Dr. Ambedkar Death Anniversary:-
डॉक्टर भीमराव आंबेडर (Dr. Bhimrao Ambedkar) की आज पुण्यतिथि है | 6 दिसंबर 1956 यानी आज ही के दिन भारत मां के इस महान सपूत ने अंतिम सांस ली थी | उन्हें बाबासाहेब (Babasaheb Ambedkar) आंबेडर के नाम से भी जाना जाता है | डॉक्टर आंबेडकर की याद में उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है | उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया | इस दौरान बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे | आजाद भारत के वो पहले विधि एवं न्याय मंत्री बने | आंबेडकर ही भारतीय संविधान के जनक हैं |
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम पंक्ति के नेता, जिन्होंने भारतीय संविधान का निर्माण किया | आंबेडकर बचपन से ही मेधावी और संघर्षशील थें | उनका पूरा नाम भीमराव रामजी आम्बेडकर था |
आंबेडकर का जन्म कब और कहां हुआ:-
आंबेडकर का जन्म 14 अप्रेल 1891 को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू नगर में हुआ था, गौरतलब है कि वर्ष 2003 में इस शहर का नाम महू से बदलकर डॉ. आंबेडकर नगर कर दिया गया है | उनका परिवार मूलतः मराठी था और धार्मिक तौर पर कबीर पंथी था |
आंबेडकर की शिक्षा यात्रा:-
भारत के प्रथम कानून मंत्री आंबेडकर की प्राथमिक शिक्षा सातारा नगर के राजवाड़ा चौक पर स्थित गवर्न्मेण्ट हाईस्कूल में अंग्रेजी की पहली कक्षा में प्रवेश लेने से शुरू हुआ | 1997 में उनका परिवार मुम्बई चला गया और उनकी माध्यमिक तक कि शिक्षा फिर मुम्बई की एल्फिंस्टोन रोड पर स्थित गवर्न्मेंट हाईस्कूल में हुई |
आंबेडकर की उच्च शिक्षा का आरंभ बॉम्बे विश्वविद्यालय से हुई, उन्होंने वहां से स्नातक डिग्री प्राप्त की | 1913 ई० में आंबेडकर अमेरिका चले गए और वहां की कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की |
अमेरिका के बाद वो लंदन गए और वहां के लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में “इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया” के टॉपिक पर उनके शोध कार्य किया जिसके लिए अर्थशास्त्र में उन्हें पीएचडी की डिग्री मिली | लंदन प्रवास के दौरान ही उन्होंने लॉ की शिक्षा भी प्रारम्भ कर ली | 1922 में वो दोबारा लंदन गए और एम.एस.सी की डिग्री और लॉ की अपनी अधूरी डिग्री भी पूरी की | इसके बाद भी उन्होंने शिक्षा जारी रखी और कुल चार पीएचडी डिग्री हासिल की |
आंबेडकर द्वारा लिखीं किताबें :-
आंबेडकर अपने दौर के सभी राजनेताओं से ज्यादा पठन पाठन में संलग्न रहें | ग्यारह अलग अलग भाषाओं पर पकड़ रखने वाले आंबेडकर ने कुल 32 किताबें, 10 वक्तव्य के साथ चार रिसर्च थीसिस के साथ भी ढेर सारे पुस्तकों की समीक्षाएं भी लिखी |
भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ’,द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन आदि पुस्तकें महत्वपूर्ण है | उनकी लेखनी की क्षमता का अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि आज “बाबा साहेब डा. अम्बेडकर: संपूर्ण वाङ्मय” के 22 भाग प्रकाशित हो चुके हैं फिर भी उनकी रचनाओं का प्रकाशन और संकलन का कार्य चल ही रहा है |