मेटावर्स (Metaverse):-

Facebook, 28 अक्टूबर 2021 को ऐनुअल कनेक्ट कॉन्फ्रेंस में अपना नाम बदलने की घोषणा कर सकता है | इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि फेसबुक अपना फोकस मेटावर्स टेक्नोलॉजी पर करना चाहती है | फेसबुक लगातार अपने ऐप में बदलाव कर रहा है और इसे यूजर्स के लिए और बेहतर बनाने पर तेजी से काम कर रहा है | अब सोशल मीडिया जायंट इसको लेकर एक और कदम बढ़ाने जा रहा है जो फेसबुक की दुनिया को पूरी तरह से बदल सकता है |

फेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में घोषणा की है कि कंपनी जल्द ही एक सोशल मीडिया कंपनी से ‘‘Metaverse Company’’ बन जाएगी और ‘‘एम्बॉइडेड एंटरनेट’’ पर काम करेगी जिसमें रियल और वर्चुअल वर्ल्ड का मेल पहले से कहीं अधिक होगा |

फेसबुक एक ऐसी ऑनलाइन दुनिया तैयार कर रही है, जहां लोग वर्चुअल रियलटी का उपयोग करके वर्चुअल वर्ल्ड का एक्सपीरिएंस ले सकेंगे | इस प्रोजेक्ट के लिए फेसबुक ने 10 हजार लोगों को हायर करने की घोषणा भी की है | इसके साथ ही कंपनी इस टेक्नोलॉजी में 50 मिलियन डॉलर का निवेश भी करेगी |

मेटावर्स क्या है:

मेटावर्स वैसे तो काफी जटिल टर्म है, लेकिन आसान भाषा में समझें तो मेटावर्स एक तरह की आभासी दुनिया होगी | इस टेक्नीक से आप वर्चुअल आइंडेंटिटी के जरिए डिजिटल वर्ल्ड में एंटर कर सकेंगे | यानी एक पैरेलल वर्ल्ड जहां आपकी अलग पहचान होगी | उस पैरेलल वर्ल्ड में आप घूमने, सामान खरीदने से लेकर, इस दुनिया में ही अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल सकेंगे |

मेटावर्स ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी कई टेक्नोलॉजी के कॉम्बिनेशन पर काम करता है |

इससे आपका इंटरनेट इस्तेमाल करने का तरीका किस तरह बदलेगा:-

  • आप वर्चुअल वर्ल्ड में किसी सड़क किनारे टहल रहे हैं | एक दुकान पर आपने एक फ्रिज देखा, जो आपको पसंद आ गया | आप उस दुकान पर गए और डिजिटल करंसी से उस फ्रीज को खरीद लिया | अब वो फ्रिज आपके रेसिडेंशियल एड्रेस (जहां आप रहते होंगे) पर डिलिवर हो जाएगा, यानी आपको वर्चुअल शॉपिंग एक्सपीरिएंस मिलेगा, लेकिन ये शॉपिंग रियल होगी |
  • आप इंटरनेट पर जब किसी से बात कर रहे होंगे तो ऐसा लगेगा जैसे आप एक-दूसरे के सामने ही बैठे हैं | भले ही फिजिकली आप सैकड़ों मील दूर हों |
  • एक वेबसाइट है https://decentraland.org/ ये वर्चुअल वर्ल्ड का बेहतरीन उदाहरण है | इस वेबसाइट पर आपको अलग वर्चुअल वर्ल्ड मिलेगा, जिसकी अपनी करंसी, इकोनॉमी और जमीन भी है | आप यहां क्रिप्टोकरंसी से जमीन खरीद सकते हैं, उस पर अपने हिसाब से घर बना सकते हैं | इस वर्चुअल वर्ल्ड में आपको नौकरी भी मिल सकती है | ये वेबसाइट भी मेटावर्स के एलीमेंट पर ही काम करती है |

फेसबुक नाम क्यों बदल रही है:-

जिस तरह गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट है, उसी तरह आने वाले समय में एक पेरेंट कंपनी के अंदर फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और कंपनी के दूसरे प्लेटफॉर्म आएंगे | ये बदलाव मेटावर्स पर फोकस करने के लिए किया जा रहा है | कंपनी के CEO मार्क जुकरबर्ग का मानना है कि आने वाले समय में मेटावर्स दुनिया की वास्तविकता होगी | वो मेटावर्स तकनीक की इस रेस में पीछे नहीं रहना चाहते हैं |

मेटावर्स का एक्सपीरियंस आपको कब तक मिल सकता है:-

फेसबुक के आधिकारिक ब्लॉग के अनुसार, कंपनी अभी मेटावर्स को बनाने के शुरुआती चरण में है | मेटावर्स को पूरी तरह से विकसित होने में 10 से 15 साल लग सकते हैं | साथ ही ये समझना भी जरूरी है कि मेटावर्स को केवल कोई एक कंपनी मिलकर नहीं बना सकती | ये अलग-अलग टेक्नोलॉजी का बड़ा सा जाल है जिस पर कई कंपनियां मिलकर काम कर रही हैं |

फेसबुक के अलावा और कौन-कौन सी कंपनियां मेटावर्स पर काम कर रही हैं:-

मेटावर्स में सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, एसेट क्रिएशन, इंटरफेस क्रिएशन, प्रोडक्ट और फाइनेंशियल सर्विसेस जैसी कई कैटेगरी होती है | इन सभी कैटेगरी पर सैकड़ों कंपनियां काम कर रही हैं | फेसबुक के अलावा गूगल, एपल, स्नैपचैट और एपिक गेम्स वो बड़े नाम हैं जो मेटावर्स पर कई सालों से काम कर रहे हैं | अनुमान है कि 2035 तक मेटावर्स 74.8 लाख करोड़ रुपए की इंडस्ट्री हो सकती है |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here