैयारी में है। जिसका उद्देश्य  नाटो के सदस्य देशों पर हमले की कोशिश करने वाले दुश्मन देश को अंतरिक्ष से भी जवाब देना है।

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