किसानो पर कोरोना इफ़ेक्ट-
किसानो पर कोरोना इफ़ेक्ट- कोरोना वायरस जो की अब महामारी का रूप ले चुका है कितना भयावह है यह हम सब देख ही रहे हैं यदि समय रहते ओर कड़े कदम नहीं उठाये गए तो भारत की स्थिति क्या होगी यह हम चीन, इटली, अमेरिका का उदहारण लेकर समझ सकते हैं भले ही ये सभी देश हॉस्पिटल, स्वछता के मामले में भारत से कई गुना आगे हैं ऐसे में भारत की स्थिति का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता ।
हमारे प्रधानमंत्री जी ने कई कठोर निर्णय लिए हैं जैसे देश को लाकडाउन करना, धारा 144 का पालन करना न पालन करने वालों पर कठोर क़ानूनी कार्यवाही करना लेकिन इन सब के बीच भी हम सभी के द्वारा की जा रही लापरवाही के मामले आ रहे हैं हमें घर पर ही तो रहने को कहा जा रहा है हमरे यहाँ घर से बहार निकलने पर हमारे माता पिता कितना चिंतित हो रहे हैं की घर पे रहो आराम करो जो करना है घर पर करो लेकिन जरा हम देश के हीरो डॉक्टर के बारे में सोचें की उन्हें, पुलिस, सेना, ओर स्वछता मित्रों के बारे में सोंचें जो हमारे ओर आपके लिए 24 घंटे मौत से लड़ रहे हैं उनका भी परिवार है उन्हें भी डर है अपने जन को वायरस से संक्रमित होने के खतरे का पर डंटे हुए है हमारी सुरक्षा के लिए ।
सरकार ने बहुत अच्छे कदम उठाये हैं जो की काबिलेतारीफ हैं जिसकी प्रशंसा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है हालाँकि साथ ही चेताया भी की की ओर अधिक कठोर निर्णय लेने की जरुरत है ।
अभी अभी सरकार ने 1 लाख 70 हजार करोड़ के रहत पैकेज का ऐलान किया है जिसमे गरीबों, किसानों, मजदूरों ओर महिलाओं के लिए राहत पैकेज की घोषणा इस उद्देश्य से की गयी है की इस घडी में कोई व्यक्ति भूखा न मर पाए जो की एक बहुत ही बेहतरीन कदम माना जायेगा ।
इन 21 दिनों के लाकडाउन में देश को लगभग 11 लाख करोड़ के घाटे का अनुमान जताया गया है |”इन सबके बीच मेरी चिंता का विषय कुछ अलग है जिसके बारे में हम यहाँ बात करने वाले हैं मार्च अप्रैल का महीना किसानों या हमारे अन्नदाताओं के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है 6 महीनों की अथक मेहनत ओर प्रयासों से उगाई गयी फसल को कटाई गहाई करके अपने घरों में सुरक्षित रह्ने का समय होता है मार्च अप्रैल ।” (किसानो पर कोरोना इफ़ेक्ट- )
एक ओर जहाँ लाकडाउन के चलते हर दफ्तर, दूकान, आवागमन बंद है सभी अपने घरों में कैद है दूसरी ओर किसानों की चिंता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है लहलहाती पकी फसल कड़ी होने के बाद भी किसानों के जहन में चिंता है माथे में चिंता की लकीरों को साफ देखा जा सकता है ।
मार्च अप्रैल की इस गर्मी में खड़ी पकी फसल में आग लगने की सम्भावना भी बहुत अधिक तीव्र होती है पर उसे देखने ओर सुरक्षित करने वाले संसाधनों की इस लाकडाउन के चलते भरी कमी है भगवान न करे कुछ ऐसा हो लेकिन किसी भी संभावना को नाकारा नहीं जा सकता । ओर किसान ओर उसका परिवार बरबाद हो जायेगा
हार्वेस्टर ट्रेक्टर या मजदूर सभी अपने घरों में कैद है तो सवाल है किसानों की फसल का जो उसने अथक रात दिनों की मेहनत ओर सारी जमा पूँजी लगाकर उसने उगाई है उसका क्या होगा ? यदि फसल बरबाद होती है तो किसान के साथ ही देश भी संकट में आ जायेगा फसल बरबाद होने के कारण देश के सामने खाद्यान संकट खड़ा हो सकता है जिससे बेरोजगारी, भुखमरी ओर महंगाई जैसी बहुत बड़ी समस्या का सामना देश को करना पड़ सकता है ।
हमारा उद्देश्य है की सरकार का जनप्रतिनिधियों का ध्यान किसानों की तरफ जाये ओर वे इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठायें ओर उन्हें उठाना ही होगा सरकार किसानों के उपयोग में आने वाली मशीनरी को उनसे सम्बंधित वर्कशाप को नियम व् शर्तों के साथ लाकडाउन से छूट देने का कदम उठाये ।
नियम व् शर्ते जो भी हों तथा उन्हें लागू करने के लिए जो भी कड़े कदम हों सरकार उठा सकती है लेकिन समय रहते हुए इस समस्या का निवारण भी सरकार को करना होगा इनके आवागमन में छूट देने का विचार सभी राज्य सरकारों को करना चाहिए । उनसे जुड़े व्यक्तियों, कामगारों के सैनीटाइज़ेशन, मास्क ओर ओर उन्हें संक्रमण न फैले इसकी की पूरी व्यवस्था कामगारों के मालिकों या किसानों को भले ही स्वयं करना पड़े । लेकिन सरकार का ध्यान इस ओर जाये इस लिए हमने इस लेख में किसानों की समस्या ओर उनके चिंतित होने के कारण को श्पष्ट करने का प्रयास का प्रयास किया|
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