Nirjala Ekadashi कब है –
निर्जला एकादशी 31 मई, बुधवार को है। इस एकादशी का व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है।
इस दिन लोग सच्ची श्रद्धा भाव से निर्जला व्रत करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। निर्जला एकादशी को लेकर शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों को मानकर पूजा करने से आपके घर में सुख समृद्धि आती है।
निर्जला एकादशी को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि ये व्रत किसी भी प्रकार के भोजन और पानी के बिना किया जाता है। निर्जला एकादशी साल की चौबीस एकादशियों के तुल्य है। द्वापर युग में भीम ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया था। इस वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।यह व्रत आत्म संयम सिखाता है। निर्जला एकादशी व्रत में विष्णु जी की पूजा करने से सभी 24 एकादशियों का फल मिलता है। ऐसे में व्रत-पूजा में कोई अवरोध न हो इसलिए आज ही पूजा की सामग्री एकत्रित कर ले |
निर्जला एकादशी पूजा सामग्री (Nirjala Ekadashi Puja Samagri)-
*भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, पूजा की चौकी, पीला कपड़ा
*पीले फूल, पीले वस्त्र, फल (केला, आम, ऋतुफल), कलश, आम के पत्ते
*पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद), तुलसी दल, केसर, इत्र, इलायची
*पान, लौंग, सुपारी, कपूर, पानी वाली नारियल, पीला चंदन, अक्षत, पंचमेवा
*कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, तिल, आंवला, मिठाई, व्रत कथा पुस्तक, मौली
*दान के लिए- मिट्टी का कलश, सत्तू, फल, तिल, छाता, जूते-चप्पल |
निर्जला एकादशी की पूजा विधि (Nirjala Ekadashi Puja vidhi)-
निर्जला एकादशी का व्रत करने के लिए नियम संयम का पालन एक दिन पहले ही यानी कि दशमी तिथि से ही शुरू कर दिया जाता है। भगवान विष्णु को पीतांबरधारी माना गया है, इसलिए उनकी पूजा में पीले रंग का खास ध्यान रखा जाता है। पीले रंग के वस्त्र पहनकर, पीले फूल, पीले निर्जला एकादशी की पूजा तिल, गंगाजल, तुलसी पत्र, श्रीफल बहुत महत्वपूर्ण माने जाते है।
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इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा के साथ मां लक्ष्मी और तुलसी की उपासना भी जरुर करे। मान्यता है तुलसी पूजा के बिना एकादशी का व्रत-पूजन अधूरा रहता है। इस दिन विष्णु जी का , जल में तिल मिलाकर “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करते हुए विष्णु जी का अभिषेक करें। समस्त पूजन सामग्री लक्ष्मी-नारायण को अर्पित करें। मिठाई में तुलसी दल डालकर विष्णु जी को चढ़ाएं। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए दान-पुण्य करें। गरीबों को गर्मी से राहत पाने की चीजों का दान करें।
शाम को तुलसी में घी का दीपक लगाकर उसमें काला या सफेद तिल डालें। अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें। इस विधि के साथ व्रत करने और पूजा करने से आपको निर्जला एकादशी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होगा और ईश्वर आपसे प्रसन्न होंगे।मान्यता है इससे लक्ष्मी जी प्रसन्न रहती हैं और साधक को धन-धान्य से परिपूर्ण रहने का आशीर्वाद देती है।
निर्जला एकादशी 2023 मुहूर्त (Nirjala Ekadashi 2023 Muhurat)-
- ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि शुरू – 30 मई 2023, दोपहर 01.09
- ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त – 31 मई 2023, दोपहर 01.47
- लाभ (उन्नति) – सुबह 05.24 – सुबह 07.08
- अमतृ (सर्वोत्तम) – सुबह 07.08 – सुबह 08.51
- शुभ (उत्तम) – सुबह 10.35 – दोपहर 12.19
- व्रत पारण समय – सुबह 05.23 – सुबह 08.09 (1 जून 2023)
निर्जला एकादशी व्रत कथा (Ekadashi Vrat Katha)–
निर्जला एकादशी पर भूल से भी न करें ये काम:-
- निर्जला एकादशी के दिन देर तक न सोएं और सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और पूजा पाठ करके अपनी दिनचर्या आरंभ करें |
- निर्जला एकादशी के दिन भूलकर भी काले रंग के वस्त्र न पहनें। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है | यहां तक कि जो लोग व्रत नहीं करते हैं उन्हें भी इस दिन काले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए |
- निर्जला एकादशी के दिन बाल कटवाना, शेविंग करवाना और नाखून काटना भी वर्जित माना गया है |
- निर्जला एकादशी के दिन प्याज लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए | अगर आपके घर में कोई व्रत नहीं भी है तो भी प्याज लहसुन का प्रयोग न करें | मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन इन नियमों का जो पालन करता है उन पर विष्णुजी की कृपा बनी रहती है |