Happy Lohri 2020:-
मकर संक्रांति से पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है | लोहड़ी पंजाबियों का मुख्य त्योहार है इसलिए इसकी सबसे ज्यादा धूम पंजाब और हरियाणा में देखने को मिलती है | लोहड़ी के दिन अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती है | देश भर में 14 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है |
लोहड़ी पर पंजाब में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है | इस दिन चौराहों पर लोहड़ी जलाई जाती है | इस दिन पुरुष आग के पास भांगड़ा करते हैं, वहीं महिलाएं गिद्दा करती हैं | इस दिन तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली का भी खास महत्व होता है | ये एक तरह से प्रकृति की उपासना और आभार प्रकट करने का पर्व है। मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से सूर्य और अग्नि देव को समर्पित है। लोहड़ी की पवित्र अग्नि में नवीन फसलों को समर्पित करने का भी विधान है |
क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार:-
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा एक विशेष त्यौहार है | इस अवसर पर पंजाब में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है | इस दिन चौराहों पर लोहड़ी जलाई जाती है | इस दिन पुरुष आग के पास भांगड़ा करते हैं, वहीं महिलाएं गिद्दा करती हैं | इस दिन सभी रिश्तेदार एक साथ मिलकर डांस करते हुए बहुत धूम-धाम से लोहड़ी का जश्न मनाते हैं | इस दिन तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली का भी खास महत्व होता है | कई जगहों पर लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है |
लोहड़ी के त्यौहार से जुडी पौराणिक कथाएं:-
- पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है | कथानुसार जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था | उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है |
- यह भी मान्यता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी | पौराणिक मान्यता अनुसार सती के त्याग के रूप में भी यह त्योहार मनाया जाता है |
- कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है |
- एक मान्यता के अनुसार द्वापरयुग में जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे | तब बालकृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जिसे बालकृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था | लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा | उसी घटना को याद करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता है |
दुल्ला भट्टी की कहानी
लोहड़ी के दिन अलाव जलाकर उसके इर्दगिर्द डांस किया जाता है | इसके साथ ही इस दिन आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है | लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है | मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था | उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी | तब से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है |
लोहड़ी 2020 पूजन का शुभ मुहूर्त:
लोहड़ी का शुभ मुहूर्त 14 जनवरी शाम 5 बजकर 45 मिनट के बाद रहेगा | ज्योतिषी के मुताबिक़ 4 बजकर 26 मिनट के बाद 5 बजकर 45 मिनट तक रोग काल रहेगा | लोहड़ी का पर्व मुख्य रूप से पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में मनाया जाता है |
लोहड़ी की परंपराएं और रीति-रिवाज:-
- लोहड़ी के त्यौहार पर, हिंदू और सिख समुदाय एक पवित्र अलाव जलाते हैं, जो शीतकालीन संक्रांति से गुजरने का प्रतीक है |
- त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लोहड़ी, पंजाबी लोक गीतों में नृत्य के रूप में जलाया जाता है |
- उत्सव के भोजन में मूंगफली, तिल-गुड़ मिश्रित मिठाइयाँ होती हैं जिन्हें रेवाड़ी और पॉपकॉर्न कहा जाता है |
- इस दिन लोग पतंग भी उड़ाते हैं और आसमान को “तुक्कल”, “छाज”, “परी” जैसे विभिन्न रंगों और पतंगों से सजाया जाता है, जिसमें हैप्पी लोहड़ी और हैप्पी न्यू ईयर संदेश होते हैं |
- मकर संक्रांति या माघी से एक रात पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है |
- पंजाब की मुख्य सर्दियों की फसल – गेहूं, जो अक्टूबर में बोई जाती है, पंजाब के खेतों में जनवरी के प्रमुख रूप में देखी जाती है | फसल बाद में मार्च में काट ली जाती है |
- लोहड़ी पर पृथ्वी, सूर्य देव, अग्नि और खेतों में समृद्धि, स्वास्थ्य और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना की जाती है |