क्या आपको पता है की रविन्द्र कौशिक कौन थे? आज हम आपको रविन्द्र कौशिक जीवनी (Ravindra Kaushik Biography) के साथ-साथ उनके बारे में और भी बहुत सारी इस लेख में आपको बताने वाले है। तो चलिए जानते हैं वो ‘टाइगर’ के बारे में जो देश के लिए पाकिस्तान आर्मी में शामिल हो गया।
आज हम आपको रविन्द्र कौशिक की पत्नी और बच्चे (Ravindra Kaushik Wife and Son) के साथ – साथ उनके परिवार के बारे में भी बताने वाले हैं। इस लेख को आप अच्छे से और पूरा पढ़ें ताकी आपको एक महान जासूस के बारे में सब कुछ पता चल सके।
आज हम आपको एक ऐसे भारतीय जासूस की कहानी बताने जा रहे हैं जो भारत की सेवा के लिए पाक आर्मी में मेजर बन गए थे। यह भारत का वो जासूस था जो सिर्फ 23 साल की उम्र में पाक गया और फिर कभी अपने वतन नहीं लौट सका। कहा जाता है कि सलमान खान की फिल्म ‘एक था टाइगर’ की प्रेरणा यही जासूस था। और सलमान की एक और फिल्म इन्ही के ऊपर बनने वाली है।
आमतौर पर सुना जाता है कि रॉ एजेंट्स और उनके कारनामों के बारे में ज्यादा जानकारियां आम लोगों के बीच साझा नहीं की जाती है, लेकिन हम आपको एक ऐसे जांबाज और शातिर जासूस की कहानी बता रहे हैं, जिसने अपना पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित करते हुए पाकिस्तान की जेलों में तड़पते हुए बिता दिया। आइए जानते हैं रविन्द्र कौशिक की जीवनी में उनके बारे में सब कुछ।
रविन्द्र कौशिक जीवनी (Ravindra Kaushik Biography)
Birthday (जन्मदिन) | 11 अप्रैल सन् 1952 |
Age (उम्र) | 49 वर्ष (2001) |
Birth Place (जन्म स्थान) | राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में |
Occupation (पेशा) | Raw Agent (जासूस) |
Ravindra Kaushik Wife (पत्नी का नाम) | अमानत |
Child (बच्चे का नाम) | Aareeb (आरिब) |
Death Date (मृत्यु/पुण्यतिथि) | 21 नवम्बर 2001 |
Father name (पिता का नाम) | जे एम कौशिक |
Mother name (माता का नाम) | अमला देवी |
रवींद्र कौशिक का जन्म 11 अप्रैल 1952 को राजस्थान के श्री गंगानगर राजस्थान में हुआ था। उन्होंने वहां से ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की थी। टीनएजर की उम्र से ही कौशिक को थिएटर और एक्टिंग करने का शौक था। एक बार रवींद्र कौशिक ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक राष्ट्रीय स्तर की नाटकीय बैठक में हिस्सा लिया था। इसी दौरान रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के अधिकारियों ने उसे देखा। उसके बाद रॉ के अधिकारियों ने कौशिक से संपर्क किया और उन्हें अंडरकवर ऑपरेटिव होने की नौकरी का ऑफर दिया।
रविन्द्र कौशिक की पत्नी और बच्चे (Ravindra Kaushik Wife and Son)
रवींद्र कौशिक जब पाकिस्तान में थे तब उन्हें, पाकिस्तान के एक आर्मी अफसर की बेटी से मोहब्बत हो गई। उनका नाम अमानत था। पहले वो दोनों दोस्त थे। बाद में दोनों की शादी हो गई। यहां तक कि उन्होंने अमानत को भी कभी इस बारे में पता नहीं लगने दिया कि वो रॉ में काम करते हैं। दोनों ने अपने बेटे का नाम आरीब अहमद खान रखा।
रविन्द्र कौशिक कैसे बने जासूस।
भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के कुछ अधिकारियों ने रविन्द्र को मंच पर एक नाटक के दौरान देखा और उनकी एक्टिंग के मुरीद हो गए।
उस दौरान रविन्द्र कौशिक को राष्ट्रीय स्तर के नाट्य कलाकार के रूप में पहचान मिल चुकि थी लेकिन दुश्मनों की हरकतों पर नजर रखने वाली भारतीय खुफिया एजेंसी की नजरे इस 23 साल के युवा पर थी। आखिरकार अपनी पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद कौशिक ने ‘रॉ’ ज्वाइन कर लिया जिसके बाद उनका पूरा जीवन ही बदल गया।
23 साल की उम्र में भारतीय अंडर कवर एजेंट बने रविन्द्र कौशिक को दिल्ली में ट्रेनिंग दी गई थी। दिल्ली में ट्रेनिंग के दौरान रविन्द्र ने उर्दू और इस्लामिक शब्दों को लिखना और पहचानना सीखा। 1975 में पाकिस्तान भेजे जाने से पहले रविन्द्र से जुड़े सभी दस्तावेजों और जानकारियों को एजेंसी द्वारा नष्ट कर दिया गया था और उनके परिवार से भी जुड़ी जानकारी छुपा दी गई थी।
पाकिस्तान पहुंचते ही वो रविन्द्र कौशिक से नबी अहमद हो गए और कराची विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई पूरी की। वकालत पूरी हो जाने के बाद रविन्द्र पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और वहां से शुरू रविन्द्र को असली जीवन में एक नया किरदार निभाने का मौका मिला।
1975 में उन्हें नबी अहमद शाकिर इस नाम के साथ पाकिस्तान भेजा गया। इसके बाद वह बतौर सिविलियन क्लर्क पाकिस्तान सेना का हिस्सा बन गए। इसके बाद उन्हें पाक सेना के अकाउंट्स डिपार्टमेंट में भेज दिया गया।
कौशिक ने बचाई थी 20 हजार भारतीय सैनिकों की जान।
साल 1979 से 1983 तक रवींद्र कौशिक ने पाकिस्तान से भारतीय रक्षा बलों के लिए कई महत्वपूर्ण जानकारियां भेजी। उनकी भेजी हुई जानकारियों से 20 हजार भारतीय सैनिकों की जान बच पाई थी।
नबी अहमद शाकिर यानी कौशिक द्वारा भेजी जा रही जानकारियां भारतीय रक्षा बलों के लिए इतनी ज्यादा जरूरी हो गई थी कि उन्हे भारतीय रक्षा क्षेत्रों में ‘द ब्लैक टाइगर’ के नाम से पुकारा जाने लगा। रवींद्र कौशिक ‘द ब्लैक टाइगर’ के नाम से भारतीय रक्षा बलों में प्रसिद्ध हो गए। रवींद्र कौशिक को ‘द ब्लैक टाइगर’ का नाम तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने खुद दिया था।
कैसे पकडे गए रविन्द्र कौशिक?
1983 में इनायत मसियाह को रॉ ने नबी अहमद की मदद के लिए भेजा, लेकिन इनायत को पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी ने पकड़ लिया और नबी अहमद की पहचान बताने के लिए कड़ी यातनाएं दी।
अब नबी अहमद के राज से पर्दा उठ चुका था और रविन्द्र कौशिक को पाकिस्तान आर्मी ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 1983 से 1985 के बीच पाकिस्तान आर्मी ने कड़ी यातनाएं दीं और बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया। पहले उन्हें मौत की सजा दी गई थी लेकिनबाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
भारत मां के वीर सपूत रविंद्र कौशिक की जिंदगी आज भी उन तमाम युवा रॉ ऑफिसर के लिए प्रेरणा हैं जो अपना काम को एक अद्भुत रूप में अंजाम देना चाहते हैं। वे आज भी भारत के सबसे बेहतरीन इंटेलीजेंस ऑफिसर के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने अपनी जान तो गंवा दी, लेकिन मरते दम तक अपने देश की रक्षा की। हम भारत के वीर सपूत ब्लैक टाइगर को सैल्यूट करते हैं।
इस तरह से आज आपने जासूस रविन्द्र कौशिक की जीवनी में उनके बारे में बहुत कुछ जाना अगर आपको ये लेख पसंद आया हो, तो इसी आपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें, और उन्हें भी हमारे देश के ब्लैक टाइगर के बारे में बताएं।